Patent के मामले में भारत क्यों है चीन और अमेरिका से कोसों दूर, क्या करने की है जरूरत?
पेटेंट ( Patent ) के क्षेत्र में अगर भारत अपनी पकड़ बनाना चाहता है तो उसे इस दिशा में निवेश, पेटेंट कार्यालय के कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी और कम समय से ज्यादा से ज्यादा पेटेंट जारी करने पर जोर देने की जरूरत है।
नई दिल्ली। बौद्धिक संपदा के मानकीकरण यानि पेंटेंट ( Patent ) के क्षेत्र में भारत ( India ) आज भी बहुत पीछे है। अगर अमेरिका ( America ) और चीन ( China ) से इस मामले में भारत की तुलना करें तो पता चलता है कि हम उनसे कोसों दूर खड़े हैं। यानि पेटेंट ( Patent world ) की दुनिया में हम कहीं नहीं ठहरते। इस बात को प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद ( PM EAC report ) ने भी स्वीकार किया है।
निवेश और श्रमबल बढ़ाने की जरूरत
पीएम ईएसी की एक रिपोर्ट ( PM-EAC report ) में पेटेंट ( Patent ) के मसलके अहम बातें उभरकर सामने आई हैं। पहली बात तो ये कि भारत ( India ) को तत्काल अपने पेटेंट परिवेश में निवेश करने की जरूरत है। ईएसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में पेटेंट को लेकर कई स्तरों पर सुधार की जरूरत है। भारत में पेटेंट और ट्रेडमार्क प्रणाली से जुड़ी चिंताओं को दूर करने में देरी की प्रमुख वजह श्रमबल की कमी और जटिल अनुपालन जरूरतें हैं।
हालांकि, रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि भारत में हाल के बरसों में दाखिल किए गए पेटेंट और मंजूर किए गए पेटेंट की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन यदि अमेरिका और चीन जैसे देशों से तुलना की जाए तो यह संख्या काफी न के बराबर है। कहने का मतलब यह है कि हम पेटेंट के मामले में चीन और अमेरिका से खुद की तुलना नहीं कर सकते। इस मामले में दोनों हमसे बहुत आगे हैं।
पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद ने कहा है कि पेटेंट और ट्रेडमार्क प्रणाली से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए सबसे पहले पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क्स महानियंत्रक कार्यालय में श्रमबल बढ़ाने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2022 के अंत तक भारत में पेटेंट कार्यालय में सिर्फ 860 लोग कार्यरत थे। इनमें परीक्षक और नियंत्रक का पद भी शामिल हैं। वहीं चीन में पेटेंट कार्यालय में कार्यरत लोगों की संख्या 13,704 और अमेरिका में 8,132 थी।
पेटेंट कार्यालय में 1.64 लाख फाइल लंबित, तय समय में हो फैसला
चीन ( China ) और अमेरिका ( America ) में एक पेटेंट आवेदन का निपटारा करने में औसतन 20 से 21 महीने लगते हैं। यह भारत की तुलना में एक-तिहाई है। कहने का मतलब यह है कि भारत में एक पेटेंट को जारी करने में 60 से 63 माह का समय लगता है। नियंत्रक के स्तर पर 31 मार्च, 2022 तक 1.64 लाख आवेदन लंबित थे। पेटेंट नियंत्रक कार्यालय के संजीव सान्याल और आकांक्षा अरोड़ा द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पेटेंट कार्यालय में कर्मचारियों की संख्या को अगले दो साल में 860 से बढ़ाकर 2,800 करने की जरूरत है। इसमें कहा गया है कि भारत में किसी पेटेंट आवेदन पर आपत्ति देने के लिए कोई निश्चित समयसीमा तय नहीं है। इस वजह से भी देरी होती है।
इसके अलावा ताजा रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि कुछ जटिल प्रक्रियाएं हैं। मसलन विदेशी पेटेंट आवेदनों के प्रसंस्करण से संबंधित सूचनाएं देने की भी जरूरत होती है। हालांकि, अब पेटेंट सहयोग समझौता आवेदनों के मामले में यह महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि भारत विश्व बौद्धिक संपदा अधिकार संगठन के खोज एवं परीक्षण की केंद्रीकृत पहुंच का सदस्य हैं। इसमें अन्य देशों से संबंधित पीसीटी आवेदनों की सूचनाएं पहले से मौजूद रहती हैं। यह काम अब पहले की तुलना में आसान हो गया है।
आवेदन की संख्या में इजाफा
भारत में पेटेंट ( Indian Patent ) आवेदन दाखिल करने की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। साल 2016-17 में 45,444 पेटेंट आवेदन दाखिल किए गए थे। 2021-22 में यह संख्या बढत्रकर 66,440 हो गई। इसी अवधि में भारत में पेटेंट देने का आंकड़ा 9,847 से बढ़कर 30,074 हो गया। इसके बावजूद चीन और अमेरिका से भारत काफी पीछे है। 2020 में भारत में 56,771 पेटेंट दाखिल किए गए। जबकि चीन में 14.97 लाख पेटेंट दाखित किए गए। यानि चीन की तुलन में भारत की हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत है। वहीं अमेरिका में दाखिल 5.97 लाख आवेदनों की तुलना में यह मात्र 9.5 प्रतिशत है। इस दौरान भारत में 26,361 पेटेंट को मंजूरी दी गई। वहीं चीन में 5.3 लाख और अमेरिका में 3.5 लाख पेटेंट को मंजूरी मिली।