बिहार चुनाव को लेकर भाजपा का खेल शुरू, सुशील मोदी बोले घर बैठे-बैठे हो जाएगा मतदान

Update: 2020-05-20 14:47 GMT

बिहार के उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने विधानसभा का चुनाव डिजिटल तरीके से होने की संभावना जताई, विपक्षी दलों ने जताया विरोध

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री व भाजपा नेता सुशील मोदी ने विधानसभा का चुनाव डिजिटल तरीके से होने की संभावना जताई है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से चुनाव में मतदान का तरीका भी बदल सकता है। उनके इस बयान पर कई दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

मोदी ने संभावना जताई कि इस बार के विधासभा चुनाव में लोग घर में बैठे-बैठे ही मतदान कर पाएंगे। उनके इस बयान का सरकार में सहयोगी जनता दल-युनाइटेड (जदयू) ने भी कड़ा विरोध किया है।

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दयू के प्रधान महासचिव के.सी. त्यागी ने कहा, 'भाजपा नेता का यह प्रस्ताव अव्यावहारिक और अलोकतांत्रिक है।' उन्होंने कहा कि बिहार में चुनाव परंपरागत तरीके से ही होना चाहिए। त्यागी ने कहा, 'चुनाव में आप डिजिटल प्रचार करोगे, रैली करोगे या प्रेस कांफ्रेंस करोगे, यह संभव नहीं है।'

Full View मामले में सीपीआई (एम) राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि बिहार और देश के दूसरे हिस्सों में ऑनलाइन चुनाव कराने की बात जनतांत्रिक प्रक्रिया पर कुठाराघात है। यह जनइच्छा को भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पक्ष में बदलने की आपराधिक साजिश है।

न्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी द्वारा ऐसे समय में यह बात उठाई गई है जब केन्द्र से लेकर राज्य सरकारों द्वारा कोराना महामारी और राज्य के लाखों प्रवासी मजदूरों और किसानों की दयनीय स्थितियों से निबटने में उनकी विफलता और संवेदनहीनता जगजाहिर हो चुकी है। आज जब बिहार के मजदूर,किसान, रोजी-रोटी की मांग कर रहे हैं, उस समय ऑनलाइन चुनाव की मांग करना असली मुद्दों से ध्यान हटाने और भाजपा की जनतंत्र विरोधी साज़िश है।

सीपीआई (एम) सचिव ने कहा कि पार्टी राज्य के वामपंथी एवं सभी विपक्षी दलों तथा आम जनतांत्रिक शक्तियों से अपील करती है कि वे भाजपा द्वारा ऑनलाइन चुनाव कराने की साज़िश के खिलाफ एकजुट होकर इसका प्रतिरोध करें।

हीं इस मसले पर बिहार के प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता और पूर्व विधायक डॉ. हरखू झा ने उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बिहार में चुनाव ऑनलाइन होने की संभावना वाले बयान को पूरी तरह भ्रामक और संविधान विरोधी बताया है। उन्होंने कहा, लोकतंत्र में लोकसभा या विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया में परिवर्तन तब होगा जब संविधान की धारा 326, 327 और 328 में संशोधन होगा। चुनाव आयोग किसी भी प्रकार के परिवर्तन से पहले सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करेगा और उनकी सहमित प्राप्त करेगा। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस तरह के बयान देने से जनता में भ्रम पैदा होता है।

स बीच राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रधान महासचिव माधव आनंद ने भी सुशील मोदी के इस सुझाव का विरोध किया है। उन्होंने कहा है, 'सुशील मोदी हमेशा पिछले दरवाजे से विधान परिषद में पहुंचते रहे हैं, वो लोकतंत्र का मतलब ही नहीं समझते हैं। उनकी इन बातों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है।'

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सुशील मोदी ने अपने बयान में कहा था, 'इस बार चुनाव में राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा डिजिटल माध्यम से वोट मांगते नजर आएंगे। राजनीतिक पार्टियां मोबाइल और टेलीविजन के जरिए वोट की अपील करती दिख सकती हैं। मतदाता भी डिजिटली ऑनलाइन वोटिंग भी करते दिख सकते हैं। बिहार में राजनीतिक दल डोर-टू-डोर कैम्पेन कर सकते हैं।'

बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के बीच चुनाव कराने को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है।

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