गौ हत्या के आरोप में 4 महीने से बंद हैं नाबालिग मुस्लिम लड़कियां

Update: 2018-03-13 15:40 GMT

दिल्ली से मुज़फ्फरनगर की पदयात्रा पर निकले प्रसिद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता हिमांशु कुमार ने लिखा है इसे, उनकी आंखों देखी को आप भी पढ़िए और जानिए कि योगी के सत्तासीन होने के बाद पुलिस की अमानवीयता की डिग्री कितनी बढ़ गयी है

सवाल यह भी कि किस कानून के तहत नाबालिगों को भेजा गया है जेल, कहाँ मर गया है बाल आयोग और महिला आयोग

जाकिर अली त्यागी मुजफ्फरनगर में रहते हैं। जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के अपराधी प्रदेश छोड़कर चले जाएं, तो ज़ाकिर त्यागी ने फेसबुक पर लिखा कि योगी जी आपको याद है आपके ऊपर भी 28 FIR दर्ज हैं।

इसके बाद जाकिर त्यागी को पुलिस ने घर से उठा लिया और थाने में ले जाकर उनकी पिटाई शुरू करी। थाने में जाकर त्यागी को सिर्फ पुलिस वालों ने ही नहीं पीटा, बल्कि भाजपा के नेता थाने में आए और उन लोगों ने पुलिस के सामने जाकिर त्यागी को बुरी तरह लातों से मारा।

पुलिस ने जाकिर त्यागी से कहा कि अभी हम भीड़ को तुम्हारे घर भेज देंगे और भीड़ तुम्हारा घर जला देगी और हम तुम्हें आतंकवादी साबित कर देंगे। ज़ाकिर त्यागी पर राजद्रोह का केस बनाया गया।

जाकिर त्यागी के साथ मेरी जान-पहचान काफी पुरानी है, लेकिन प्रत्यक्ष मिलना इस बार पद यात्रा के दौरान हुआ। खतौली में मेरी मुलाकात रवीश आलम से हुई। रवीश आलम ने अनेकों मुद्दों पर रैलियां करी हैं। वह युवकों का एक संगठन भी चलाते हैं। राष्ट्रीय एकता और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सक्रिय रहते हैं।

जब उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों के समर्थन में एक रैली करी, तो रवीश आलम को पुलिस ने उठा लिया। हालांकि रवीश ने कोई कानून नहीं तोड़ा था। कोई देशद्रोह नहीं किया था, लेकिन रवीश से थाने में पुलिस ने कहा कि तुम रोहिंग्या मुसलमानों के लिए आवाज उठाते हो, कश्मीरी पंडितों के लिए आवाज़ क्यों नहीं उठाते?

भारत का कोई भी कानून पुलिस को किसी व्यक्ति की विचारधारा तय करने का अधिकार नहीं देता, लेकिन उत्तर प्रदेश में पुलिस विभाग अब लोगों की विचारधारा ठीक करने के काम पर लगा दिया गया है

खतौली में ही मेरे सामने तीसरा मामला लाया गया, जहां गौ हत्या के नाम पर 12 साल और 15 साल की नाबालिग मुस्लिम बच्चियों को जेल में डाला हुआ है। मुझे यह देखकर बहुत हैरानी हुई और बेचैनी भी है कि किसी भी तरीके से नाबालिग बच्चों को जेल में नहीं डाला जा सकता, लेकिन दिसंबर महीने से आज तक यह दो बच्चियां जेल में बंद हैं।

मुझे समझ में नहीं आ रहा कि बाल अधिकार आयोग कहां चला गया? और क्या जज को यह बच्चियां दिखाई नहीं दी? क्या उत्तर प्रदेश की अदालतें अब भाजपा के दबाव में कानून का पालन नहीं कर पा रही है ?

इससे पहले मैंने छत्तीसगढ़ सरकार की गैरकानूनी हरकतें देखी थी, लेकिन उत्तर प्रदेश में पुलिस के सरकारी ज़ुल्मों ने छत्तीसगढ़ को भी पीछे छोड़ दिया है।

जेल में बन्द बच्ची का आधार कार्ड लगा है, उसमें उसकी जन्मतिथि पढ़िये।

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