Rudrapur News: कोर्ट के आदेशों की परिपालन में भगवती मज़दूरों के बकाया वेतन भुगतान के लिए ₹16 करोड़ का नोटिस जारी

Rudrapur News, Rudrapur Samachar: रुद्रपुर (उत्तराखंड)। भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के 303 मज़दूरों की छँटनी औद्योगिक न्यायालय से अवैध घोषित होने के बाद मज़दूरों के जारी संघर्ष के बीच अब श्रम विभाग ने बकाया वेतन भुगतान का 15 करोड़ 49 लाख 59 हजार 910 का वैधानिक नोटिस जारी किया है।

Update: 2022-08-23 14:28 GMT

Rudrapur News: कोर्ट के आदेशों की परिपालन में भगवती मज़दूरों के बकाया वेतन भुगतान के लिए ₹16 करोड़ का नोटिस जारी

Rudrapur News, Rudrapur Samachar: रुद्रपुर (उत्तराखंड)। भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के 303 मज़दूरों की छँटनी औद्योगिक न्यायालय से अवैध घोषित होने के बाद मज़दूरों के जारी संघर्ष के बीच अब श्रम विभाग ने बकाया वेतन भुगतान का 15 करोड़ 49 लाख 59 हजार 910 का वैधानिक नोटिस जारी किया है। यह बकाया वेतन गैर कानूनी छँटनी के समय 27/12/2018 से 27/05/2022 की अवधि के लिए है। हालांकि इस भुगतान के लिए पूर्व में भी नोटिस जारी हुई थी, लेकिन श्रम अधिकारी द्वारा गलत धारा में नोटिस जारी होने के कारण पुनः सुनवाई में विलंब हुआ।

ज्ञात हो कि 27 दिसंबर 2018 को माइक्रोमैक्स उत्पाद बनाने वाली भगवती प्रोडक्ट लिमिटेड सिडकुल पंतनगर के प्रबंधन ने 303 श्रमिकों की गैर कानूनी छँटनी कर दी थी। साथ ही 47 श्रमिक गैरकानूनी लेऑफ और यूनियन अध्यक्ष बर्खास्त चल रहे हैं। 44 महीने से जारी जमीनी और कानूनी संघर्ष के दौरान 2 मार्च 2020 को औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी ने छँटनी को अवैध घोषित करते हुए समस्त 303 श्रमिकों की कार्य बहाली और सभी देयकों को पाने का अधिकारी बताया था।

इसके बाद भी न तो श्रमिकों की कार्य बहाली हुई न ही बकाया वेतन आदि मिला था। इस बीच 5 अप्रैल 2022 को उच्च न्यायालय नैनीताल ने न्यायाधिकरण के अवार्ड को ही सही ठहराया और स्पष्ट किया कि समस्त 303 श्रमिक सभी बकाया वेतन और अन्य लाभों के साथ कार्य बहाली के हकदार हैं। इधर श्रम विभाग मामले को लगातार लटकाता रहा। यहां तक की बकाया वेतन भुगतान की नोटिस भी गलत धाराओं में जारी कर दी थी।

इन स्थितियों में माइक्रोमैक्स मजदूर श्रम भवन पर संघर्ष के ऐलान के साथ 26 जुलाई से धरने पर बैठ गए जो अभी भी लगातार जारी है। इस दबाव में सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर ने समस्त 303 श्रमिकों की 15 दिनों के भीतर कार्यबहाली के लिए बीते 10 अगस्त को नोटिस जारी किया। और उसके बाद अब दिनांक 17/08/2022 को उक्त धनराशि के भुगतान के संबंध में प्रबंधन को यह नोटिस जारी किया है।

एएलसी द्वारा जारी नोटिस में अवार्ड और उच्च न्यायालय के आदेशों का हवाला देते हुए यह उल्लेख किया गया है कि "उपरोक्त संदर्भित निर्णयों के परिपेक्ष में जबकि सेवायोजन के द्वारा वादी श्रमिक गणों के 303 श्रमिकों के संबंध में दिनांक 27/12/2018 से दिनांक 27/05/2022 की अवधि के हेतु संगठित धनराशि कुल रुपए ₹154959910 को न तो विवादित किया गया है और ना ही उसके विरुद्ध कोई अभिलेख साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है। अतः वादी श्रमिक गणों के द्वारा दावे की उपरोक्त धनराशि को अस्वीकार करने का न कोई न्यायोचित व विधि सम्मत मानने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रह जाता है। इसलिए वादी श्रमिक गणों के द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 6-H (1) को स्वीकार किया जाता है और सेवायोजक को आदेशित किया जाता है कि वह इन आदेशों के 2 सप्ताह के अंदर 303 श्रमिकों के संबंध में दिनांक 27/12/2018 से दिनांक 27/05/2022 की अवधि के हेतु सगणित धनराशि कुल रुपए ₹154959910 "सहायक श्रम आयुक्त उधम सिंह नगर" के नाम से जमा कराएं।"

नोटिस में यह भी लिखा है कि "यह स्पष्ट किया जाता है कि उपरोक्त आदेशों का परिपालन निर्धारित अवधि में न करने पर उपरोक्त धनराशि को वसूली "भू राजस्व" की भांति किए जाने के हेतु "कलेक्टर उधम सिंह नगर" को वसूली प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा।" इस बीच प्रबंधन न्यायाधिकरण और उच्च न्यायालय के आदेशों को माननीय उच्चतम न्यायालय दिल्ली में चुनौती दे दी है, जिस पर जल्द ही सुनवाई होने वाली है।

मज़दूर प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्हें अपने संघर्ष में लगातार न्याय हित में जीते मिली हैं। प्रबंधन के पास कोई भी कानूनी आधार नहीं है, इसलिए उच्चतम न्यायालय से भी मज़दूरों को ही जीत मिलेगी।

फिलहाल श्रम भवन में मज़दूरों का धरना जारी है और साथ ही कानूनी लड़ाई भी जारी है। मज़दूरों ने संघर्ष का ऐलान करते हुए कहा है कि जबातक समस्त श्रमिकों की सवेतन कार्यबहाली नहीं हो जाति है, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

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