ससुराल जा रहे दलित युवा को भीड़ ने चोरी के शक में पेट्रोल डाल जला दिया था जिंदा, अब अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ रहा जंग

Update: 2019-07-20 12:37 GMT

अस्पताल में भर्ती पीड़ित दलित युवक और उसके परिजनों से रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात, कहा क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर राज्य की योगी सरकार हुई है नाकाम....

लखनऊ,जनज्वार। सामाजिक-राजनीतिक संगठन रिहाई मंच के प्रति​निधिमंडल ने बाराबंकी में जिंदा जलाए गए दलित युवक से मुलाकात की। गौरतलब है कि बाराबंकी में चोरी के शक में दबंग ग्रामीणों द्वारा 18 जुलाई की रात अपने ससुराल जा रहे एक दलित युवक को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया गया था और उसके बाद पेट्रोल डालकर उसे जिंदा जला देने की कोशिश की थी।

रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती पीड़ित सुजीत गौतम व उसके परिवार से मुलाक़ात के बाद कहा कि क़ानून-व्यवस्था के मोर्चे पर राज्य सरकार नाकाम हुई है। राजधानी के ठीक बगल में हुई यह घटना योगी के उस बड़बोले बयान की पोल खोलती है, जिसमें कहा गया था कि अपराधी या तो जेल में हैं या उनका राम नाम सत्य हो चुका है। रिहाई मंच के प्रतिनिधिमंडल में शकील कुरैशी और शाहरुख अहमद शामिल थे।

रिहाई मंच के प्रतिनिधियों को दलित युवक सुजीत गौतम के ससुर तिल्लोकी ने बताया कि सुजीत लखनऊ में वेल्डिंग का काम करता है। जिस दिन उसे पीटने के बाद जिंदा जलाने की कोशिश की गई, उस दिन ज्यादा काम होने के कारण उसे लखनऊ से निकलने में देर हुई थी। उस दिन सुजीत को अपने ससुराल जाना था। वह राघवपुरवा गांव पहुंचा ही था कि कुत्ते उस पर भौंकने लगे।

गांव के लोगों ने उसे चोर समझा और बिना किसी पूछताछ के पीटना शुरू कर दिया। सुजीत चीखता रहा कि वह चोर नहीं है, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी। दबंगों ने उसे लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा। उसे करंट लगाया, पानी के ड्रम में देर तक डुबोकर रखा। अधमरा हो जाने के बाद उस पर पेट्रोल डाला और फिर आग लगा दी। वह तड़पता रहा, लेकिन बर्बर हमलावरों को उस पर तनिक दया नहीं आयी।

दामाद के साथ हुई इस घटना का पता चलते ही सुजीत के ससुर तिल्लोकी घटनास्थल पर पहुंचे। दबंगों ने उन्हें भी घेर लिया। उन्हें ज़मीन पर गिराकर उन्हें भी लात-घूंसों से पीटा।

राजधानी लखनऊ के अस्पतल में अपने भाई का इलाज करा रही सुजीत की बहन कहती हैं कि घटना वाले दिन से एक दिन पहले उसके भाई और भाभी के बीच झगड़ा हुआ था। झगड़े के बाद उनकी भाभी अपने मायके चली गयी थी। रात के समय उनका भाई सुजीत अपनी ससुराल पत्नी को लेने जा रहा था। रास्ते में कुछ लोगों ने उसके भाई पर हमला कर दिया। उन्हें मारा पीटा, बिजली के करंट के झटके लगाए और फिर उनके शरीर पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी गयी। अब उनका भाई जिन्दगी और मौत से जंग लड़ रहा है।

मॉब लिंचिंग के शिकार हुए सुजीत के दो बच्चे हैं। एक तीन साल का और दूसरा सात महीने का दुधमुंहा। उसकी पत्नी मायके में थी। वह बीबी-बच्चों से मिलने ससुराल जा रहा था। सुजीत मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालता था। उसे इस कदर मारा गया कि ठीक होने में उसे सालों लग जायेंगे। सुजीत के ससुर कहते हैं, उसका तो जीवन ही बर्बाद हो गया। अब उसके बीबी-बच्चों का क्या होगा।

सुजीत के परिवार ने मांग की कि शासन-प्रशासन अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करे और उसे जल्द से जल्द न्याय मिले। सुजीत के परिजनों ने भुखमरी से बचने के लिए शासन-प्रशासन से मुआवजा दिये जाने की भी गुहार लगायी।

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