समाधि सत्याग्रह के बाद भी किसानों की सुनेगी सरकार!

Update: 2017-10-03 16:32 GMT

तमिलनाडु के किसानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर मृत किसानों का मांस मुंह में दबाकर प्रदर्शन करने, मूत्र पीने से लेकर प्रधानमंत्री आवास के सामने नंगा होकर भी देख लिया, लेकिन जब सरकार ने उनकी नहीं सुनी तो समाधि सत्याग्रह का क्या मोल होगा, यह तो समय ही बताएगा...

जयपुर। सरकार की मनमानियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए किसानों ने बिल्कुल नए तरीके से कल 2 अक्तूबर को गांधी जयंती से एक नए तरीके के सत्याग्रह का आगाज किया है, समाधि सत्याग्रह का। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन के जरिए देश के आजादी में बड़ा योगदान दिया था, अब उन्हीं के जन्मदिन से समाधि सत्याग्रह की शुरुआत कर किसानों ने सरकार को चेताने की कोशिश की है, वो चाहे कितनी भी कोशिश कर ले वे अपनी जमीन के लिए जान तक कुर्बान कर देंगे।

गौरतलब है कि राजस्थान के जयपुर में कल से जमीन अधिग्रहण के विरोध में किसानों ने समाधि सत्याग्रह शुरू किया है। तकरीबन 2 दर्जन किसान अपने गर्दन तक के हिस्से को जमीन में गाड़कर प्रदर्शन कर सरकार को चेता रहे हैं कि अगर उनकी जमीन उनसे जबरन छीनी गई तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं। समाधि सत्याग्रह के तहत सिर्फ किसानों का गर्दन से उपर का हिस्सा बाहर निकला है।

मामले के मुताबिक जयपुर डवलपमेंट अथॉरिटी के खिलाफ किसानों का यह आंदोलन 2011 में शुरू हुआ था, तभी से यह आंदोलन जारी है। जयपुर के नींदड़ गांव की लगभग 1400 बीघा जमीन को अधिग्रहित किए जाने का आदेश पारित किया गया था, तभी से किसान अपनी जमीन अधिग्रहित करने का विरोध कर रहे हैं।

नींदड़ बचाओ समिति की ओर से इन सालों में लगातार जमीन अधिग्रहण के विरोध में विरोध—प्रदर्शन किए जा रहे हैं। पिछले दिनों यह आंदोलन उस समय तेज हुआ जब जयपुर विकास प्राधिकरण इस जमीन पर कब्जा करने के लिए पहुंच गया था। किसान जमीन अधिग्रहण के खिलाफ और भी ज्यादा मुखर हो गए हैं। किसानों का कहना है कि वे किसी भी हाल में अपनी जमीन जयपुर विकास प्राधिकरण को नहीं देंगे। इसके विरोध में ही लगभग 15—20 दिनों से किसानों ने दूध और सब्जियों की सप्लाई पर तक रोक लगा दी थी।

मगर किसानों के दूध और सब्जियों की सप्लाई रोकने के बावजूद सरकार अधिग्रहण करने से पीछे नहीं हटी तो किसानों को गांधीजी के जन्मदिन पर समाधि सत्याग्रह की शुरुआत की है।

आंदोलनकारी किसान कहते हैं कि वे अपनी जमीन पर जयपुर विकास प्राधिकरण को किसी भी हाल में कब्जा नहीं करने देंगे। यह उनकी जमीन है, सरकार उन्हें इससे बेदखल नहीं कर सकती। फिर भी अगर जेडीए ने जबरन उनसे जमीन छीनी तो उसे किसानों की लाशों से होकर जमीन का अधिग्रहण करना होगा। संवेदनहीन हो चुकी सरकार हम किसानों के मामले में बिल्कुल तानाशाह बन चुकी है।

गौरतलब है कि इस मसले पर आंदोलनकारी किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। किसानों ने कहा था कि सरकार 1 अक्तूबर तक बातचीत करके इस मसले को हल कर ले। मगर जब सरकार ने कोई पहलकदमी नहीं ली किसानों की मांगों को लेकर तो गुस्से में किसानों ने 2 अक्तूबर को जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू कर दिया।

समाधि सत्याग्रह किसानों ने नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नगेद्र सिंह शेखावत के नेतृत्व में शुरू किया है। अब तक समाधि सत्याग्रह कर रहे 7—8 लोगों की तबीयत बिगड़ने की खबरें भी आ रही हैं।

इस मसले पर संघर्ष समिति के संयोजक का कहना है कि हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन पिछले 15 दिन से सरकार की ओर से हमारी कोई सुध नहीं ली गई है, न ही जमीन समाधि सत्याग्रह करने के बाद सरकार की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव आया है।

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