दिल्ली की यह हालत तब है जब राज्य में केजरीवाल की ईमानदार सरकार है, जो आम आदमी के लिए काम करती है...
दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पुलिस ने कठपुतली कॉलोनी खाली करवाने के चक्कर में बर्बरता की हद पार कर दी है। लाठीचार्ज में अब तक कई लोग घायल हो चुके हैं। सामाजिक कार्यकर्ता एनई राजा भी लाठीचार्ज में घायल हुई हैं।
मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक कॉलोनी को पुलिस ने चारों ओर से घेर लिया है और किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है। यहां तक कि पुलिस घायलों के लिए अंदर एम्बुलेंस तक नहीं ले जाने दे रही है।
दिल्ली की यह हालत तब है जब राज्य में केजरीवाल की ईमानदार सरकार है, जो आम आदमी के लिए काम करती है।
इस मुद्दे पर जन संघर्ष वाहिनी के भूपेंद्र सिंह रावत कहते हैं, डीडीए ने आज राजधानी दिल्ली के मध्य में 6 दशक से अधिक अवधि से आबाद कठपुतली कालोनी में जिस तरह लोगों बल प्रयोग कर हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। उससे यह बात साफ होती है कि डीडीए की नीयत ठीक नहीं है।
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में जहां पर कठपुतली कालोनी में उसी जगह लोगों को घर बनाकर देने की योजना बनाई गई थी, जिसमें उक्त कालोनी में 2800 फ्लैट बनाने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया था। कालोनी वासियों का सर्वे 2011 में किया गया और वर्ष 2014 में 2641 परिवारों के नाम सूची में शामिल किए।
उसके बाद 2014 में कालोनी के लोगों की जो सूची तैयार की गई, उसमें 1200 से अधिक परिवारों के नाम शामिल नहीं किये गए। डीडीए के इस तरह के रवैये के खिलाफ 2014 में कॉलोनीवासी हाईकोर्ट गए, जिसके बाद 1203 लोगों ने अपने वहां के होने के सबूत जमा किये, लेकिन डीडीए ने 1203 परिवारों में से मात्र 44 लोगों के नाम शामिल करने की बात कही गई।
भूपेंद्र रावत कहते हैं, DUSIB की पालिसी के मुताबिक 1 जनवरी 2015 से पहले के उन सभी परिवारों को पुनर्वास का हक है जो इसके पक्ष में इस अवधि के प्रमाणिक दस्तावेज जमा करेंगे। पूर्व में जिन परिवारों के नाम सूची में शामिल नहीं किये गये थे ऐसे लोगों ने अब दुबारा आवेदन किया और इस अवधि के दौरान वंश वृद्धि के कारण बढ़े अनुमानित 1000 परिवारों ने और आवेदन किया। इस तरह कालोनी में जनवरी 2015 से पूर्व के परिवारों की संख्या लगभग 4,800 है।
मगर डीडीए 2800 परिवारों को कठपुतली कालोनी में और 419 लोगों को नरेला में पुनर्वास करने को तैयार है, बाकी 1600 परिवारों का पुनर्वास तो दूर डीडीए सूची में उनके नाम भी शामिल करने को तैयार नहीं है। डीडीए द्वारा कठपुतली कालोनी के सभी लोगों के नाम शामिल न कर DUSIB की जनवरी 2015 तक के निवासियों का पुनर्वास करने की नीति का उल्लंघन कर रही है। साथ ही उस समझौते का उल्लंघन कर रही है जिसके तहत कठपुतली कालोनी के निवासियों को उसी जगह घर बना कर दिया जाने थे।
यही नहीं डीडीए द्वारा वर्ष 2013 में बने भूमि अधिग्रहण पुनर्वास और उचित मुआवजे के अधिकार में पुनर्वास के अधिकार का भी उल्लंघन किया जा रहा है।