आशिक अली ने पेश की मिसाल, भगवान राम के लिए 34 वर्षों से निशु:ल्क तैयार कर रहे कपड़े

Update: 2019-11-12 09:39 GMT

मध्यप्रदेश के आशिक अली कई पीढ़ियों से भगवान राम के लिए कपड़े तैयार करने का काम कर रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि यह काम वह निशुल्क कर रहे हैं। 55 साल के आशिक अली कहते हैं कि जब मेरे दादा साहेब का देहांत हो गया तो ये जिम्मेदारी मेरे वालिद अहमद अली ने उठा ली...

जनज्वार, नई दिल्ली। हिन्दू और मुस्लिम के झगड़े तो सदियों से चले आ रहे हैं। भारत में इन दोनों धर्मों पर राजनीति बहुत गहरी होती है। लेकिन समाज में ऐसे भी लोग जो आपसी प्रेम, भाईचारा और सद्भावना की मिसाल कायम करते हैं। मध्यप्रदेश के बालाघाट के रहने वाले आशिक अली भी इसी तरह की मिशाल पेश कर रहे हैं।

शिक अली पिछले 34 बर्षों से भगवान श्रीराम के लिए वस्त्र सिलने का काम कर रहे हैं। इनकी बालघाट में छोटी सी एक दर्जी की दुकान है। बालाघाट में करीब 600 वर्ष पुराने मंदिर में विराजमान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की प्रतिमाओं के लिए अली का परिवार कई वर्षो से वस्त्र तैयार कर रहा है।

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र साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन से यहां सात दिनों तक चलने वाला मेला लगता है। मंगलवार की रात देशी घी के 108 दीपक जलने के साथ ही कार्तिक पूर्णिमा पर्व का आगाज होगा। परंपरा के अनुसार मंगलवार की सुबह से ही पकवान बनाकर भगवान राम को भोग लगाया जाएगा।

55 साल के आशिक अली कहते हैं कि मेरे दादा साहेब हबीब शाह भी भगवान राम के लिए वस्त्र तैयार करने का काम करते थे। जब मेरे दादा साहेब का देहांत हो गया तो ये जिम्मेदारी मेरे वालिद अहमद अली ने उठा ली। उन्होंने लगभग 60 वर्षों तक वस्त्र तैयार करने का काम किया।

ली बताते हैं कि मेरे वालिद के बाद ये जिम्मेदारी मैने उठा ली। पिछले 34 वर्षों से मैं श्रीराम के लिए वस्त्र तैयार कर रहा हूं। अली बहुत ही श्रद्धा के साथ काम करते हैं। वह कहते हैं कि पिछले 34 वर्षों से मैं मर्यादा पुरूषोत्तम राम की सेवा कर रहा हूं। इसके लिए मुझे कोई पैसे नहीं मिलते हैं। तरह-तरह के वस्त्र बनाता हूं। किसी की कोई मदद नही लेता हूं। इसके सारे खर्चे मैं खुद उठाता हूं।

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हालांकि आशिक अली ही एकमात्र ऐसे शख्स नहीं है जो हिंदू मुस्लिम एकता और भाईचारे की मिसाल कायम कर रहे हैं। उन्हीं की तरह गुजरात के कच्छ जिले के भुज शहर में एक नवरात्रि ऐसी होती है, जिसकी शुरुआत बिना मुस्लिमों के शुरू हो ही नहीं सकती। भुज शहर के वोकला फलिया गरबी मित्र मंडल में पिछले 45 साल से लगातार नवरात्रि आयोजित की जाती है। इस नवरात्रि के आयोजन में बहुत से मुस्लिम परिवार तन, मन व धन से अपना भरपूर योगदान देते हैं।

मंदिर के पुजारी रविशंकर दास वैष्णव बताते हैं कि चंदन नदी में भगवान श्रीराम के वनवासी वेशभूषा वाली प्रतिमा मिली थी। इसे नीम के पेड़ के नीचे रख दिया गया था। इसके बाद नदी तट पर करीब 600 वर्षो पूर्व महाराष्ट्र राज्य के भंडारा जिले के तत्कालीन राजा मराठा भोसले ने मंदिर का एक किले के रूप में वैज्ञानिक ढंग से निर्माण करवाया था। मंदिर में ऐसे झरोखे बनाए गए हैं कि सूर्योदय की पहली किरण भगवान राम के चरणों पर पड़ती है। भारत के प्राचीन इतिहास में इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख है। 1877 में तत्कालीन तहसीलदार शिवराज सिंह चौहान ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

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