बेमौसम बारिश से फसल हुई बर्बाद तो बुजुर्ग किसान ने आत्महत्या की, छह दिन तक पेड़ से लटका रहा शव

Update: 2019-11-20 09:20 GMT

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, एनसीआरबी ने हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में बताया था कि महाराष्ट्र किसानों की आत्महत्या के मामले में नंबर वन है, अब एक और बुजुर्ग आदिवासी किसान ने आत्महत्या की है ...

जनज्वार। किसानों की आत्महत्या के मामले में नंबर एक पर आने वाले महाराष्ट्र में एक और किसान ने पेड़ पर लटककर आत्महत्या कर ली। आदिवासी किसान तुलसीराम शिंदे का शव मंगलवार 19 नवंबर को पेड़ पर लटका मिला। उससे भी बड़ी बात यह है कि शव छह दिन से पड़े पर लटका हुआ था। मृतक किसान के परिजनों का कहना है कि बेमौसम बारिश के चलते उनकी फसल बर्बाद हो गई थी। इस वजह से उन्होंने ये कदम उठाया।

हाराष्ट्र में बेमौसम बारिश और मानसून के देरी से आने के कारण किसानों के ऊपर परेशानी बन आई है। 62 वर्षीय किसान तुलसीराम शिंदे महाराष्ट्र के अकोला के पिपलोली का रहने वाला था। शिंदे का शव अकोला शहर से करीब सत्तर किलोमीटर दूर एक पेड़ से लटका हुआ मिला। तुलसीराम शिंदे ने फसल बर्बाद हो जाने के कारण अपनी जान दे दी।

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न्नी पुलिस थाने के निरीक्षक गणेश वनारे ने किसान द्वारा आत्महत्या किए जाने कारण फसल का बर्बाद होना बताया। उनके मुताबिक फोरेस्ट गार्ड ने पेड़ पर व्यक्ति क शव के लटके होने की जानकारी दी। जांच में पता चला कि मृतक का नाम तुलसीराम शिंदे था जो पिंपलोली गांव का रहने वाला था, वह बीते 13 नवंबर से घर से लापता था। शव को पोस्टमार्ट्म के लिए भेज दिया गया है और मामले की जांच की जा रही है।

बेमौसम के कारण राज्य के कई जिलों में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा है जिसका मराठवाड़ा और उतर महाराष्ट्र के किसानों को काफी खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल ही में किसानों को मुआवजे की घोषणा की जिसमें जिन खरीफ की फसल के किसानों की दो हेक्टेयर जमीन है उनको आठ हजार रुपए और बागवानी फसलों वाले किसान जिनकी जमीन दो हेक्टेयर तक है उन्हें 18000 रुपए देने की घोषणा की है। जबकि विपक्षा प्रभावित किसानों के लिए 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर देने की मांग कर रहा है।

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ता दें कि बता दें कि एनसीआरबी की ओर से हाल ही में एक्सीडेंटल एंड सुसाइड रिपोर्ट जारी की गई जिसमें यह जानकारी सामने आई थी कि साल 2016 में 11,376 किसानों ने आत्महत्या की। रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने 948 या हर दिन 31 किसानों ने आत्महत्या की। इस रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र किसानों की आत्महत्या के मामले में पहले नंबर पर रहा।

ह पहला मामला नहीं है जब अकोला में किसी किसान ने आत्महत्या की हो, इससे पहले 6 अगस्त 2019 को छह किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय में जहर पी लिया था। इन किसानों की जमीन हाईवे के लिए अधिगृहित की जा रही थी।

किसानों का आरोप था कि सरकार उन्हें अन्य किसानों की अपेक्षा कम मुआवजा दे रही है। इसमें से एक किसान मुरलीधर राऊत की चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में भी कर चुके हैं। ये किसाने लंबे समय से न्याय की गुहार लगा रहे थे। किसानों ने 29 जुलाई को ही जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर आत्महत्या की चेतावनी दी थी।

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