जनज्वार, पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में एनआरसी और एनपीआर लागू नहीं होगा। एनपीआर के बारे में मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि यह सर्वे भी तब होगा जब यह बिना किसी बदलाव के 2011 के फार्मेट में होगा और उसी वर्ष के जनगणना के आधार पर लागू होगा।
मुख्यमंत्री ने ये बातें रविवार को बिहार के हायाघाट प्रखंड के चंदनपट्टी स्थित मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विवि (मानू) में एक सभा को संबोधित करते हुए कहीं। हालांकि नागरिकता संसोधन कानून पर बिहार के मुख्यमंत्री ने अपनी राय स्पष्ट नहीं किया है।
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मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय में सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि देश की आजादी और शिक्षा को आगे बढ़ाने में मौलाना अबुल कलाम आजाद का बहुत बड़ा योगदान है। मुख्यमंत्री ने आजादी के दिनों को याद करते हुए कहा कि अबुल कलाम साहब देश के विभाजन के पक्ष में नहीं थे।
बिहार में इसी वर्ष नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय को आकर्षित करने के प्रयास के तहत नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया है और एनआरसी के खिलाफ खड़े होने की बात की है। नीतीश कुमार अल्पसंख्यक समुदायों के लिए कई योजनाओं का शिलान्यास करने यहां पहुंचे थे. उन्होंने यहां तकरीबन 79 करोड़ रुपये की लागत से अलग-अलग छात्र छात्राओं के स्कूल और हॉस्टल निर्माण का शिलान्यास किया।
बिहार के मुख्यमंत्री पहले भी नए एनपीआर (राष्ट्रीय जनसख्या रजिस्टर) को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने जनवरी में भी अपने पार्टी नेताओं की बैठक के बाद पत्रकारों से कहा था कि एनपीआर की योजना 2011 से थी, लेकिन नया एनपीआर फार्मेट बहुत कन्फ्यूज करने वाला है।