जनज्वार खास : उत्तराखंड में दूसरी जाति-धर्म में शादी करने पर बेटियों को नाबालिग बता पति को जेल भेज रहे मां-बाप

Update: 2019-12-09 07:07 GMT

उत्तराखंड के अल्मोड़ा में प्रेम विवाह करने वाले बच्चों को सजा दे रहे माता-पिता, 18 साल से ऊपर के बालिग का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर बता रहे नाबालिग, पॉक्सो एक्ट के जेल भेजे जा रहे युवक.....

अल्मोड़ा से विमला की ग्राउंड रिपोर्ट

पॉक्सो एक्ट (लैगिंग अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम) 2012 नाबालिग लड़कियों के संरक्षण के लिए बनाया गया है जिससे 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लैगिंग अपराधों से बचा सके लेकिन भारत जैसे देश में जाति, धर्म के नाम पर इसका दुरुपयोग किया जा रहा है। जो बच्चे बालिग हैं 18 साल से ऊपर है, अपनी मर्जी से अपनी जाति, धर्म से परे प्रेम विवाह कर रहे हैं। उनके माता पिता द्वारा उनके फर्जी दस्तावेज बनाकर उन्हें अपराधी घोषित कर पॉक्सो एक्ट के तहत उन्हें जेल भेज दिया जा रहा है।

ल्मोड़ा के बख स्थित किशोरी बाल गृह की अधीक्षिका दीपशिखा शाह ने बताया, 'हमारे पास अभी 12-13 बच्चे हैं जो पॉक्सो एक्ट के तहत यहां पर है। तीन लड़कियां ऐसी हैं जो पॉक्सो के अन्दर नहीं आती, इनकी उम्र 18 साल से ऊपर है, ये वो बच्चे हैं जिन्होंने अपनी मर्जी से या घर से भागकर अपनी जातियों और धर्मों से परे शादी की है। इनके माता-पिता द्वारा ही इनके स्कूल से फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर नाबालिग घोषित कर पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराकर पोक्सो के तहत यहां भेज दिया गया है।

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बाल गृह में रह रहीं एक लड़की ने बताया, 'मैं 18 साल ऊपर की हूं, बालिग हूं, मैंने एक बार वोट भी दिया है। आधार कार्ड और वोटर आईडी इस बात का सबूत हैं। मेरे मां-पापा नहीं चाहते थे कि मैं दूसरी जाति के लड़के से शादी करुं। इसलिए उन्होंने मेरे स्कूल से फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर मेरी उम्र 16 साल बताकर पोक्सो एक्ट में केस दर्ज कर मेरे पति को जेल भेज दिया और मुझे किशोरी गृह। जबकि जे.जे. अधिनियम के मुताबिक स्कूल के सर्टिफिकेट के हिसाब से उम्र निर्धारित होगी। यहां स्कूल ही फर्जी सर्टिफिकेट जारी कर रहा है।

Full View आगे कहती हैं, 'अभी मेरा केस हल्द्वानी कोर्ट में चल रहा है। यह केस कहां तक पहुंचा और केस का क्या हुआ, मुझे इस बात की जानकारी भी नहीं है। अब में फिर से 18 साल की होने का इंतजार कर रही हूं, ताकि बाहर जाने के बाद जिन्दगी को जी सकूं, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं ये समाज हमें जीने दे। ऐसी ही एक दूसरी लड़की है जिसने अन्तरधार्मिक विवाह किया। उसके माता - पिता ने उसे नाबालिग घोषित कर लड़के पर केस दर्ज कर दिया। इसी तरह और भी कई लड़कियां हैं जो इस सबको झेल रही हैं।

चाइल्ड वर्कर कमेटी की सदस्य नीलीमा कहती हैं, 'पोक्सो एक्ट के तहत 18 साल के ऊपर के बच्चों की जिंदगी के साथ जाति और धर्म के नाम पर माता- पिता, पुलिस-प्रशासन व अन्य अधिकारियों द्वारा फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर खिलवाड़ किया जा रहा है। जो बच्चे नाबालिग हैं 18 साल से कम उम्र के हैं, उनके संरक्षण के लिए यह कानून सही है। जो बच्चे वयस्क हो चुके हैं जाति, धर्म के बन्धन से परे प्रेम विवाह कर रहे तो उनसे प्रेम करने का अधिकार ही छीन लिया जा रहा है।

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फिजा बनाम् प्रदीप सिंह केस ऊधम सिंह नगर से ट्रांसफर होकर सी.डब्लू.सी. अल्मोड़ा के पास आया। फिजा एक मुस्लिम लड़की है। उसने प्रदीप सिंह के साथ अंर्तधार्मिक विवाह किया और वह अपनी शादी के वक्त बालिग थी लेकिन उसकी मां नहीं चाहती थी वह प्रदीप सिंह से शादी करे, जबकि उसे चंडीगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश गुरुविंदर सिंह गिल द्वारा संरक्षण भी दिया गया था जिसमें फिजा की आयु 18 वर्ष से अधिक दर्ज है। जिस आधार पर न्यायालय द्वारा उसकी उम्र की जांच पर संदेह नहीं किया जा सकता। उसकी मां ने स्कूल से फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर उसे 13 साल का घोषित कर रिपोर्ट दर्ज कराई।

स संबंध में फिजा के पति प्रदीप सिंह नैनीताल हाईकोर्ट में अपील पर गए कोर्ट के आदेश पर उम्र की जांच की गई जिसमें वह 18 साल से ऊपर निकली। हाईकोर्ट के आदेश पर उसे उसके पति के साथ रहने की अनुमति दी गयी। इस सबके बाद भी उनके लिए सामान्य जीवन जीना मुश्किल हो जाता है।

नीलीमा आगे बताती हैं कि इसके अलावा भी जो लड़कियां 16-17 साल की हैं। बालिग लडके से शादी कर रही हैं, उनके लिए सरकार को सोचना चाहिए। कुछ अलग से प्रावधान होने चाहिए ताकि वो एक सामान्य जीवन जी सके।

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