बेरोजगारी बीते 45 सालों में शिखर पर लेकिन अयोध्या में 4,000 करोड़ में भगवान राम की प्रतिमा बनाएगी सरकार

Update: 2019-11-19 06:44 GMT

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में जहां ऑक्सीजन की कमी से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 से ज्यादा बच्चों ने मौत को गले लगा लिया था वहीं अब राम के नाम पर जनता के करोड़ों रुपयों की बंदरबांट करने की तैयारी शुरु हो गई है। दरअसल भाजपा सरकार अयोध्या में 4000 करोड़ की लागत से भगवान राम की मूर्ति बनाने की तैयारी कर रही है.....

जनज्वार, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने नौ नवंबर को अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा जबकि मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जगह आवंटित की जाएगी। अब सरकार भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए जल्द भूमि अधिग्रहण का काम करने जा रही है।

रअसल पर्यटन महानिदेशालय ने अधिग्रहण की मद में पहली किस्त के रूप में 100 करोड़ रुपये जारी करने का पत्र शासन को भेज दिया है। राम की प्रतिमा के साथ ही रिवर फ्रंट निर्माण को भी परियोजना में शामिल किया गया है। पूरी परियोजना की लागत करीब 4,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।

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सुप्रीम कोर्ट की ओर से राम मंदिर का रास्ता साफ होने के बाद योगी सरकार ने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर तेजी से काम करने की तैयारी कर रही है। पर्यटन विभाग के साथ-साथ राजकीय निर्माण निगम के अधिकारी भी दिन-रात इसकी तैयारियों में जुटे हुए हैं। इस परियोजना के लिए पर्यटन विभाग ने एनएच बाईपास से लगे मीरापुर दोआबा में करीब 150 एकड़ जमीन चिन्हित की है। अब इस जमीन के अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू होने जा रही है।

र्यटन महानिदेशालय ने अधिग्रहण के लिए पहली किस्त करीब 100 करोड़ रुपये जिलाधिकारी अयोध्या को देने के लिए शासन को पत्र लिख दिया है। एक-दो दिनों में यह धनराशि डीएम अयोध्या के पास चली जाएगी।

राजकीय निर्माण निगम के एमडी यूके गहलोत के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की ड्राइंग-डिजाइन तैयार करने के लिए विश्वस्तरीय कंसल्टेंट की सेवाएं ली जाएंगी। आर्किटेक्ट और कंसल्टेंट के चयन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला जा रहा है। परियोजना पर कुल 4,000 करोड़ रुपये लागत आने का अनुमान है लेकिन इसकी वास्तविक लागत डिजाइन तैयार होने के बाद सामने आएगी।

रकार प्रतिमा के निर्माण में आमजन तथा सीएसआर (कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) की मदद लेगी। यह प्रतिमा कांसे से बनेगी। कंसल्टेंट और राजकीय निर्माण निगम अधिग्रहीत भूमि का निरीक्षण करेंगे, उसके बाद मूर्ति की ऊंचाई 200 से 251 मीटर के बीच तय की जाएगी। अधिक कोशिश यह रहेगी कि ऊंचाई 251 मीटर हो।

राम की मूर्ति के अलावा इस प्रोजेक्ट में अन्य कई योजनाएं भी समाहित की गई हैं। अधिग्रहीत भूमि पर डिजिटल म्यूजियम और रिवर फ्रंट श्रद्धालुओं के आकर्षण के प्रमुख केंद्र बनेंगे। इसके अलावा इस प्रोजेक्ट में इंटरपटेशन सेंटर, फूड प्लाजा, लैंड स्केपिंग, पार्किंग आदि शामिल है।

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योध्या में पर्यटन विकास की इन परियोजनाओं के साथ सरकार नई अयोध्या के विचार पर भी काम कर रही है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश के मुख्य नगर नियोजक नई अयोध्या का खाका खींचेंगे। इससे अयोध्या के विकास में तेजी आएगी। अयोध्या के विकास के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद की तर्ज पर बोर्ड का गठन भी होना है।

ता दें कि इसी साल दिवाली के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार ने दिवाली पर छह लाख दिए जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन इसके कुछ घंटों के बाद ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसने योगी सरकार की पोल खोलकर रख दी थी। दरअसल एक गरीब परिवार की बच्ची इन बुझे हुए दियों के तेल को डब्बे में इकठ्ठा कर रही थी।

ह पहला मौका नहीं है जब सरकार मूर्तियों के नाम पर प्रसिद्धी हासिल करने की कोशिश कर रही है। इससे पहले बीते साल 2018 में सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति स्थापित की गई। इसे स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का नाम दिया गया। इसे कुल 2063 करोड़ की लागत से तैयार किया गया था। इसी तरह महाराष्ट्र की भाजपा सरकार 2022-23 में 3,700 करोड़ की लागत से छत्रपति शिवाजी की मूर्ति बनाएगी।

से समय में जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती चल रही है। ऑटो, टेक्सटाइल समेत कई सेक्टर भारी नुकसान में चल रहे हैं। बेरोजगारी बीते 45 वर्षों में उच्चतम स्तर पर है, सरकार इसे प्राथमिकता देने की बजाए मूर्तियों की स्थापना को प्राथमिकता दे रही है। इससे सरकार की मंशा पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं।

 

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