लोगों को शराब पिलाकर सरकारें जुटाती हैं 20 फीसदी तक राजस्व, सिर्फ 40 दिन में हुआ है 27 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान

Update: 2020-05-05 06:42 GMT

दरअसल मौजूदा आर्थिक मॉडल में शराब अर्थव्यस्था का सबसे बड़े स्तंभों में से एक हैं. शराब की बिक्री के बिना किसी भी राज्य को बड़ा घाटा सहना पड़ता है...

जनज्वारः लॉकडाउन के बीच खुली शराब की दुकानों को लेकर जिन्हें लग रहा है कि लोग अपने आप ही शराब खरीददारी की लाइनों में खड़े हो रहे हैं, सरकार उन्हें परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से शराब की दुकानों तक नहीं पहुंचा रही तो उन्हें शराब से होने वाली इस आमदनी को देख लेना चाहिए और समझ लेना चाहिए कि सरकार लॉकडाउन के बीच भी आम जनता को शराब के ठकों तक पहुंचाने के प्रयास में क्यों जुटी है?

दरअसल मौजूदा आर्थिक मॉडल में शराब अर्थव्यस्था का सबसे बड़े स्तंभों में से एक हैं. शराब की बिक्री के बिना किसी भी राज्य को बड़ा घाटा सहना पड़ता है. हालंकि बिहार और गुजरात जैसे कुछ राज्यों में शराबबंदी है लेकिन इसके बावजूद अर्थव्यवस्था के लिए शराब का महत्व कम नहीं हुआ है.

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ज्यादातर राज्यों के कुल राजस्व का 15 से 30 फीसदी हिस्सा शराब से आता हैं. कुछ राज्य जैसे- केरल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में शराब पर टैक्स दूसरे प्रांतों के मुक़ाबले कम है. इसलिए इन तीन राज्यों में राजस्व का कुल दस फीसदी से कम शराब बिक्री से हासिल होता है.

दरअसल शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया है. यानी राज्य अपने हिसाब से कर निर्धारित करते हैं. दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री पर आज से 'स्पेशल कोरोना फीस' लगा दी है। इस कारण अब लोगों को शराब के लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर 70 फीसदी और जोड़कर पैसे अदा करने होंगे। दिल्ली सरकार ने यह फैसला सोमवार देर शाम लिया।

वहीं राजस्थान सरकार ने शराब पर आबकारी शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की है. अब 900 रूपये से नीचे की भारत में निर्मित विदेशी शराब पर 25 फीसदी की जगह 35 फीसदी आबकारी शुल्क और ड्यूटी अब 35 फीसदी की जगह 45 फीसदी की गई है. इसी तरह से बीयर पर आबकारी शुल्क में 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है और राज्य में बीयर पर अब 35 प्रतिशत की जगह 45 प्रतिशत आबकारी शुल्क लिया जाएगा.

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पिछले वित्त वर्ष में सभी राज्‍यों ने शराब बिक्री से करीब 2.48 लाख करोड़ रुपये कमाए. यह आंकड़ा 2018 में 2.17 लाख करोड़ रुपये और 2017 में 1.99 लाख करोड़ था.

इस हिसाब से देखें तो 2019 के आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में 40 दिनों के दौरान राज्यों को शराब बिक्री न होने से औसतन करीब 27 हजार करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. एक अनुमान के मुताबिक लॉकडाउन में एक दिन में राज्यों को औसतन करीब 679 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

साल 2019 में महाराष्ट्र ने 24,000 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश ने 26,000 करोड़, तेलंगाना ने 21,500 करोड़, कर्नाटक ने 20,948 करोड़, पश्चिम बंगाल ने 11,874 करोड़ रुपये, राजस्थान ने 7,800 करोड़ रुपये और पंजाब ने 5,600 करोड़ रुपये का राजस्व शराब की बिक्री से हासिल किया। दिल्ली ने इस दौरान करीब 5,500 करोड़ रुपये का आबकारी शुल्क हासिल किया था।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चार मई को जब उत्तर प्रदेश में एक महीने के लॉकडाउन के बाद पहली बार शराब की दुकानें खुलीं तो प्रदेश की 26000 दुकान पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. अनुमान है कि उत्तर प्रदेश इस एक दिन में करीब 100 करोड़ का राजस्व मिल सकता है.

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