चुनाव परिणामों के बाद जानिए उन नेताओं को जो दिल्ली की राजनीति में हो गए अप्रासंगिक
दिल्ली विधानसभा के नतीजों में कई कद्दावर नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। जिसके बाद से दिल्ली के चुनावों में लगभग कई नेताओं की राजनीति लगभग आप्रसंगिक हो चुकी है। आखिर कौन है वो नेता जिन्हें दिल्ली के चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा हैं...
जनज्वार। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए नतीजे आने आने शुरु हो गए हैं। आम आदमी पार्टी 56 सीटों पर आगे चल रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी 14 सीटों पर आगे चल रही है। भाजपा की ओर से लगातार दावे किए जा रहे थे कि वह दिल्ली में सरकार बनाएगी लेकिन आम आदमी पार्टी हैट्रिक बनाती हुई नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस का इन चुनावों में बेहद कमजोर प्रदर्शन दिखाई दे रहा है। कांग्रेस तीसरे नंबर पर है। कांग्रेस को मात्र 4.27 प्रतिशत वोट मिले है।
ऐसे में दिल्ली विधानसभा के नतीजों में कई कद्दावर नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। जिसके बाद से दिल्ली के चुनावों में लगभग कई नेताओं की राजनीति लगभग आप्रसंगिक हो चुकी है। आखिर कौन है वो नेता जिन्हें दिल्ली के चुनावों में बड़ी हार का सामना करना पड़ा हैं।
अलका लांबा
अलका लांबा ने अपना राजनीतिक जीवन 1994 में शुरू किया। वह बीएससी के दूसरे वर्ष में राष्ट्रीय छात्र संघ में शामिल हुई। 1995 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टुेंटस युनियन का चुनाव लड़ा जिसमें वह भारी मतों के साथ जीती। 2006 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की सदस्य बनी और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किया गया।
2013 में दिसंबर में अलका लांबा ने आईएसी छोड़ अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को चुना। दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनावों में उन्हें दिल्ली के चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में निर्वाचित किया गया।
संबंधित खबर: ब्रेकिंग : हारते-हारते आखिरकर मनीष सिसोदिया जीते, जीत में लगभग 2000 मतों का रहा अंतर
अलका लांबा के मुख्यधारा की राजनीति की बात की जाए तो लांबा ने 2015 में दिल्ली के चांदनी चौक निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक के रूप में चुनी गई थी।
कपिल मिश्रा
कपिल मिश्रा साल 2015 में पहली बार दिल्ली के करावल नगर विधानसभआ से विधायक चुने गए थे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर 44 हजार से ज्यादा मतों के अंतराल से भाजापा के चार बार के विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मात दी थी। कपिल को केजरीवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपछ दिलाई गई थी। वे सरकार में जल संसाधन मंत्री थे। उन्हें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का करीबी माना जाता था।
मनोज तिवारी
मनोज तिवारी बिहार राज्य से राजनेता, गायक और अभिनेता है। वह भारतीय जनता पार्टी से संबंधित है। मनोज
तिवारी के राजनीति जीवन की शुरूआत की बात की जाए तो 2009 में शिवसेना पर टिप्पणी करने के बाद वह विवादों में आए थे। जिसके बाद तिवारी ने 2009 में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर राजनीति में कदम रखा और गोरखपुर निर्वाचन क्षेत्र से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा।
इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद 2013 में मनोज तिवारी ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के विस्तार में मदद की और आधिकारिक तौर पर इसमें शामिल हो गए थे। जिसके बाद 2014 में उन्होंने उत्तर पूर्व दिल्ली से लोकसभा का चुनाव जीता। मनोज तिवारी ने आप के उम्मीदवार आनंद कुमार को 1 लाख 44 हजार वोटों के अंतर से हराया था।
हारून यूसुफ
हारून यूसुफ का जन्म 6 मार्च 1958 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने दिल्ली के जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज विश्वविद्यालय से अपने परास्नातक की पढ़ाई की। 1988 में उन्हें दिल्ली प्रदेश यूथ कांग्रेस के सचिव के रूप में चुना गया और नार्कोटिक सेल, ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस विंग के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया और 1989 में उन्हें ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस विंग के संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया।
बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र से फिलहार हारून यूसुफ हार रहे है। बल्लीमारान विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए। तो ये विधानसभा 1993 में अस्तिव में आई थी। और तब से 2015 तक ये क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा। लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार से हारून यूसुफ को हार का सामना करना पड़ा था।
अरविंदर सिंह लवली
अरविंदर सिंह लवली कांग्रेस के एक युवा राजनेता है। उनकी गिनती दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के सबसे ज्यादा करीबियों में होती है। शीला सरकार में वह तीन बार विधायक रहने के साथ मंत्री भी रह चुके है। इतना ही नहीं वह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यकर्त रहे।
संबंधित खबर: दिल्ली की जनता ने नफरत की राजनीति को हाशिये पर धकेल काम को दी तवज्जो, कहा केजरीवाल फिर से
शीला दीक्षित की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने पब्लिक स्कूलों में कमजोर वर्गाें के बच्चों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण शुरू करने की पहल की थी। बीच में वे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में भी शामिल हो गए थे। लेकिन वह फिर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
तजिंदर पाल सिंह बग्गा
दिल्ली के विधानसभा चुनावों के नतीजे आ चुक है। जिसमें पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट के तहत आने वाली हरिनगर सीट पर सबकी नजर है। इस सीट से भाजाप उम्मीदवार तजिंदर पाल सिंह बग्गा शुरुआती रुझानों में बढ़त बनाए हुए थे। लेकिन अब पीछे चल रहे है।
तजिंदर पाल सिंह बग्गा की बात की जाए तो वह सिर्फ 23 साल की उम्र में भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के सबसे कम उम्र के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य बने। बग्गा को 2017 में भाजपा का दिल्ली प्रवक्ता बनाया गया था। तीन साल के भीतर, वह एक केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा के उम्मीदवार के रूप में अपने पहले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। जहां पार्टी दो दशकों से सत्ता से बाहर है।
https://www.facebook.com/janjwar/videos/252862625702687/