24 घंटे में 9304 कोरोना के मामले, खतरे के बावजूद अमित शाह करेंगे 2 लाख से ज्यादा लोगों के बीच डिजिटल रैली
अमित शाह को डिजिटल चुनावी रैली करने के बजाए लोगों तक कोरोनावायरस के प्रति जानकारी लोगों तक पहुंचाना चाहिए था। क्योंकि भारत के जो गांव हैं गांव में लोगों को यह लग रहा है कि लॉकडाउन पूरी तरीके से खुल गया है....
जनज्वार, दिल्ली। खतरा कोई भी हो, लेकिन प्रचार नहीं रुकना चाहिए। हमारे देश में जब से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई हैं तब से देश और धर्म दोनों ही खतरे में आ गए हैं। और वह बात अलग है कि जब जब चुनाव होते हैं हमारे सरहदों पर ना जाने कहां से आतंकवादी आने लगते हैं सरहदों पर तनाव पैदा हो जाता है, क्योंकि देश में चुनाव होता है। पिछले 24 घंटे में कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा बढ़ी है यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। पिछले 24 घंटे में 9304 मामले सामने आए हैं।
पहले कोरोनावायरस संक्रमित मरीज प्रति 24 घंटे 8000 आ रहे थे, लेकिन पिछले 24 घंटे में यह आंकड़ा 9304 पहुंच गया। और अगर इसी तरीके से कोरोना वायरस संक्रमित मरीज पाए जाते रहे तो 10 दिनों में एक लाख कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों का आंकड़ा सामने आएगा। यह बहुत चिंता वाली बात है। जब देश में कोरोनावायरस बढ़ रहा था, हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजीब अजीब तरीके के कार्यक्रम कराए।
संबंधित खबर : बिहार के कटिहार में श्रमिक एक्सप्रेस से उतरे भूखे-प्यासे श्रमिकों ने किया हंगामा तो पुलिस ने बरसाईं लाठियां
जो वक्त था कोरोनावायरस को कंट्रोल करने का, वह वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाली ताली घंटी बजवाने में निकलवा दिया। हमारे देश की चाटुकार मीडिया ने सारा कोरोनावायरस का अंजाम तबलीगी जमात के सहारे पूरे मुस्लिम कौम पर रख दिया और इस खबर से भक्तों ने भरपूर आनंद प्राप्त किया। गोदी मीडिया आज भी तबलीगी जमात को कोस रहा है।
मीडिया ने आज तक यह सवाल नहीं पूछा कि कोरोना वायरस काल में जो लाखों की संख्या में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम हुआ था, क्या उससे कोरोनावायरस नहीं फैला होगा। इतने लोग अमेरिका से आए थे लेकिन इस पर कोई सवाल नहीं। ट्रंप अपने चुनाव के चक्कर में कोरोना वायरस खतरे तक को नहीं देखा।
संबंधित खबर : केजरीवाल की क्या मजबूरी जो 'मोदी भक्त' तुषार मेहता को बना रहे दिल्ली दंगों का वकील
लेकिन अब अमित शाह बिहार में डिजिटल रैली करने जा रहे हैं, जिसमें दो लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। यह रैली आने वाली तारीख 7 जून को शाम 4 बजे की जाएगी। क्या कोरोना वायरस काल में यह रैली करना जरूरी है। जो समय था कोरोनावायरस कंट्रोल करने का वह यह मोदी ने खाली ताली बजवाने में निकलवा दिया।
सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं और भाजपा पर निशाना साध जनता कह रही है, अब जो समय बचा हुआ है वह लोगों को इकट्ठा करके रैली करने में निकाल दो, क्योंकि आपसे कोई पूछने वाला तो है नहीं। आप कुछ भी करो क्योंकि गोदी मीडिया में आपसे सवाल करने की हिम्मत नहीं है। कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों की संख्या रुक नहीं पा रही है लगातार बढ़ रही है और ऐसे में डिजिटल चुनावी रैलियां करना क्या सही है।
यह वक्त तो जनता को कोरोनावायरस से जागरूक करने का है, ना की देश की जनता को चुनाव के लिए तैयार करने का बूथ मजबूत करने का। अमित शाह को डिजिटल चुनावी रैली करने के बजाए लोगों तक कोरोनावायरस के प्रति जानकारी लोगों तक पहुंचाना चाहिए था। क्योंकि भारत के जो गांव हैं गांव में लोगों को यह लग रहा है कि लॉकडाउन पूरी तरीके से खुल गया है।