योगीराज में नहीं मिला इंसाफ तो नाबालिग गैंगरेप पीड़िता और परिजनों ने SSP ऑफिस के सामने खाया जहर

Update: 2019-12-24 07:12 GMT

पीड़ित परिवार पिछले दो महीने से पुलिस अधिकारियों के दफ्तर में इंसाफ के लिए अनवरत चक्कर लगा रहा था, जहां से उन्हें दुत्कारा जा रहा था, यही नहीं बयान बदलने के लिए पुलिस अधिकारी डाल रहे थे दबाव, इसी से आजिज आकर इस परिवार ने जिला मुख्यालय के बाहर जहर खाकर अपनी जान देने का फैसला लिया....

वाराणसी, जनज्वार। पूरा देश CAA और NRC के मुद्दे पर आंदोलन हैं, वहीं दूसरी तरफ महिला अपराध कम होने के बजाय इजाफा ही हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मंचों से दावे करते हैं कि CAA और NRC मुद्दे पर जो लोग हिंसक वारदातों में शामिल रहे हैं उनकी संपत्ति कुर्क कर ली जायेगी, उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जायेगी, मगर क्या महिलाओं के साथ बलात्कार जैसा कुकर्म करने वालों के लिए भी योगी या मोदीजी कोई ऐसा ही कड़ा कदम उठाने की बात करते हैं।

अगर शासन-प्रशासन बलात्कार जैसे मसलों पर त्वरित कार्रवाई कर पीड़ित पक्ष के प्रति संवेदनशीलता रखता तो ऐसा नहीं होता कि कोई न्याय न मिलने से आजिज आ थाने के बाहर आत्मदाह करता या फिर जहर खाने को मजबूर होता।

जी हां, योगी राज में उत्तर प्रदेश के बनारस स्थित कैंट थाने में आने वाले जिला मुख्यालय परिसर स्थित एसएसपी कार्यालय के बाहर कल 23 दिसंबर को एक बलात्कार पीड़ित नाबालिग बच्ची और उसके परिजनों ने जहर खाकर जान देने की कोशिश की है। आनन-फानन में तीनों को स्थानीय लोग नजदीक के जिला अस्पताल में लेकर गये, जहां नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने बीएचयू ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। फिलहाल तीनों जीवन और मौत के बीच झूल रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक पीड़ित परिवार पिछले दो महीने से पुलिस अधिकारियों के दफ्तर में इंसाफ के लिए अनवरत चक्कर लगा रहा था, जहां से उन्हें दुत्कारा जा रहा था। इसी से आजिज आकर इस परिवार ने जिला मुख्यालय के बाहर जहर खाकर अपनी जान देने का फैसला लिया। जहर खाने वालों में रेप पीड़िता और उसके मां—बाप शामिल हैं।

हर खाकर जान देने वाले परिवार के पास से घटनास्थल पर एक सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें उन्होंने अपनी मौत के लिए सीओ कैंट, इंस्पेक्टर कैंट सहित पहाड़िया चौकी प्रभारी को दोषी बताया है। सुसाइड नोट में लिखा है कि इन पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित पक्ष पर बयान बदलने का दबाव बनाया था।

हीं अपनी जान सांसत में देख पुलिस बचाव की मुद्रा में आ गयी है। पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ साजिश की गयी है। हमने पुपहले ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर ली है।

जानकारी के मुताबिक रेलवे में टिकट कलेक्टर जमीर आलम पर बलात्कार पीड़िता ने कुछ महीने पहले हीरोइन बनाने के नाम पर मुंबई ले जाकर बेच देने और बलात्कार करने का आरोप लगाया था। यही नहीं इस दौरान न सिर्फ नाबालिग पीड़िता गायब थी, बल्कि उसे खोजने गये उसके भाई की भी हत्या कर दी गयी थी, जिसकी लाश गंगा किनारे पड़ी हुई मिली। पहले बेटी गायब और फिर उसके बाद बेटे की हत्या के बाद से पीड़ित परिवार प्रशासन से इंसाफ की गुहार लगा रहा था।

हर खाने के बाद जिला अस्पताल दीनदयाल के ट्रामा सेंटर से बीएचयू ट्रामा सेंटर जाते वक्त पीड़िता के पिता ने बयान दिया है कि क्षेत्राधिकारी कैंट और इंस्पेक्टर कैंट केस वापस ले रहे हैं, इसलिए हम लोगों ने जहर खाने का फैसला लिया है। हमारे बेटे की हत्या हुई है, इसको कोई मानने को तैयार नहीं है।

हर खाने के बाद दिये बयान में बलात्कार पीड़िता के पिता ने मुख्य अभियुक्त जमीर आलम का नाम बताया है। कहा कि वही उनकी लड़की को मुंबई बेचने के लिए ले गया था और जब लड़की वहां से भाग कर वापस आ रही थी, तब जमीर आलम ने जीआरपी इलाहाबाद में उसे दे दिया। जमीर आलम ने ही इलाहाबाद जीआरपी से लड़की को पकड़वा दिया, तब से लेकर अभी तक पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

लात्कार पीड़िता के परिजनों का कहना था किलड़की को कुछ लोग बहला-फुसलाकर मुंबई ले गए थे। उसका पता लगाने निकले उसके भाई की भी मौत हो गई। हम लोग अपनी शिकायत लेकर सपरिवार महीनों से अधिकारियों और मंत्रियों के साथ महिला आयोग तक फरियाद लगा चुके हैं, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। आज सारा परिवार कचहरी यह पता करने आया था कि कहीं आरोपियों की जमानत तो नहीं हो रही है। इसी के बाद जहर खाकर इन्होंने अपनी जान देने की कोशिश की।

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