गौरखालैंड में बंद के कारण भुखमरी का संकट

Update: 2017-07-25 23:04 GMT

पश्चिम बंगाल, गोरखालैंड । पृथक गोरखालैंड की मांग लेकर पिछले 41 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल हो रही है, जिसके कारण इंटरनेट सेवाओं से तो इस क्षेत्र को पहले से वंचित रखा ही गया था, अब इस पहाड़ी क्षेत्र में खाद्यान्न संकट भी गहराने लगा है।

कालिम्पोंग जनपद की एक सामाजिक संस्था कृषक कल्याण संस्था ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र लिखकर कालिम्पोंग के लोगों को हो रही सुविधाओं के बारे में अवगत कराया। पत्र में कहा गया चूंकि पृथक गोरखालैंड के कारण यहां अनिश्चितकालीन हड़ताल के चलते इंटरनेट सेवाएं ठप्प पड़ी हैं, इसलिए यह पहाड़ी भूभाग वैश्विक घटनाओं से एकदम कट गया है।

गोरखालैंड की मांग को लेकर पहाड़ के लोगों ने शांतिप्रिय तरीके से बंद का समर्थन किया है, मगर सरकार आम लोगों को इंटरनेट से दूर कर उनके अधिकारों का हनन कर रही है।

गृहमंत्री के साथ किए गए पत्राचार के हवाले से कृषक कल्याण संगठन के महासचिव विष्णु छेत्री कहते हैं कि पहाड़ और सिक्किम की तरफ जाने वाले खाद्यान्न को सिलिगुड़ी में रोक दिया जा रहा है, जिससे आम लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जो लोग जबर्दस्ती खाद्यान्न को पहाड़ और सिक्किम की तरफ ले जाने की कोशिश कर रहे हैं, उनपर पुलिस बल प्रयोग कर उन्हें रोक रही है, जिससे कि लोग अनिश्चितकालीन बंद का समर्थन करना बंद करें।

संस्था ने गृहमंत्री से मांग की है, सरकार का इस तरह का कदम गोरखाओं के विरूद्ध षड्यंत्र है। पहाड़ में खाद्यान्न संकट गहरा रहा है, जिससे आम लोगों को भारी दिक्कतें हो रही हैं। बंगाल सरकार का ऐसा कदम आम लोगों के जीने के मौलिक अधिकार का भी खुला उल्लंघन है, क्योंकि खाद्यान्न जीने के लिए जरूरी है।

संस्थाने राजनाथ सिंह से मांग की है कि गोरखा संवैधानिक तरीके से पृथक गोरखालैंड की मांग कर रहे हैं, इसलिए वहां के लोगों को इस तरह परेशान करना असंवैधानिक है। पहाड़ की जनता को इंटरनेट सेवाओं और खाद्यान्न से वंचित न रखा जाए और हमें अपने अनिश्चितकालीन बंद को शांतिपूर्ण तरीके से करने दिया जाए। अगर सरकार आमजन को खाद्यान्न जैसी मूलभूत आवश्यकता से दूर रखेगी तो यहां हिंसा फैल सकती है।

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