केजरीवाल सरकार को एक रंगकर्मी की ललकार

Update: 2017-09-23 15:10 GMT

केजरीवाल सरकार ने नाट्यकर्मियों को इस लायक भी नहीं समझा कि वे खुद तय कर सकें कि नाटकों के माध्यम से वे कैसे समय और समाज से जुड़ सकते हैं...

जनज्वार, दिल्ली। आप अक्सर मोदी सरकार पर ये आरोप लगते हुए सुनते होंगे कि मोदी सरकार स्वतंत्र संस्थानों पर अपना धीरे-धीरे कब्जा जमा रही है। खासतौर पर कल एनडीटीवी के बिक जाने की खबर पर लोगों को मातम मानते देखा होगा। अक्सर ये सुना होगा कि देश में माहौल इतना खराब हो गया है कि लोग स्वतंत्रत रूप से अपनी बात नहीं कह सकते हैं।

यह सारी बातें सच हैं लेकिन एक और सच है जो मीडिया को गोदी मीडिया बताने वाले स्वयंभू एक्टिविस्ट पत्रकार नहीं बताएंगे। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार भी कुछ मामलों में मोदी सरकार से किसी भी माने में कम नहीं है।
 
चाहे वो ओड इवन योजना पर सवाल करने वाले पत्रकारों को मीडिया ग्रुप से बाहर करना हो या दिल्ली सरकार की शिक्षा की नीतियों पर सवाल उठाने पर कुछ मीडिया वालों का बायकॉट करना हो। इस कड़ी में एक नई चीज और जुड़ गई है। अब केजरीवाल सरकार कला पर भी कब्जा करने जा रही है।

आम आदमी पार्टी की सरकार की साहित्य कला परिषद के मुखिया डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने फरमान जारी कर कहा है कि नाट्यकर्मियों को उनके बताये गए विषयों पर ही नाटक करना होगा। 

केजरीवाल सरकार ने नाट्यकर्मियों को इस लायक भी नहीं समझा कि उनकी इतनी भी सम­झ होगी कि वे खुद तय कर सकें कि नाटकों के माध्यम से वे कैसे समय और समाज से जुड़ सकते हैं। लेकिन केजरीवाल की सरकार के इस फैसले को एक निर्भीक रंगकर्मी ने चुनौती दी है।

कल तक अन्ना आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले और अरविंद केजरीवाल और मनीष के सहयोगी रहे मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने केजरीवाल सरकार के गैर लोकतांत्रिक फैसले के खिलाफ बिगुल बजा दिया है।

अरविंद गौड़ ने केजरीवाल की सत्ता को सीधे चुनौती देते हुए कहा कि अब सरकार तय करेगी कि हमें क्या और किस विषय पर नाटक करना है। उन्होंने इसे कला की स्वयत्तता के लिए खतरनाक और गलत परंपरा की शुरुआत बताया है।

अरविंद गौड़ ने अपने ट्वीटर हैंडल पर मनीष सिसोदिया को टैग करते हुए कहा कि नाटक आपके हिसाब से नहीं चलेंगे, सरकार तो आती जाती रहेगी। पर रंगमच हमेशा है और रहेगा। उन्होंने अरविंद केजरीवाल सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि कला की स्वंतत्रता को नियंत्रित न करें।

पिछले दिनों नाट्यकर्मियों की डिप्टी सीएम से मीटिंग हुई थी। उन्हें लगा था कि वे आॅडिटोरियम की समस्या, रिहर्सल के लिए स्पेस न होने की समस्या और नाट्यकर्मियों की दूसरी समस्याओं पर साहित्य कला परिषद के कर्ताधर्ता और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से चर्चा करेंगे, लेकिन इन पर चर्चा करना तो दूर उन्होंने अपने तय एजेंडे के अनुरुप किन विषयों पर नाटक होना है यह बताकर निकल गए।

सत्ता कितनी खतरनाक होती है और व्यक्ति को किस तरह बैलगाम कर देती है, इसका उदाहरण मनीष सिसोदिया हैं। ये वही मनीष सिसोदिया हैं जो अपनी कलम से कल तक सत्तासीन लोगों के खिलाफ लिखते थे और कलम के सिपाही थे। आज ये खुद नेता बनकर उसी स्वतंत्रता को खत्म करने पर तुले हुए हैं।

सत्ता बहुत निरंकुश होती है। यह जिसके भी हाथ में हो, उसे निरंकुश बना देती है। चाहे वह मोदी हो या केजरीवाल और राहुल की कांग्रेस। इसलिए मीडिया का काम विपक्ष की भूमिका निभाना है, न कि पक्षकार बनाना।

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