सिर्फ छींकने और खांसने से ही नहीं, इन असावधानियों से भी फैल सकता है कोरोना

Update: 2020-03-28 03:30 GMT

अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में सिंगापुर के तीन कोविड 19 के मरीजों के मल की जांच के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रहते हैं। इससे वायरस का फीकल -ओरल प्रसार हो सकता है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

हाल में ही अमेरिकन एकेडमी ऑफ़ ओप्थल्मोलोजी के जर्नल ओप्थल्मोलोजी में प्रकाशित एक शोधपत्र में बताया गया है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के आंसुओं से वायरस के फैलाने की संभावना नगण्य है। सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से ग्रस्त 17 पीड़ितों के नाक, गले और आंसुओं का लगातार 14 दिनों तक परीक्षण किया।

स दौरान उन्होंने पाया कि गले और नाक में तो वायरस की भरमार थी, लेकिन आंसुओं में वायरस नहीं थे। हो सकता है बहुत से लोगों को यह शोध बेवकूफी से अधिक कुछ न लगे, लेकिन अब अधिकतर वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि केवल छींक, खांसी या एक दूसरे के संपर्क में आने पर इतनी तेजी से कोई वायरस नहीं फैल सकता है, इसलिए अब इसके विस्तार के नए माध्यमों की तलाश की जा रही है।

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चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के 15 फरवरी के बुलेटिन के अनुसार इस समय दुनिया में कोविड-19 के जितने मरीज हैं, उतने केवल इससे संक्रमित लोगों के छींक, खांसी या उनके संपर्क में आने से नहीं हो सकते। पहले के अनुसंधानों से यह स्पष्ट है कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के शौच में भी रह सकता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि शौच में मिलने वाला वायरस सक्रिय रहता है या नहीं। इसलिए यहां के वैज्ञानिकों ने एक मरीज के मल से इस वायरस को अलग किया जो सक्रिय था और किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता था।

Full View सीधा मतलब है कि ऐसे मल से हाथ, खाद्य पदार्थ और पानी भी संक्रमित हो सकते हैं। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार जिन क्षेत्रों में यह रोग फैला है या जिस भी अस्पताल में इसके मरीज भर्ती हैं, वहां के लोगों को शौच के बाद ध्यानपूर्वक हाथ धोने की जरूरत है और पीने के पानी को उबाल कर पीयें।

17 फरवरी के इमर्जिंग माइक्रोब्स एंड इंफेक्शंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र के अनुसार कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के रक्त और गुदा (एनल) पट्टी में भी वायरस मौजूद रहते हैं। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में सिंगापुर के तीन कोविड 19 के मरीजों के मल की जांच के अध्ययन से स्पष्ट होता है कि ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद रहते हैं। इससे वायरस का फीकल -ओरल प्रसार हो सकता है।

दि कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति शौच के बाद पानी की कमी या फिर लापरवाही के कारण ठीक से हाथ नहीं साफ़ करे और फिर बाद में उसी हाथ से दूसरे स्वास्थ्य व्यक्ति से हाथ मिलाये या फिर स्वास्थ्य व्यक्ति किसी ऐसी सतह को छुए जो संक्रमित व्यक्ति छू चूका हो तब इसे फीकल-ओरल संक्रमण कहते हैं और इससे स्वस्थ्य व्यक्ति वायरस की चपेट में आ सकता है। संक्रमण के इस दौर में स्विमिंग पूल के उपयोग के लिए वैज्ञानिक इसी लिए मन करते हैं। ऐसे ही नतीजे अमेरिका, वियतनाम और चीन के अध्ययन के दौरान देखे गए हैं।

Full View मार्च को न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में वाशिंगटन स्थित प्रोविडेंस हेल्थ सिस्टम की प्रमुख डॉ एमी कौम्प्टन ने बताया है कि नाक से लेकर गुदा तक की श्लेष्मा झिल्ली (म्यूकस मेम्ब्रेन) में ये विषाणु पनप सकते हैं, इसके अतिरिक्त पाचन प्रणाली और रक्त में भी ये विषाणु पनप सकते हैं।

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मेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कण्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के आरएनए (वायरस का जेनेटिक पदार्थ) मरीजो के रक्त और मल के नमूनों में मिले हैं। इसके अनुसार ऐसा भी संभव है कि कोरोनावायरस सीधा ह्रदय, किडनी या लीवर पर आक्रमण करे और उसे भी क्षति पहुंचाए। पहले के अध्ययनों के अनुसार कोरोनावायरस नर्व कोशिकाओं को भी क्षति पहुंचा सकता है, और यदि ऐसा हुआ तो मस्तिष्क भी प्रभावित होगा।

स्पष्ट है कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए केवल मुंह और नाक को ढकना ही काफी नहीं है, क्योंकि इसके विस्तार के बहुत सारे और रास्ते भी हैं, जिनपर हम चर्चा भी नहीं करते।

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