पीएम मोदी और भाजपा की नीतियों से 'लोकतांत्रिक मूल्यों' और 'आज़ादी' सूचकांक में लुढ़का भारत

Update: 2020-03-06 02:30 GMT

फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व में भारत अपने लोकतांत्रिक मानदंडों को खो रहा है...

जनज्वार। एक अमेरिकी गैर-सरकारी संगठन ने भारत में आजादी और लोकतांत्रिक मूल्यों की बिगड़ती स्थिति को लेकर आगाह किया है। भारत के लिए यह अधिक चिंता की बात इसलिए है कि इस साल भारत को 'आंशिक रुप से आजाद' (पार्टली फ्री) की श्रेणी से निकाल कर 'आजादी नहीं' (नॉट फ्री) की श्रेणी में डाल दिया गया है।

'द फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020' की रिपोर्ट में 195 देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता की आजादी का विश्लेषण कर उन्हें रैंक किया गया है और उन्हें श्रेणीवार बांटा गया है। इस सूची में 83 देशों को 'फ्री' 63 देशों को पार्टली फ्री और 49 देशों को नॉट फ्री की श्रेणियों में रखा गया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व में भारत अपने लोकतांत्रिक मानदंडों को खो रहा है। इस सूचकांक को तैयार करते समय सरकार का कामकाज, पारदर्शिता, क़ानून व्यवस्था, बहुलतावाद और आस्था व अभिव्यक्ति की आज़ादी को ध्यान में रखा गया। इस रिपोर्ट में जिन 25 सबसे अधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देशों को शामिल किया गया है, उसमें भारत की गिरावट सबसे अधिक है।

बुधवार को जारी रिपोर्ट में गिरावट में जिन मुख्य चीजों को ज्रिक किया गया है उसमें कश्मीर का कई महीनों तक बंद रहना, सीएए कानून का पास होने के साथ ही असम में एनआरसी को लागू करना बताया है।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि किसी लोकतांत्रिक देश द्वारा सबसे लंबे समय के लिए इंटरनेट बंद करने वाला देश भारत है। इसमें कश्मीर में इंटरनेट पर पाबंदी का जिक्र किया गया ह। वहीं भारत में अभिव्यक्ति की आजादी को खतरे में मानते हुए कहा गया है कि भारत में हाल में पत्रकारों, शिक्षाविदों और अन्य लोगों को सरकार के खिलाफ बोलने पर लोगो को जान से मारने की धमकी दी जा रही है।

फ्रीडम हाउस द्वारा जारी रिपोर्ट पर स्वराज पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव कहते है कि यह सच है कि पिछले कुछ सालों में भारत में बोलने की आजादी कम हुई है। लोगों के हर तरह के मानव अधिकार की स्वंत्रतता कम हुई है। देश में इस समय तो आजादी बोलना भी एक अपराध हो गया है। अमेरिका की संस्था क्या बोल रही है मेरे लिए वो महत्वपूर्ण ना होकर मेरी आंखों के सामने क्या क्या बीत रहा है वो ज्यादा महत्वपूर्ण है। सभी लोगों के साथ जिस तरह से भेदभाव किया जा रहा है उससे देश की आजादी और हमारा संविधान बड़े खतरे में है।

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