कोरोना : किसान कैसे काट पायेंगे खेत में तैयार फसल, सरकार ने क्या सोचा इस बारे में

Update: 2020-03-25 08:13 GMT

गेहूं का सीजन ऐसा हेाता है जब ज्यादातर मजदूर कटायी कर अपना साल भर का खाने लायक गेहूं जमा कर लेते हैं। हरियाणा और पंजाब में करीब 60 प्रतिशत गेहूं की काटायी हाथ से होती है। मजदूरों को इस दौरान काम मिलता है। अब लॉकडाउन की स्थिति में मजदूर कैसे खेत तक आएंगे....

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। जिस वक्त कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में लॉकडाउन की घोषणा कर रहे थे, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल के किसान एक ही बात सोच रहे थे। अब गेहूं की फसल का क्या होगा? क्योंकि फसल तैयार है। किसी भी वक्त कटायी शुरू होने वाली थी। अब कैसे होगा यह सब? यहीं चिंता किसानों के चेहरे पर बनी हुई है।

लॉकडाउन अचानक से हुआ। किसानों ने बताया कि अप्रैल के पहले सप्ताह में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। इस बार पहले ही मौसम की वजह से गेहूं को खासा नुकसान हुआ है। यदि अब समय पर गेहूं की कटायी नहीं होती तो फिर खेत में ही फसल खराब हो जाएगी।

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किसानों ने बताया कि एक दिन भी यदि गेहूं की कटायी लेट होती है तो समझो 5 प्रतिशत फसल खराब हो जाएगी। पकी फसल की समय पर कटायी न होने से इसक दाना खराब हो सकता है। फसल खेत में झड़ सकती है। इसके साथ ही यदि मौसम खराब हो गया तो पूरी फसल ही बर्बाद हो जाएगी।

Full View में इस वक्त 35 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल है, जबकि हरियाणा में 25 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल है। किसानों ने बताया कि लॉकडाउन का निर्णय उस वक्त लिया गया जब वह कटायी की तैयारी कर रहे थे। किसान यह भी कहते हैं कि किसी तरह से यदि फसल कटायी का मौका मिल भी जाता है, तो करेंगे कैसे? क्योंकि अभी तो मजदूर भी नहीं आ पा रहे हैं। 70 प्रतिशत फसल कटायी का काम तो प्रवासी मजदूर करते हैं। अब जब वह आ ही नहीं पाएंगे तो इस काम को करेंगा कौन? यह दूसरी समस्या किसानों के सामने हैं।

पंजाब के कृषि निदेशक डाक्टर सुतंत कुमार ऐररी ने बताया कि निश्चित ही यह फसल कटायी का सीजन है। लेकिन इससे भी बड़ी समस्या तो यह है कि इस वक्त कोरोना वायरस से कैसे निपटा जाये। उन्होंने बताया कि किसानों को इस बारे में जागरूक किया जा रहा है।

रियाणा के कृषि निदेशक डाक्टर रमेश यादव ने बताया कि अभी क्योंंकि मौसम ठंडा है। इसलिए गेहूं कटायी में कुछ वक्त लग सकता है। तब तक हालात को देख कर आगे का निर्णय लिया जा सकता है।

युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया कि समस्या किसान के सामने तो हैं, इसके साथ ही मजूदरों के सामने भी है। गेहूं का सीजन ऐसा हेाता है जब ज्यादातर मजदूर कटायी कर अपना साल भर का खाने लायक गेहूं जमा कर लेते हैं। हरियाणा और पंजाब में करीब 60 प्रतिशत गेहूं की काटायी हाथ से होती है। मजदूरों को इस दौरान काम मिलता है। अब लॉकडाउन की स्थिति में मजदूर कैसे खेत तक आएंगे। यह बड़ा सवाल है। उन्होंने बताया कि किसान के साथ साथ मजदूरों के लिए भी यह वक्त खासा मुश्किल भरा है। क्योंकि यदि वह गेहूं कटायी का काम नहीं कर पायेंगे तो साल भरा खायेंगे क्या?

किसानों ने बताया कि यदि किसी तरह से गेहूं की कटायी कर भी ली तो इसे मंडी तक कैसे लेकर जायेंगे? एेसे में होगा क्या? किसानों की दिक्कत यह भी है कि सरकार की ओर से भी उन्हें कोई गाइडलाइन नहीं दी गयी है। न यह बताया गया कि इस स्थिति में करना क्या है?

Full View चौहान ने बताया कि अप्रैल के बाद फसल का चक्र पूरा हो जाता है। इसके बाद किसान अगले साल का बजट तैयार करता है। यदि गेहूं की कटायी और बिक्री की दिशा में कुछ नहीं होता तो फिर किसान का यह चक्र ही खराब हो जाएगा। उसे बैंकों के कर्जों की किश्त देनी होती है। साल भर का खर्च का लेखाजोखा तैयार करना होता है। ऐसे में वह कैसे कर पाएगा यह सब।

किसान सुखबीर सिंह चौहान ने बताया कि ऐसे में तो अब गेहूं कटायी का एक ही साधन बचेगा हार्वेस्टर। इससे कटायी तो हो जाएगी, लेकिन फसल की बिक्री की समस्या आएगी। इसके साथ ही हारर्वेस्टर खेत तक आएगा कैसे? यह भी अलग तरह की चुनौती है।

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किसान खेत मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अशोक खटक ने बताया कि खेत मजदूरों के बारे में तो सोचा ही नहीं गया। उनका गुजारा अब कैसे होगा? इस बारे में सरकार को जल्दी ही सोचना चाहिए। क्योंकि यदि ऐसा नहीं होता तो यह तबका तो भूखा मर जाएगा। इसी तरह से मंडी में काम करने वाले मजदूरों को काम कैसे मिलेगा? यह भी सोचना होगा।

शोक खटक ने बताया कि हरियाणा और पंजाब में ढाई लाख मजदूर खेतों और मंडियों में काम करते हैं। लॉकडाउन में उनका क्या होगा?

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