लॉकडाउन : जानवर भी होंगे भुखमरी के शिकार, 300 रुपये वाले चारे के वसूले जा रहे 1200

Update: 2020-04-02 02:30 GMT

'अभी तो स्थिति ये है कि पैसा रहते हम गायों का चारा नहीं खिला पा रहे हैं क्योंकि घरों से निकलने पर पाबंदी है। बाहर निकलने पर पुलिस मारने को दौड़ती है ऐसे में हम कैसे इन जानवरों को चारा खिलायें...'

पटना से आलोक कुमार की रिपोर्ट

जनज्वार। वैश्विक कोरोना के कारण 21 दिनों तक संपूर्ण लॉकडाउन है। इसे पालन करने का दायित्व नागरिकों पर है। घर के बाहर नहीं निकलना है। अगर नागरिक दायित्व पूरा नहीं कर पा रहे हैं तो लागू करवाने का दायित्व प्रशासन पर आ जाता है। तो दायित्व निभाते दरम्यान बाहर निकलने पर पुलिस डंडे बरसाती है तो पहले से रखे हुए दानों से ही किसी तरह थोड़ा थोड़ा करके काम चला रहे हैं। खुले में पशु को छोड़ देते हैं। आज किस्मत अच्छी है कि पूरी-सब्जी खाने को मिल गया। जैसे लोगों को धिक्कार है जो पास पड़ोस के जरूरतमंद लोगों को पूरी-सब्जी न खिलाकर सड़क पर फेंक दिये।

इस तरह के व्यवहार से कृष्णा प्रसाद यादव दुखी हैं। वो कहते हैं कि आफत की घड़ी में मानवता ताक पर रख गए हैं। पास पड़ोस के जरूरतमंद लोगों को पूरी-सब्जी न खिलाकर सड़क पर फेंक दी। तो खुले में विचरण करने वाले पशु मुंह मारेंगे ही। खैर, वो 8 से 10 साल से खटाल का बिजनेस कर रहे हैं और इनका कहना है कि ऐसी समस्या कभी नही आई जो इस लॉकडाउन में झेलनी पड़ रही है। इन्होंने समस्या सुनाते हुए कहा कि गायों को खिलाने के लिए जो भूसा जिसे स्थानीय भाषा में कुट्टी कहा जाता है वो भी उपलब्ध नहीं हो रहा है।

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गर दुकानों में कहीं इसकी उपलब्धता भी है तो वहां मनमाने दाम लिए जा रहे हैं जो कुट्टी पहले 300 से 350 रुपये में उपलब्ध होती थी वो अब 1000 से 1200 रुपये में मिल रहा है और ये सिर्फ इस लॉकडाउन के कारण ही हो रहा है। जब इनसे पूछा गया कि सरकार तो उचित मूल्य पर सभी जरूरी चीजों को उपलब्ध करा रही है इस पर इनका कहना है कि सरकार दावा करती हैं पर वो दुकानों में नही देखती, इसके चलते हमे गायों को किसी तरह से घरों से निकलकर हरा चारे का इंतजाम कर रहे हैं जैसे गोभी के पत्ते, पालक आदि।

Full View कह ही रहे थे कि तपाक से पिन्टू राय बोलने लगे। इनके ऊपर भी लॉकडाउन की मार पड़ी है, इनकी समस्या भी वहीं है जो सभी खटाल वालो से मिलता जुलता है। इनका कहना है कि जो चोकर हजार रुपये में उपलब्ध था वो आज 15 सौ रुपये में मिल रहा है, जो कुट्टी 350 रुपये में एक मन मिलता था वो आज हजार से बारह सौ रुपये में मिल रहा है, अब समस्या ये भी है कि हम रेट भी नही बढ़ा सकते क्योंकि जो वर्षो से हमारा ग्राहक है वो कहीं दूध लेना न छोड़ दें। इस वजह से रेट भी नही बढ़ा सकते।

'अभी तो स्थिति ये है कि पैसा रहते हम गायों का चारा नहीं खिला पा रहे हैं क्योंकि घरों से निकलने पर पाबंदी है। बाहर निकलने पर पुलिस मारने को दौड़ती है ऐसे में हम कैसे इन्हें दाना खिलाये, आज कैसे भी करके 10 किलो कुट्टी का इंतजाम किया है तो उसमे से बहुत कम-कम करके इनको खिलाया। कल हमारी गायें भूखी रही हैं, दुकानों में जाने पर दुकानदार अलग शान दिखाता है जो चोकर 1000 रुपये में मिलता था उसे आज 15 सौ से दो हजार में बेच रहे हैं और मुलाई करने पर रॉब झाड़ते है।'

कोरोना जैसी महामारी से लड़ने को लेकर देशभर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर 21 दिन की लॉकडाउन है इस लॉकडाउन के आठवां दिन बिहार की राजधानी पटना में इसका साइड इफेक्ट कितना हो रहा है? इस लॉकडाउन के कारण व्यवसायियों को कितनी मुसीबतें झेलनी पड़ रही है? क्यों कह रहे हैं खटाल चलाने वाले दूध व्यवसाई कि अब खटाल को भी लॉकडाउन करने की स्थिति आ गई है? क्यों खटाल में रहने वाले भूख से बेहाल गाय खूंटी को तोड़कर कचरे खाने को हो गए हैं मजबूर?

