साध्वी पदमावती के स्वास्थ्य और मोदी सरकार को सदबुद्धि के लिए एम्स में प्रार्थना सभा करेगा गंगा सद्भावना मंच
गंगा सद्भावना मंच की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 120 किलोमीटर तक साबरमती नदी के नाम पर गंदा नाला बह रहा है। यही हाल गंगा एवं देश के अन्य नदियों का किया जा रहा है। हिंदुस्तान की सभ्यता और संस्कृति इन्हीं नदियों पर आधारित है...
जनज्वार। उत्तराखंड के हरिद्वार में गंगा बचाने के लिए लगातार 65 दिनों तक अनशन पर बैठने वाली साध्वी पद्मावती इन दिनों दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं। साध्वी पद्मावती को 17 फरवरी को एम्स में भर्ती करवाया गया था। वहीं पद्मावती को स्वस्थ होने के लिए गंगा सद्भावना मंच की ओर से आज दिल्ली के एम्स परिसर में शाम 3 से 6 बजे के बीच प्रार्थना सभा का आयोजन किया जा रहा है। इस सभा में स्वामी सानंद के रुप में चर्चित रहे प्रो.जीडी अग्रवाल की अविरल व निर्मल गंगा की मांगो को भी रखा जाएगा।
गंगा सद्भावना मंच के चंद्र विकास ने 'जनज्वार' को बताया कि साध्वी पद्मावती के स्वास्थ्य के लिए हम प्रार्थना सभा रख रहे हैं लेकिन मुख्य बात हम लोग यह कह रहे हैं कि किसी महिला के साथ वो एक हरिद्वार के एक कोने में बैठकर अनशन कर रही है तो उससे सरकार को ऐसी क्या भारी आपत्ति हो सकती है कि 11 बजे रात में जाकर उसे सोते हुए से उठा देती है। महिला कांस्टेबल उसे जबरन उठा देती है और अगले दिन 10 पत्रकारों को बुलाकर उनपर गर्भवती होने का लांछन लगाया जाता है। जिसकी वजह से वह आज आईसीयू में भर्ती हैं।
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चंद्र विकाश आगे कहते हैं कि यह इस देश के इतिहास में बहुत ही अप्रत्याशित घटना है। अपनी ही ब्रह्मचारिणी के प्रति इस तरह की मानसिक हिंसा से हिंदुत्ववादी क्या संदेश देना चाहते हैं। क्या वह अपनी नाकामी छिपाने के लिए वह गलतियां एक ही कौम पर गढ़ते रहेंगे। इसलिए इसको हमलोग सद्भावना की दृष्टि से देख रहे हैं कि ईश्वर सबको सद्बुद्धि दे। उसके लिए ही प्रार्थना सभा आयोजित किया जा रहा है।
बयान में आगे कहा गया है कि स्वामी सानंद को वादा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुकर गए। उनके बाद केरल से आये ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के 194 दिन के उपवास के बाद पिछले वर्ष लिखित दावा करके फिर से मुकर गया। स्वामी सानंद के ही मांगों को लेकर हरिद्वार के मातृ सदन में शांतिपूर्ण तरीके से आमरण अनशन करने वाली 23-वर्षीय हिन्दू ब्रह्मचारिणी साध्वी पद्मावती को मानसिक प्रताड़ना देकर एम्स दिल्ली में भर्ती होना पड़ा।
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गंगा सद्भावना मंच की ओर आगे कहा गया कि इस मानसिक उत्पीड़न के बाद उनका स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ने लगा और अभी वे एम्स दिल्ली के इमरजेंसी वार्ड में जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं। यही सरकार बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ का भी नारा देती है और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए ऐसे अमानवीय दुष्कृत्य करती है।