'भीलवाड़ा मॉडल' को सफल बनाने वाले सफाईकर्मियों को ताली-थाली नहीं, 50 लाख का स्वास्थ्य बीमा देगी गहलोत सरकार

Update: 2020-04-12 08:55 GMT

राजस्थान में अच्छी खबर ये हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर कल शाम को एक मीटिंग में तय किया कि कोरोना ड्यूटी में लगे सफाई कर्मचारियों का 50 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा किया जाएगा...

भीलवाड़ा से भंवर मेघवंशी की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। कोरोना से लड़ी जा रही इस जंग में फ्रंट वारियर्स के रुप में काम कर रहे सफाई कर्मचारी समुदाय के योगदान की। इस समय देश और विदेश में कोरोना को हराने के लिए भीलवाड़ा मॉडल की बड़ी चर्चा हो रही है। भीलवाड़ा, जहां पर अबतक 28 पॉजिटिव केस मिले जिनमें से दो लोगों की मौत हो चुकी है, एक अभी पॉजिटिव है, 25 लोग ठीक हो चुके हैं और उन्हें घर भेजे जा चुके है। ये एक ऐसी जंग थी जिसे भीलवाड़ा की जनता और जिला प्रशासन ने मिलकर के इससे जीतने में कामयाबी हासिल की। इस मॉडल को अब कई जगह लागू करने पर चर्चा हो रही है।

स भीलवाड़ा मॉडल को सफल बनाने में बहुत बड़ा भारी योगदान यहां के सफाई कर्मचारियों का भी रहा है। इस बारे में हमने भीलवाड़ा नगर परिषद के स्वास्थ्य अधिकारी आखेराम से बात की। उन्होंने बताया कि भीलवाड़ा में 55 वार्ड हैं जिनमें 1250 कर्मचारी काम करते हैं। इस समय दिन रात मेहनत कर रहे हैं और कोरोना से लड़ रहे हैं। आखेराम के मुताबिक, यहां पर 12 स्वास्थ्य निरीक्षक और 55 जिम्मेदारों के नेतृत्व में शहर में लगातार सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है। जबकि 300 सफाईकर्मी विभिन्न आइसोलेशन वार्ड में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं।

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स्वास्थ्य अधिकारी आखेराम का कहना है कि पूरे भीलवाड़ा शहर में अबतक तीन बार सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा चुका है। जिन इलाकों में पॉजिटिव संक्रमित ऱोगी मिले हैं उन इलाकों, गलियों- मोहल्लों में दिनरात सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा रहा है। शहर में छिड़काव की तीन गाड़ियां लगी हुईं हैं जो सड़कों की दोनों ओर छिड़काव करती हैं। ये सफाईकर्मी 35 पोर्टेबल छिड़काव करने वाली मशीनों को लेकर उन मोहल्लों में पहुंचते हैं जहां गाड़ियां नहीं पहुंच सकती हैं। अबतक 30 हजार लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जा चुका है। नगर पालिका परिषद भीलवाड़ा इस तैयारी में है कि 25 हजार लीटर और सोडियम हाइपोक्लोराइट का छिड़काव किया जाए। इन सफाईकर्मियों को अपनी सुरक्षा के लिए सेनेटाइजर, मास्क, गलव्स दिए गए हैं। जबकि जिन सफाईकर्मियो की ड्यूटी आइसोलेशन केंद्र में लगी है उन्हें सूट, मास्क, गलव्स समेत तमाम सुरक्षात्मक उपकरण दिए गए हैं।

आंखेराम बताते हैं कि भीलवाड़ा के 24 बड़े होटल, रिसोर्ट और 5 निजी हॉस्पिटल को अधिग्रहित करके करीब 1500 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है जबकि 5000 लोग क्वारंटीन किए गए हैं। इन स्थानों पर और पूरे शहर की स्वच्छता के लिए 1250 सफाईकर्मी दिनरात लगे हुए हैं।

राजस्थान में अच्छी खबर ये हैं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने निवास पर कल शाम को एक मीटिंग में तय किया कि कोरोना ड्यूटी में लगे सफाई कर्मचारियों का 50 लाख तक का बीमा किया जाएगा।

भीलवाड़ा को भीलवाड़ा मॉडल बनाने में सफाईकर्मचारियों के योगदान पर चर्चा करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संतोष चंदेल कहते हैं सिर्फ सफाईकर्मियों का स्वागत करने, फूल बरसाने या ताली बजाने से कुछ होने वाला नहीं है, उनकी जरुरतों को ध्यान में रखना जरुरी है। लेकिन जैसे इंतजाम भीलवाड़ा जिला प्रशासन और राजस्थान सरकार ने सफाईकर्मचारियों के लिए किए हैं वैसा देश के अन्य हिस्सों में देखने को नजर नहीं आता है।

देश के कई हिस्सों में सफाईकर्मियों पर फूल बरसाने, माला पहनाने या ताली बजाने की खबरें तो आ रही हैं लेकिन उनकी सुरक्षा के लिए उपकरण देने या उनके लिए बीमा करने जैसी कोई भी बात सामने नहीं आ रही है। सफाईकर्मचारी फ्रंटलाइन में खड़े होकर अपनी भूमिका निभा रहे हैं लेकिन उनके लिए व्यवस्थाएं क्यों नहीं हैं ये बड़ा सवाल है।

मारी सहयोगी दीपा माला ने गाजीपुर में वहां के सफाईकर्मचारियों के हालात को जाना तो पता चला कि उनको किसी प्रकार के सुरक्षात्मक उपकरण नहीं दिए गए हैं और वह अपनी पुरानी वर्दी और उपकरणों के साथ ही अपनी जान को जोखिम में डालक काम कर रहे हैं।

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लेखक संजीव खुदवाह ने कहा कि पहले से ही सफाई कामगारों की हालत बहुत खराब है। ठेका प्रथा ने सफाई कर्मचारियों को गरीबी रेखा से नीचे लाकर खड़ा कर दिया है। उन्हें सात से आठ हजार महीने के मिलते हैं और जो सीनियर सफाई कामगार हैं उन्हें दस हजार रुपये तक मिलते हैं लेकिन लोग समझते हैं कि उन्हें हार पहनाकर, फूल बरसाकर, उनके लिए ताली बजाकर उनकी जिम्मेदारी पूरी हो जाती है लेकिन इससे किसी सफाई कामगार का पेट नहीं भर पाता है।

न्होंने कहा कोरोना जैसी महामारी ने सफाईकर्मियों को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। वे बिना पीपीई और साधन के जोखिम में काम कर रहे हैं। ना उनको बीमा दिया जा रहा है औ न ही कोरोना भत्ता मिल रहा है। ऐसी ही परिस्थिति में काम करते हुए एक सफाईकर्मी संदीप का निधन हो चुका है। तो यह बहुत विकट स्थिति है और ऐसी विकट स्थिति को निपटने के लिए सरकार को निश्चित रुप से कोई ठोस कदम उठाने चाहिए, नहीं तो सफाई कामगारों की स्थिति बहुत खराब हो जाएगी।

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