पहाड़ी आलू की खेती पर छाया संकट

Update: 2017-07-20 20:38 GMT

नैनीताल। एक ओर जहां उत्तराखंड में कर्ज में दबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार आलू किसानों को फसल नुकसान का बीमा तक नहीं दिलवा पा रही है। पहाड़ किसान यूनियन ने कर्ज में डूबे आलू किसानों को आलू नुकसान का बीमा नहीं मिलने पर रोष प्रकट किया है।

पहाड़ किसान यूनियन ने बैठक कर सरकार से आलू किसानों को राहत देने की मांग की है। बैठक में कहा गया कि सरकार द्वारा बीमा कम्पनी के माध्यम से बीमा की व्यवस्था की है। लेकिन आलू किसानों द्वारा लगातार प्रीमियम देने के बावजूद किसानों को पिछले चार वर्षों से नुकसान होने के बावजूद बीमा की धनराशि नहीं दी जा रही है। हालत यह है कि किसान बैंक से कर्ज लेकर नुकसान की भरपाई कर रहा है। नुकसान व कर्ज के कारण वह मानसिक रूप से परेशान है।

पहाड़ किसान यूनियन के अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट की अध्यक्षता में आहूत बैठक में वक्ताओं ने कहा कि पिछले चार वर्षों से आलू किसान लगातार प्रीमियम की राशि भुगतान कर रहा है। लेकिन बीमा कम्पनी द्वारा नुकसान की भरपाई नहीं की जा रही है। कभी मौसम की मार तो कभी बाजार भाव नहीं मिलने से आलू किसान की हालत दयनीय हो गई है। भरपाई के लिए किसानों ने बैंक से कर्ज लिया है।

वक्ताओं ने कहा कि वर्ष 2015-16 में बेमौसमी वर्षा के कारण आलू की फसल में रोग लगने से भारी नुकसान पहुंचा था। वहीं 2016-17 में सूखे के कारण आलू की फसल नष्ट हो गई थी। लेकिन बीमा कम्पनी को सूचना देने के बाद भी नुकसान की भरपाई नहीं की गई है।

आलू किसानों ने कहा है कि कर्ज में डूबे किसानों को यदि बीमा राशि का भुगतान किया जाता तो उन्हें कुछ राहत मिल जाती। लेकिन शासन-प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। ऐसे में किसान कभी भी आत्मघाती कदम उठा सकता है।

बैठक में आलू किसान यूनियन के कुन्दन सिंह बिष्ट, प्रकाश सिंह, किशन पधान, पीतांबर मेलकानी, दीपक दानी, उम्मेद सिंह भवान रौतेला व जीतू जोशी ने भी अपने विचार रखे।

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