39 साल पहले फूलन देवी ने जिन 22 ठाकुरों को एक साथ मारा था, उस मुकदमे में 18 जनवरी को आएगा आखिरी फैसला

Update: 2020-01-07 12:39 GMT

बेहमई कांड पर 39 साल बाद कोर्ट सुनाएगा फैसला, 14 फरवरी 1981 को ठाकुर समुदाय के 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर उतार दिया गया था मौत के घाट, मुख्यारोपी फूलन देवी की हो चुकी मौत..

कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार। 14 फरवरी 1981 में 22 लोगों को लाइन में खड़ा कर के मार दिया गया था जिसे बेहमई कांड कहा जाता है। इस कांड को कहानी का रूप देकर बॉलीवुड में कई फिल्में भी बन चुकी हैं। इस घटना को अंजाम मशहूर डकैत जो बाद में और सांसद बनकर अपना राजनीति सफर शुरू किया था। फूलम देवी जिसे लगभाग हर एक भारतीय जानता है।

स कांड की सुनवाई 19 दिसंबर को पूरी हो चुकी थी। 39 साल बाद 6 जनवरी को सभी को फैसले की उम्मीद थी जो फिलहाल टल चुकी है। 39 साल इंतजार करने के बाद गांव वालो को अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। हत्याकांड में सत्र न्यायालय अब 18 जनवरी को फैसला सुनाएगा। बचाव पक्ष ने दलीलें पेश करने के लिए कोर्ट से वक्त मांगा। इसके बाद कोर्ट ने फैसले की तारीख आगे बढ़ा दी। दलीलें रखने के लिए वकीलों को 16 जनवरी तक का समय दिया गया।

Full View में मुख्य आरोपी फूलन देवी समेत 15 आरोपियों की मौत हो चुकी है। वहीं फूलन की गोली से घायल दो लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मरने वालों की संख्या 22 होने के बाद भी पुलिस रिकॉर्ड में मृतकों की संख्या 20 ही बताई गई थी।

जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल के मुताबिक 14 फरवरी 1981 को फूलन देवी के गिरोह ने बेहमई गाँव मे धावा बोलकर जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, लाल सिंह, रामाधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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स हादसे में जंटर सिंह समेत 6 लोग गोली लगने से घायल हुए थे। मौके पर छुपकर पूरी वारदात देखने वाले राजाराम चंदेल और रोशन ने फूलन देवी समेत 35 से 36 डकैतों के खिलाफ सिकंदरा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

बेहमई हत्या कांड की मुख्यारोपी फूलन देवी थी। उसने 1983 में मध्यप्रदेश में आत्मसमर्पण किया था। 1993 में फूलन जेल से बाहर आई। इसके बाद मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सपा के टिकट पर सांसद बनी। 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन देवी की दिल्ली में हत्या कर दी थी। इसके बाद फूलन का नाम केस से हटा दिया गया। 35 आरोपियों में से सिर्फ 5 पर केस शुरू हुआ। इनके नाम श्याम बाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोसा और राम सिंह थे। राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई। पोसा जेल में है। तीन आरोपी जमानत पर हैं।

स कांड में जज्बातों से घायल फूलन ने जगम्मनपुर में बाबा मुस्तकीम और मान सिंह समेत 35 डकैतों के साथ धावा बोल दिया। इस घटना को उस वक्त अंजाम दिया गया जब डकैतों के खिलाफ पीएसी अभियान चलाए हुए थी। उस समय घटना के इलाके में 3 ट्रक पीएसी मौजूद थी। फूलन देवी ने गोलियां दागी और लाउडस्पीकर से गोलों को धमका था। लेकिन मौके पर मौजूद पीएसी ने भी फूलन देवी का सामना करने की कोशिश नहीं की। फूलन देवी के इस तेवर को लोगों ने पहली दफा देखा था। पूरे इलाके में गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाज गूंज रही थी जिससे भगदड़ मच गई थी।

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दुकानदार भी अपनी दुकानें छोड़कर भाग खड़े हुए थे तो जेवरों की दुकाने लूट ली गई थीं। उस गांव के 6 लोगों का अपहरण कर लिया गया था। अगवा किये लोगों में नाथूराम दुबे ने 60 हजार, रामगोपाल सोनी ने 50 हजार, सुरेश सोनी, अरविंद सोनी, लल्लू, रूप सिंह ने 50-50 हजार रुपये देकर अपनी पकड़ छुड़ाई थी। उस वक्त लल्लूराम की माली हालत ठीक न होने के चलते उसे मुफ्त में ही छोड़ दिया गया था। इसके अलावा डकैतों की पकड़ में आये रूप सिंह ने 25 हजार रुपये भरे थे।