क्यों खटाल मालिक कह रहे हैं कि गाय होते हैं बेजुबान, यह बोल नहीं सकते, भूख का दर्द हमें ही पता है क्योंकि हम कर रहे हैं उनकी देखभाल क्योंकि इस बंदी में गाय को खिलाने वाला चारा हो गया है काफी महंगा? ऐसी स्थिति में खटाल मालिक दूध का रेट भी नहीं बढ़ा सकते कारण जो वर्षों से ग्राहक है, वह दूध लेना ना छोड़ दे ऐसी स्थिति में हम पैसे रहते हुए भी गायों को चारा नहीं खिला सकते हैं? दाना नही मिला तो खटाल मालिक हरा घास ही लाकर इनका किसी तरह पेट पालने का कर रहे काम!

खिरकार इन खटाल मालिकों को लेकर क्या कर रही है बिहार सरकार क्या कर रहे हैं बिहार के पशुपालन मंत्री, क्योंकि मामला बेजुबान जानवर से जुड़ा है और इस लॉकडाउन की स्थिति में यह बेजुबान जानवर अपना दर्द बयां नहीं कर सकते हैं आखिर क्यों इतना महंगा हो गया है जानवरों का चारा, ऐसे में क्या कुछ कह रहे हैं पटना के दानापुर स्थित खटाल मालिक, क्यों उनके सीने में है इतना दर्द है।

सुभाष राय तीन साल से इस बिजनेस में है और इनका कहना है कि तीन साल से मैं इस कार्य में हूँ पर ऐसी समस्या कभी नहीं आई जो इस बंदी में आ रही है। इस बंदी में परेशानी इस बात की है कि पशुओं के चारा की किल्लत हो गई है ।एक तरफ पुलिस भी धमकी देती है हम जाए तो कहाँ जाए, एक तो चारा नही मिल रहा और हम चारों के लिए घरों से निकलते हैं तो पुलिस डंडे से मरती है ऐसे में हम कहाँ जाए?,आठ दिन से माल(गाय) भूखा है,किसी तरह से घास फूस का इंजमाम कर उन्हें जिंदा किए हुए हैं।

Full View कुमार भी दो साल से खटाल चला रहे हैं। अरुण के सामने भी लॉकडाउन से समस्या उत्पन्न हो गई है इनका कहना है कि हम दो साल से इस खटाल चला रहे हैं और ऐसी स्थिति कभी नही आई थी उन्होंने दिक्कत बताते हुए कहा कि अभी सबसे बड़ा समस्या है पशुओं के चारा का अभी जो दाना हम ला रहे हैं वो पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा महंगा मिल रहा है, जो चोकर पहले 11 सौ में मिलता था वो आज 2 हजार में मिल रहा है जो कुट्टी 350 रुपये में मिल रहा था वो आज एक हजार से ग्यारह सौ रुपये मन में मिल रहा है, लॉक बंदी में घरों से निकलने में भी परेशानी है बाहर निकलने पर पुलिस डंडे बरसाती है तो पहले से रखे हुए दानों से ही किसी तरह थोड़ा थोड़ा करके काम चला रहे हैं।

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तीन गुनी कीमत देने के बाद भी नहीं मिल रहा है चारा ।जानवर पालकों के सामने परेशानी यह है कि तीन गुनी कीमत भुगतान करने पर ही कुछ स्थानों से कुट्टी और चोकर मिल रहे हैं। इसके अतिरिक्त जानवरों को अन्य जरूरी सामान उपलब्ध भी नहीं हो रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के पशुपालकों के साथ-साथ शहरी इलाकों के खटाल वालों के समक्ष संकट की घड़ी आ गयी है। जानवरों के खाने के सामान का कारोबार करने वालों के यहां पशुपालकों की भीड़ लगी रही।

क पशुपालक ने बताया कि पशुओं को चारा नहीं मिलने से आनेवाले समय में काफी संकट हो जायेगा। पशु बिना चारे के नहीं रह सकते हैं। इस पर भी प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है।केंद्र ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर जानवरों को होने वाली परेशानी पर भी गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया है।

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