Dehradun News Today: ब्लैक लिस्ट कम्पनी बना रही है उत्तराखंड की ऑल वेदर रोड, मानसून की पहली बारिश ही नहीं झेल पा रही है सड़क
Dehradun News Today: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बनने वाली जिस ऑल वेदर रोड की गुणवत्ता के बारे में बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे, उनकी पोल इस मानसून की पहली ही बरसात ने खोलकर रख दी है।
Dehradun News Today: उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए बनने वाली जिस ऑल वेदर रोड की गुणवत्ता के बारे में बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे, उनकी पोल इस मानसून की पहली ही बरसात ने खोलकर रख दी है। चमोली जिले के नंदप्रयाग क्षेत्र में तीन दिन की बारिश ने ही इस नवनिर्मित सड़क का ऐसा हाल कर दिया कि अब इसकी गुणवत्ता पर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। धंसने के बाद नदी में इस सड़क के समाने के बाद अब यह भी खुलासा हो रहा है कि प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट समझी जाने वाली इस ऑल वेदर रोड का निर्माण एक ऐसी निर्माण कम्पनी के हवाले किया गया था जिसको कांग्रेस की सरकार ने घटिया निर्माण किए जाने की वजह से ब्लैक लिस्ट कर दिया था था। ईटीवी की एक रिपोर्ट में इस बाबत यह सनसनीखेज खुलासा किए जाने के बाद विपक्ष इस सड़क को लेकर भाजपा की केंद्र व राज्य सरकार पर हमलावर हो गया है।
क्या है ऑल वेदर रोड ?
उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में हर साल मानसून तमाम विपदाएं लेकर आता है। भूस्खलन के कारण आए दिन यहां सड़के धंसने की वजह से तमाम दुर्घटनाएं होती रहती हैं। बारिश में सड़कें बंद होने की वजह से जिला-ब्लॉक मुख्यालय से तमाम गांवों का संपर्क टूट जाता है, तो इसकी वजह से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कें भी अवरुद्ध हो जाती हैं। इन सबकी वजह से 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में राज्य की 889 किलोमीटर लंबी सड़कों को डबल लाइन करने की घोषणा करते हुए इसे ऑलवेदर रोड का नाम देते हुए दावा किया था कि अपने नाम के अनुरूप यह सड़के ऐसी गुणवत्तापूर्ण होंगी जो हर तरह के मौसम की मार झेलने में सक्षम होंगी। 12 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट को उसी समय पर्यावरणविदो ने हवाहवाई बताते हुए इसे राज्य की पारिस्थितिकी तंत्र से खिलवाड़ बताया था। कमजोर हिमालय की पहाड़ियों में ऐसे भारी-भरकम सड़क निर्माण को लेकर तमाम आशंकाएं व्यक्त की जा रही थी। यह आशंकाएं निर्मूल होंगी या सच, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इस ऑलवेदर रोड की गुणवत्ता का कड़वा सच मानसून की पहली ही बारिश में सामने आने लगा है। चमोली जिले के नंदप्रयाग के निकट मानसून की पहली बारिश में ही ऋषिकेश-बदरीनाथ ऑलवेदर रोड हाईवे पर पुरसाड़ी के पास सड़क किनारे बने आरसीसी दीवार का एक बड़ा हिस्सा ढहने से पूरा हाईवे बाधित हो गया है। ऐसे में इस रोड की गुणवत्ता पर बड़े सवाल तो खड़े ही होने लगे हैं, निर्माण करने वाली कम्पनी के भी ब्लैक लिस्टेड होने की जानकारी सामने आ रही है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जिस कम्पनी को कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2013 में ब्लैक लिस्ट किया था, उसी कम्पनी को चारधाम सड़क परियोजना का काम दिया गया था। ऋषिकेश की हिलवेज नामक इस कम्पनी को वर्ष 2013 में उस समय की कांग्रेस सरकार ने श्रीनगर स्थित चौरास पुल के गिरने की वजह से ब्लैक लिस्ट किया था। इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई थी। जो कंपनी इस पुल का निर्माण कर रही थी उसमें अब ऑल वेदर रोड बना रही हिलवेज कंस्ट्रक्शन कम्पनी भी शामिल थी। चौरास पुल के गिरने की जांच के बाद इस कम्पनी के लोगों की गिरफ्तारी के आदेश भी जारी किए गए थे। तब ही राज्य सरकार ने इस कम्पनी को काली सूची में डालते हुए इसके निर्माण कार्य पर रोक लगा दी थी।
विपक्ष ने बताया जुमला और जमीनी हकीकत का फर्क ऑलवेदर रोड के ध्वस्त होने को कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने इसे जुमले और उनकी जमीनी सच्चाई बताते हुए कहा कि यह मोदी सरकार का बारह हज़ार करोड़ का ऑलवेदर सड़क घोटाला साबित हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट अर्थात मोदी के सबसे चहेते जनहित के प्रोजेक्ट "ऑलवेदर सड़क" के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार तथा निर्माण की कमियों की वजह से सैकड़ों तीर्थयात्रियों और स्थानीय नागरिकों को जान गवानी पड़ी है। और अब इस बरसात में ही यह सड़क क्षतिग्रस्त भी हो चुकी है। लोगों में वाट्सअप से लेकर हर जगह जो मोदी की ईमानदार को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है, यह जमीनी सच्चाई उसकी पूरी पोल खोल रही है। जानता का बारह हज़ार करोड़ खर्च होने के बावजूद लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है। इतना ही नहीं इसका निर्माण कार्य एक ऐसी ब्लैक लिस्टेड कम्पनी कर रही है जिसे कांग्रेस ने ब्लैक लिस्ट किया था।