Full View के बहुचर्चित कानपुर देहात के बेहमई नरसंहार का फैसला फिर टल गया। ये वो कांड था जिसपर आज शायद ही कोई बात करना चाहता हो। कांड ही ऐसा था कि जिसपर हर कोई बोलने से भी बचना चाहेगा। वहीं कोर्ट में पेशी पर आये आरोपी पोसा ने अपने ऊपर लगाए गए सारे आरोप को नकार दिया है।

हीं फैसले की तारीख बढ़ाए जाने के बाद वादी राजाराम सिंह ने दुख जताते हुए न्याय न मिलने तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान भी किया। दरअसल कानपुर देहात जिले के गांव बेहमई 14 फरवरी 1981 को दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने अपने गिरोह के साथ गांव के 26 लोगों को बंधक बनाकर गोलियों से भून दिया था जिसमें 20 लोगों की मौके पर मौत हुई थी, मामला 39 सालों से कानपुर देहात के जिला एवं सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित कोर्ट मे विचाराधीन है, जिस पर आज कोर्ट में फैसला होना था लेकिन वहीं आरोपियों के वकील ने याचिका आज का कोर्ट में दायर कर सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की रूलिंग दाखिल करने का समय मांगा।

कोर्ट इस पर दोपहर 2 बजे सुनवाई की और सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित कोर्ट में 18 जनवरी को अंतिम फैसले की तारीख मुकर्रर कर दी गई है, वहीं आरोपियों के वकील को 16 जनवरी तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग पर जो भी बचाव पक्ष मे पेश करनी है कर सकते हैं।

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कानपुर देहात के डीजीसी (अपराध) राजू पोरवाल ने कहा, 'सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय की रूलिंग पेश करने के लिए आज आरोपी पक्ष के वकील ने बचाव याचिका दे कर बहस के लिए समय मांगा था। जिस पर कोर्ट ने 16 जनवरी तक रूलिंग की नजीरे पेश करने व बहस का समय दिया है और साथ ही 18 जनवरी को बेहमई कांड पर अंतिम फैसले की तारीख मुकर्रर कर दी है, पीड़ितो को न्याय जरूर मिलेगा।'

रोपी पक्ष के वकील गिरीश नारायण दुबे ने कहा, 'इस नरसंहार में आरोपियों के वकील गिरीश नारायण दुबे की माने तो आज फैसला सुनाये जाने की तारीख नहीं थी। लेकिन आज यह निर्धारित जरूर होगा कि कब माननीय न्यायालय फैसला सुनाएगा। न्यायालय द्वारा जो भी फैसला आएगा उसे स्वीकार किया जाएगा।'

वादी राजाराम सिंह ने कहा कि 6 जनवरी की सुबह बेहमई कांड को लेकर कोर्ट मे आने वाले फैसले को लेकर बेहमई नरसंहार कांड के पीड़ित सहित सैकड़ों लोग आज सुबह से ही कोर्ट मे पहुंच गए थे और 39 सालो से विचारधीन मामले पर फैसले का इंतजार कर रहे थे। लेकिन आरोपी पक्ष के वकील ने याचिका कोर्ट में दायर कर दिया। जिसके बाद कोर्ट ने फैसले को स्थगित कर दिया और आरोपी पक्ष के वकील की दलील के बाद फैसले की तारीख 18 जनवरी मुकर्रर कर दिया है।

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वादी राजाराम सिंह का कहना है कि कोर्ट व सरकार पर भरोसा नहीं रहा, जब आज फैसले की तारीख मुकर्रर थी बाबजूद इसके कोर्ट के न्यायाधीश ने बहस याचिका कैसे स्वीकार कर ली, वर्षो से हम लोग न्याय की उम्मीद मे बैठे थे लेकिन आज तक न्याय नहीं मिल सका। कई गवाह और पीड़ित न्याय की उम्मीद मे दुनिया छोड़ चुके है।

हीं बेहमई कांड के आरोपी पोसा 39 सालो से जेल में बन्द है। सोमवार 6 जनवरी को जब उन्हें कोर्ट में बहस के लिये लाया गया तो पुलिसकर्मी उन्हें पकड़कर सहारा देते हुए लाये थे। कोर्ट से बाहर आने के बाद पोसा ने बताया कि मुझे निर्दोष फंसाया गया है। फूलन के साथ गलत हुआ था जिसका बदला फूलन ने लिया था, न ही मैं बेहमई कांड में था और न ही मै फूलन की गैंग में रहा हूं। मुझे पुलिस ने गलत फंसाया है। मेरा फैसला ऊपर वाला करेगा।

बेहमई गांव के ग्रामीणो में फैसला आने की आस लगी थी परन्तु फैसला न आने पर मायूसी देखी गई। गांव के ग्रामीणों ने बताया कि हमें न्यायालय पर भरोसा है न्याय जरुर मिलेगा।

 

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