जोहरा नहीं है बंगलादेशी, आंदोलन को कमजोर करने के लिए रची गई कहानी

Update: 2017-07-16 10:39 GMT

घरेलू कामगार जोहरा पर अत्याचार करने वाले नोएडा के महागुन सोसायटी के लोग तो उसे बंगलादेशी साबित करने की साजिश रच ही रहे थे, आरएसएस के नजदीकी संगठन ग्रुप आॅफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडमीशियन (जीआईए) ने भी अपनी पूर्वाग्रहों वाली फैक्ट फाइडिंग में उसे बंगलादेशी करार दिया था। लेकिन सच आप खुद देखिए—

घरेलू कामगारों की बस्ती से लौटकर सुनील कुमार की ग्राउंड रिपोर्ट

भारत के पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिला स्थित दिनहाटा के रहने वाली जोहरा अपने पति अब्दुल, 3 बेटे, 1 बेटी और सास के साथ सेक्टर 78, नोएडा की एक झुग्गी में रहते हैं, जिसके लिए 500 रुपये किराया चुकाते हैं. अब्दुल सेटरिंग का काम करते हैं और भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी इलेक्शन आईकार्ड को दिखाते हुए बताते हैं कि उनकी पत्नी और माँ घरेलू सहायिका का काम करती हैं।

जोहरा के पति को हमें अब अपना आईकार्ड इसलिए दिखाना पड़ता है जिससे वो साबित कर सके कि वह बंगलादेशी नागरिक नहीं बल्कि भारतीय है।

जोहरा की मालकिन द्वारा फैलाया गया झूठ कि वो बंगलादेशी है सोशल साईट पर खूब प्रचारित किया जा रहा है, जबकि अब्दुल के पास उसके गाँव का वोटर पहचान पत्र है, जिसका नम्बर RNL 1583921 है जो 10 मार्च 2012 को जारी किया गया है। उसकी वोटर आईडी में गाँव का पता Maidam, Maidam, Dinhata Coochbeh AR-7361334 हिंदी और बंगला में दर्ज है।

जोहरा कहती हैं कि वह 4 माह से महागुन सोसायटी के सेठी परिवार के पास काम कर रही थी। बर्तन धोना, झाड़ू और डस्टिंग करना, कपड़े सुखाना, तह लगाना, जिसके लिए उन्हें 3500 रुपए प्रतिमाह मिलते थे। वो 7 घरों में काम कर रही थी. जोहरा आगे कहती है सेठी परिवार के पास उसका दो माह का पैसा बकाया था। जब उसने अपना बकाया पैसा मांगा तो चोरी का आरोप लगाकर उसकी पिटाई कर दी गई और उसका मोबाईल रख लिया.

शाम को 7 बजे वो अपने घर पहुंच जाती थी, लेकिन 11 जुलाई को वो अपनी झुग्गी में नहीं पहुंची। उसकी सास भी उसी सोसाइटी में काम करती थी। उसने अपने बेटे अब्दुल से 8 बजे कहा कि आज जोहरा अभी तक घर भी नहीं पहुंची है।

जोहरा के पति अब्दुल बताते हैं कि जब उन्होंने महागुन सोसाइटी में पहुंचकर गार्ड से पता किया कि जोहरा किस समय यहाँ से गई है, लेकिन उसकी सोसाइटी में दाखिल होने का समय रजिस्टर में दर्ज था निकलने का नहीं. अब्दुल जब अपनी पत्नी जोहरा के बारे में पूछने सेठी परिवार के पास गया तो घर की मालकिन बोली उसने मेरा पैसा चुराया है और अब वो पता नहीं कहां है.

अब्दुल के साथ उसी सोसाइटी की एक दूसरी महिला भी थी, जिसके पास जोहरा काम करती थी उसने सेठी परिवार की महिला से कहा कि वो मेरे पास 6 माह से काम करती है। आज तक चोरी नहीं की, तुम्हारे पास चोरी कर ली.

जोहरा का फोन भी स्विच ऑफ़ था, क्योंकि सेठी परिवार ने अपने पास उसका फोन रख लिया था. अब्दुल ने 100 नम्बर पर फोन किया तो पुलिसकर्मी आये और सेठी परिवार से अंदर जाकर बात की। सेठी परिवार से बात करके पुलिसवाले बाहर निकले तो कहा कि तुम्हारी बीबी किसी लड़के के साथ भाग गई होगी, तुम थाने जाकर रिपोर्ट करो.

अब्दुल कहते हैं कि वह रात के 12 बजे अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने गया। उस समय ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने एक पेपर पर लिखकर दे दिया की 10 पासपोर्ट साईज फोटो, 2 पोस्टकार्ड साइज़ और 1 फोटो 4 X 10 का लेकर वह सुबह रिपोर्ट दर्ज करवाने पहुंचे। सुबह 4 बजे अब्दुल ने अपनी माँ के साथ महागुन सोसायटी के गेट पर पहुंचकर वहां काम करने वाली सभी घरेलू सहायिकाओं को इस बात की जानकरी दी और अनुरोध किया कि जब कि जोहरा नहीं मिलती कोई काम न करे।

धीरे—धीरे घरेलू सहायिकाएं गेट पर जमा होने लगीं और लोग भी आ गये। पुलिस भी वहां पर मौजूद थी। बातचीत हो रही थी, तो गार्ड ने 3 हवाई फायर कर दिए। गुस्से में आकर लोगों ने सोसाइटी का गेट तोड़ दिया। उसके बाद पुलिस और सोसायटी के 40 गार्डों ने ने मिलकर लोगों की पिटाई कर दी।

कुछ समय बाद एक गार्ड ने आकर कहा कि जोहरा मिल गई है. अब्दुल ने जब उससे कहा कि मुझे जोहरा के पास ले चलो तो गार्ड ने साफ इंकार कर दिया और कहा कि मैं उसे लेकर आता हूं। गार्ड गया और वापस आया तो बोला कि वो अभी नहीं आएगी, बाद में आएगी.

कुछ समय बाद उसको पुलिस वाले अचेत अवस्था में लाये और कहा कि ले जाओ इसको घर। अब्दुल ने जब इस हालत में अपनी पत्नी को ले जाने से माना किया तो पुलिस जोहरा को अस्पताल लेकर गई. अस्पताल से छुट्टी होने पर पुलिस ने उसकी दवा का पर्ची और अस्पताल के पेपर रख लिये और जोहरा को केवल दवा पकड़ा दी। जब मीडिया ने इस बारे में पूछना चाहा तो कहा कि जोहरा को कोई चोट नहीं आई है।

दिल्ली महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद जोहरा की तरफ से एक एफआईआर तो दर्ज हुई, मगर उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। दूसरी तरफ सोसाइटी की तरफ से तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसके आधार पर पुलिस रात को बस्ती से 58 लोग को उठाकर थाने ले गई। जिनमें जोहरा का 14 साल का बेटा भी शामिल था।

यही नहीं इस मामले में 13 लोगों पर केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है और बाकी लोगों को धमकाकर छोड़ दिया गया है। इस घटनाक्रम में अब पुलिस जोहरा और उसके पति अब्दुल को गिरफ्तार करना चाहती है।

(सुनील कुमार पिछले 15 वर्षों से मजदूर आंदोलन में सक्रिय हैं और उनकी समस्याओं पर लगातार रिपार्टिंग करते हैं।) 

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