अपने कट्टर धार्मिक नेताओं को पीछे खदेड़ हाथ में तिरंगा लिये लोकतंत्र और संविधान बचाने निकलीं हैं मुस्लिम महिलाएं
सीएए-एनआरसी-एनपीआर, भाजपा-आरएसएस पर खुलकर बोलीं शबनम हाशमी, उन्होंने कहा धर्म बचाने नहीं बल्कि लोकतंत्र को बचाने घरों से बाहर निकलीं हैं मुस्लिम महिलाएं ..
जनज्वार। मानवाधिकार कार्यकर्ता और पूर्व अभिनेत्री शबनम हाशमी ने नागरिक संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ प्रदर्शन कर रही शाहीनबाग की महिलाओं का समर्थन किया है। शबनम ने जनज्वार से बातचीत में कहा कि शाहीनबाग की महिलाएं धर्म नहीं बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे निकली हैं।
शबनम हाशमी ने जनज्वार से बातचीत में कहा कि भाजपा ने मुस्लमानों की पूरे हिंदुस्तान में एक देशद्रोही की इमेज बनाई है। मोदी जी ने ऐसी इमेज बनाई कि मुसलमान औरतों को बहुत दबा के रखा है, मैं मुस्लमान औरतों का मसीहा हूं और मैने तीन तलाक खत्म करवा दिया।
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शबनम आगे कहती हैं मुस्लिम महिलाएं धर्म के लिए नहीं बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने के लिए निकल रहे हैं। भाजपा और आरएसएस में मुसलमान की जो एक स्टीरियो टीपिकल इमेज है, उसमें यह फिट नहीं बैठता। इसलिए उनकी जो पॉलोराइजेशन की राजनीति है उसमें उनको तकलीफ होती है कि पॉलोराइज कैसे करें।'
वह आगे कहती हैं, 'अगर मुसलमान सड़क पर तिरंगा लेकर निकल रहा है, राष्ट्रगान गा रहा है, इंकलाब जिंदाबाद, संविधान को बचाना है, के नारे लगा रहा है तो उसके बाद भाजपा के लिए बहुत मुश्किल हो जाती है। ये खासतौर से मुसलमानों के लिए एक बिल्कुल नया रूप है। जितने भी बंधन, मुस्लिम धार्मिक नेता, मुस्लिम कट्टरवादी ताकतें हैं इस बार मुसलमान औरतें और मर्द उनके पीछे खदेड़कर बाहर निकले हैं। मैं इसे हिंदुस्तान के इतिहास में एक अहम मोड़ मानती हूं जहां मुस्लिम अपने धार्मिक नेताओं को नकार रहे हैं।
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सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन को लेकर शबनम कहती हैं, 'सिर्फ शाहीनबाग में ही नहीं इलाहाबाद में भी हजारों औरतें धरने पर बैठी हुई हैं। वह कहती हैं कि अगर शाहीनबाग में महिलाएं बैठ सकती हैं तो हम क्यों नहीं बैठ सकते। इसी तरह बंगाल-हैदराबाद में भी औरतें बाहर निकलकर आ रही हैं। यह एक बहुत अच्छा संकेत हैं। यह हमारे देश की राजनीति के लिए बहुत अच्छा है कि इस बार मुसलमान और बाकी सब हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई संविधान और लोकतंत्र को बचाने निकले हैं।