गुजरात में पाटीदार अनामत आंदोलन के दौरान हुए पुलिसिया दमन के खिलाफ दायर हुआ हलफनामा

Update: 2018-05-22 12:25 GMT

पाटीदार समाज के लिए बड़े दुःख की बात कि अगस्त 2015 को GMDC मैदान में हुयी सभा पर पुलिसिया दमन में शहीद हुए लोगों के नाम पर केवल राजनीति हुई है...

जनज्वार, गांधीनगर। पाटीदार अनामत आन्दोलन में हुए पुलिस दमन पर सरकार द्वारा बैठाई गई जांच कमेटी के समक्ष जतिन पटेल ने अपना हलफनामा कल 21 मई को गांधीनगर में पेश किया। इस हलफनामे में जतिन पटेल ने 25 अगस्त 2015 को GMDC मैदान में हुयी सभा पर पुलिस के दमनकारी रवैये पर नोटरी जमा किया।

जतिन पटेल ने बताया, “अहमदाबाद के वस्त्राल एरिया में रामोल पोलिस स्टेशन के पीएसआई पारगी ने उस रात को मेरी नजर के सामने सिद्धार्थ गिरिशभाई पटेल को गोली मारी और घटना स्थल पर ही सिद्धार्थ पटेल की मृत्यु हो गयी थी।”

इसके साथ—साथ जतिन पटेल ने यह भी बताया कि घटनास्थल से थोड़ी ही दूर पर सिद्धार्थ पटेल के पिता गिरीशभाई पटेल की भी गोली लगने से मृत्यु हुयी। पुलिस पर आरोप लगाते हुए उन्होंने बताया की इस घटना के बाद गुजरात पुलिस ने पाटीदारों के घरों पर जा-जाकर गन्दी-गन्दी गालियाँ दीं तथा घरों और गलियों के कांच तक फोड़ डाले।

पुलिस लाठीचार्ज में पाटीदारों को बेरहमी से पीटा गया। पुलिस की बेरहमी की इन्तहा यही नहीं रुकी और 9 लोगों को गोली मार दी गयी तथा सैकड़ों लोगों को गोली मारकर लहूलहुान कर दिया गया।

जतिन पटेल ने पुलिस की इस बर्बरता को एक जघन्य हत्याकांड बताते हुए इसकी तुलना जनरल डायर से की। उन्होंने गुजरात सरकार पर यह आरोप लगाया कि वह यह पता करने में नाकामयाब रही की इतनी भयानक और गंभीर घटना का जिम्मेदार कौन है और गोली चलाने का आदेश किसने दिया था?

भाजपा सरकार की निष्क्रियता के कारण ही न तो आज तक इसकी सही ढंग से जांच हुई और न ही कोई पुलिसकर्मी इस घटना के सन्दर्भ में सस्पेंड हुआ। पाटीदार समाज के लिए यह बड़े दुःख की बात है कि शहीदों के नाम पर केवल और केवल राजनीति हुई है।

जतिन पटेल आज भी पाटीदार अनामत आन्दोलन के सबसे सक्रिय सदस्य हैं और इन्होंने ही 25 अगस्त 2015 को अहमदाबाद के GMDC मैदान पर सभा की अनुमति अपने नाम पर ली थी। जतिन पटेल गिरिशभाई पटेल और सिद्धार्थ पटेल समेत कई अन्य हत्याओं के चश्मदीद गवाह भी हैं।

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