प्रवासी मजदूर यहां नहीं किसी का वोटबैंक, इसलिए सामान की तरह रख दिया कार पार्किंग में

Update: 2020-04-21 12:29 GMT

जयपुर के राहत केंद्रों में मजदूर नर्क भोगने को मजबूर है. पीने को साफ पानी नहीं, भोजन का उचित प्रबंध नहीं, ने सोने की व्यवस्था...

मनोज ठाकुर की रिपोर्ट

जनज्वार, जयपुर। न खाने को साफ सुथरा भोजन। न पीने के लिए साफ पानी। एक ही टैंक। जिसके पानी को पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है और शौच जाने के लिए भी. हालात यह है कि यहां इंसान तो क्या जानवर भी नहीं रह पाये। फिर भी जयपुर में 54 ऐसे सेंटरों में 1200 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को रखा गया है।

किसी भी स्तर पर मजदूरों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। यदि वह कुछ बोलने की कोशिश करते हैं तो उन्हें धमका कर चुप करा दिया जाता है। यहां रह रहे मजदूरों ने बताया कि कोरोना से तो शायद वह बच भी जाये। लेकिन यदि ऐसे ही हालात रहे तो यहां वह बीमार जरूर हो जायेंगे।

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जदूरों ने बताया कि उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वह अपनी आवाज उठाने की कोशिश करते हैं तो पुलिस उन्हें लाठी दिखा कर चुप करा देती है। इस स्थिति में वह क्या करें? उन्होंने बताया कि क्योंकि वह बाहर से हैं, इसलिए स्थानीय प्रशासन भी उनकी ओर ध्यान नहीं दे रहा है।

राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के पदाधिकारी मुकेश ने बताया कि उन्होंने दर्जन भर से ज्यादा कैंपों का दौरा किया तो पाया कि यहां बहुत ही खराब हालत है। कैंपों के हालात जेल से भी बदतर है। वहां मजदूरों को किसी तरह की सुविधा देना तो दूर पीने के लिये साफ पानी तक नहीं है। उन्होंने बताया कि उसी टैंकर के पानी को पीना पड़ रहा है और इसी टैंकर के पानी से शौच के हाथ आदि साफ करते हैं। गर्मी होने के बाद भी रात में यहां पंखे नहीं चलाए जा रहे हैं। इस वजह से मजदूरों को रात भर जागना पड़ रहा है।

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कोरोना की चेन तोड़ने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। लेकिन यहां इस ओर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एक मजदूर अनिल को राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन ने चौगान स्टेडियम में पहुंचाया गया। उसने बताया कि वहां रात को ही बहुत अव्यवस्थाएं थी।

स्टेडियम के बेसमेंट में लोगों को डाल रखा है कोई व्यवस्था नहीं है। लोगों के लिए पंखे नहीं हैं इतने मच्छर हैं कि कोरोना हो ना हो मलेरिया जरूर हो जाएगा। फ़ोन चार्ज करने तक सुविधा नहीं है । फ़ोन चार्ज करने आते हैं तो पुलिस पीटती है।

क लड़के ने वीडियो मैसेज जारी कर बताया कि यहां पर पीने का पानी और शौच के हाथ धोने का पानी एक ही ड्रम से करना होता है। बार बार हाथ धोने की बात करते हैं। लेकिन हाथ धोने के लिए साबुन भी नहीं है।

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हालांकि इस मामले में इलाके के एडीएम बलबीर सिंह से जब जनज्वार संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि पानी के लिए टैंकर तो एक ही रहेगा। इससे पानी लिया जा सकता है। पानी बाल्टी या किसी अन्य बर्तन में लिया जा सकता है। यूं भी टैंकर में कई सारी टूंटियां है। उन्होंने बताया कि दो वक्त का भोजन दिया जा रहा है। इसके अलावा चाय भी दी जा रही है। मास्क और सेनिटाइजर उपलब्ध कराए गए हैं।

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मुकेश ने बताया कि यह सुविधा तो इसलिए उपलब्ध हो गई क्योंकि उन्होंने लगातार इसके लिए आवाज उठाई। इसके बाद भी दूसरे कैंपों की स्थिति खासी खराब है। इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

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