Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मेरे भीतर संदेह पैदा कर दिया : रिटायर्ड जज एके गांगुली

Janjwar Team
10 Nov 2019 6:28 PM IST
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मेरे भीतर संदेह पैदा कर दिया : रिटायर्ड जज एके गांगुली
x

बाबरी मस्जिद विध्वंस के तीन दशक बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके गांगुली ने सवाल उठाते हुए कहा कि राम कौन हैं? क्या यह सिद्ध करने के लिए कोई तथ्य है? यह सिर्फ आस्था और विश्वास का मामला है...

सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने 9 नवंबर को अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद आए फैसले को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले ने उनके भीतर संदेह पैदा कर दिया है और फैसले के बाद वह बहुत परेशान थे।

'द टेलीग्राफ' के मुताबिक 72 वर्षीय जस्टिस गांगुली ने कहा पीढ़ियों से अल्पसंख्यकों ने देखा कि वहां पर एक मस्जिद थी। जिसे ढहा गिया गया। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक इसके ऊपर एक मंदिर बनाया जाएगा। इस बात ने मेरे दिमाग में शंका पैदा कर दिया है। संविधान का विद्यार्थी होने के नाते इसे स्वीकार कर पाना मेरे लिए काफी कठिन है।

ता दे कि है कि सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ ने राम मंदिर के हक में फैसला दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर बनेगा और सरकार को मुसलमानों के लिए वैकल्पिक रूप से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया।

रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार गांगुली ने कहा कि यदि किसी जगह नमाज अदा की जाती है और प्रार्थना करने वालों के स्थान विशेष पर मस्जिद होने की आस्था है तो उसे चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि भले ही 1856-57 में नहीं, लेकिन निश्चित रूप से 1949 के बाद नमाजें अदा की गई हैं, इसका प्रमाण भी है। जब हमारा संविधान अस्तित्व में आया, तब वहां नमाज अदा की जा रही थी। जिस स्थान पर नमाज अदा की जाती है, अगर उस स्थान को मस्जिद की मान्यता दी जाती है, तो अल्पसंख्यक समुदाय को अपने धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा का आधिकार है। यह संविधान द्वारा दिया गया मौलिक अधिकार है।

न्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आज फिर एक मुस्लिम क्या देखता है? इतने सालों तक वहां (अयोध्या) एक मस्जिद खड़ी थी, जिसे ढहा दिया गया। अब अदालत ने उसकी जगह नए निर्माण को हरी झंडी दी है, यह मानते हुए कि वह जगह रामलला की है। क्या सुप्रीम कोर्ट सदियों पुराने जमीन का मालिकाना हक तय करेगा? क्या सुप्रीम कोर्ट यह भूल जाएगा कि जब संविधान अस्तित्व में आया, तब वहां एक मस्जिद काफी वक्त से थी? जस्टिस गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह संविधान और उसके प्रावधानों की रक्षा करे।

'द टेलीग्राफ' की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस गांगुली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी नहीं है कि वह तय करे कि संविधान से पहले वहां क्या था। उन्होंने कहा, वहां एक मस्जिद थी, एक मंदिर था, एक बौद्ध स्तूप था, एक चर्च था। अगर हम इस तरह से फैसले देने शुरू करेंगे तो काफी सारे मंदिर और मस्जिद ध्वस्त करने पड़ जाएंगे। हम पौराणिक तथ्यों के हिसाब से नहीं चल सकते।

स्टिस गांगुली ने राम के अस्तित्व पर भी सवाल उठाते हुए कहा राम कौन हैं? क्या यह सिद्ध करने के लिए कोई तथ्य है? यह सिर्फ आस्था और विश्वास का मामला है।

Next Story