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राष्ट्रीय

शराब की दुकानों के खुलने का हो रहा बड़े स्तर पर विरोध, लोग बोले Lockdown की सारी मेहनत पर फिर गया पानी

Manish Kumar
5 May 2020 5:25 AM GMT
शराब की दुकानों के खुलने का हो रहा बड़े स्तर पर विरोध, लोग बोले Lockdown की सारी मेहनत पर फिर गया पानी
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लोग सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कर रहे हैं जिनमें शराब लेने वालों ने नियमों की कोई परवाह नहीं की और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा कर रखी दी...

जनज्वारः लॉकडाउन में ढील देते हुए शराब की दुकानें खुलने का विरोध तेज हो गया है. सोशल मीडिया पर लोग लगातार सरकार के इस फैसले के खिलाफ लिख रहे हैं. कई नेताओं और दूसरे व्यापारियों ने इस फैसले की आलोचना की है.

ट्विटर पर #शराबी_सरकार टॉप ट्रेंड्स में बना हुआ है. लोग सरकार के फैसलों की आलोचना कर रहे हैं. बता दें लॉकडाउन 3 में केंद्र सरकार ने शराब की दुकानों को भी कुछ शर्तों के साथ खोलने की परमिशन दी है. इनमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखना साथ ही हर व्यक्ति का मस्का पहन कर आना या चेहरा ढंक कर आना शामिल है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि शराब और पान, गुटखा, तंबाकू आदि की दुकानों पर एक साथ पांच से ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकेंगे और लोगों के बीच सोशल डिस्टैंसिंग भी सुनिश्चित की जाएगी। मंत्रालय के आदेश में यह भी कहा गया कि सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने, पान, गुटखा, तंबाकू आदि के सेवन की इजाजत नहीं होगी.

सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

हालांकि 4 मई को जब देशभर में एक महीने से भी ज्यादा समय के बाद शराब की दुकानें खुलीं तो लोगों की भीड़ इन दुकानों पर उमड़ गई है. दिन भर ऐसी तस्वीरे सामने आती रहीं जहां शराब की दुकानों पर जमा लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग समेत सरकार की सभी निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी हैं.

लोग सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरें और वीडियो पोस्ट कर रहे हैं जिनमें शराब लेने वालों ने नियमों की कोई परवाह नहीं की.



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एक यूजर सुरेश रैना शराब की दुकान के बाहर लगी भीड़ का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'आंध्र प्रदेश में शराब की दुकान के बाहर का दृश्य. इस वक्त शराब की दुकान खोलना सरकार का एक गलत निर्णय है.'

वरिष्ठ पत्रकार और भारत समाचार के एडिटर इन चीफ ब्रजेश मिश्रा ने लिखा, 'जब 133 करोड़ भारतीय, कोरोना से लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करके परिश्रम की पराकाष्ठा कर रहे हों तब शराब के नाम पर चल रहे तमाशे के दृश्य निराश करते है। कभी सब्जी मंडी, कभी बाजार, कही नेताओ के दान के नाम पर भीड़ जुटाना। कोरोना मनोरंजन की विषय वस्तु नहीं है। मौत का दूसरा नाम है।'



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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार के इस फैसले पर तंज कसते हुए शराब की दुकान के बाहर लगी लंबी कतार की एक तस्वीर ट्वीट करते हुए कहा- भाई साहब कृपया ये बताएं कि 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुँचने के लिए क्या इसी लाइन में लगना है?



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वीरेंद्र सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा, न हकीकतें हमारे सामने आ गई, पहली - "शराब" हमारे समाज की आवश्यक जरूरत बन चुकि है, दूसरी - "शराब" सरकार के लिये एक मात्र आय का साधन है, तीसरी - साहब केवल दिखाने के लिये गांधीवादी हैं.



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एक अन्य यूजर सैयद मुत्ताखी हुसैन ने लिखा, 'शारब के ठेके खुलते ही 40 दिन के लॉकडाउन पर पानी फिर गया जो लोग घरों में रह कर लॉकडाउन का पालन इस उम्मीद से कर रहे थे की आने वाले दिनों में हमारा देश कोरोना से मुक्त हो जायेगा अब वो अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है "देश बंद है शराब का ठेका खुला है"



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सरकार की इस फैसले का दूसरे व्यापारी भी विरोध कर रहे हैं उनका कहना है कि अगर शराब की दुकानें खोली जा सकती हैं तो दूसरी दुकानें क्यों नहीं.

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