PAK में लॉकडाउन: जुमे को परीक्षा की घड़ी, सामूहिक नमाज पर सरकार और उलेमाओं में ठनी
लॉकडाउन के कारण पाकिस्तान सरकार ने देश की सभी मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर पाबंदी लगाई हुई है। किसी भी मस्जिद में अधिकतम पांच लोग ही एक समय में हो सकते हैं...
इस्लामाबाद: कोरोना वायरस महामारी के लगातार बढ़ते प्रकोप के बीच कल (शुक्रवार) का दिन पाकिस्तान के लिए एक बड़े तनाव को लेकर आ रहा है। पाकिस्तान के महत्वपूर्ण माने जाने वाले उलेमा का एक हिस्सा सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन का उल्लंघन कर कल जुमे की सामूहिक नमाज मस्जिदों में पढ़ने पर अड़ गया है।
लॉकडाउन के कारण पाकिस्तान सरकार ने देश की सभी मस्जिदों में सामूहिक नमाज पर पाबंदी लगाई हुई है। किसी भी मस्जिद में अधिकतम पांच लोग ही एक समय में हो सकते हैं। लेकिन, बीते कुछ जुमे पर कई जगहों पर लोगों ने इस नियम को तोड़ने की कोशिश की और उनकी पुलिस से झड़पें हुई हैं।
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अब, उलेमा और धार्मिक नेताओं ने ऐलान कर दिया है कि वे कोरोना से बचने के लिए सुरक्षा उपाय तो अपनाएंगे लेकिन मस्जिदों में लॉकडाउन नियमों का पालन नहीं होगा और सामूहिक नमाजें होंगी। इस ऐलान के बाद, 17 अप्रैल को पहली बार जुमा पड़ रहा है। सरकार लॉकडाउन का उल्लंघन नहीं चाहती और उलेमा सामूहिक नमाज पर अड़े हैं जिससे तनाव बना हुआ है।
पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूर उल कादरी ने प्रमुख धार्मिक नेता मुफ्ती तकी उस्मानी व कुछ अन्य से बात की और उनसे कोरोना वायरस मामले में सरकारी निर्देशों का उल्लंघन नहीं करने और नमाजें घरों में पढ़ने को कहा।
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उस्मानी ने कादरी से मुलाकात की जानकारी संवाददाताओं को दी। उन्होंने कहा कि कादरी ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सरकार उनके सुझावों पर विचार करेगी। सुन्नी मुसलमानों के तमाम मतों के उलेमा ने कहा है कि वे मस्जिदों को अब बंद नहीं रहने देंगे और जुमे की सामूहिक नमाज पढ़ी जाएगी।
लेकिन, शिया समुदाय के उलेमा ने साफ कर दिया है कि उनका समुदाय सरकार के निर्देशों का पालन करेगा और उसकी किसी भी मस्जिद में पांच से ज्यादा लोग नहीं होंगे। समुदाय के लोग घरों में ही नमाज पढ़ेंगे। पाकिस्तान के विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने सामूहिक नमाज पर अड़े उलेमा का आलोचना करते हुए सरकार से ऐसा नहीं होने देने का मांग की है।