रामदेव की पंतजलि आयुर्वेद पर 75 करोड़ का जुर्माना, GST कटौती का फायदा ग्राहकों को नहीं दिया

Update: 2020-03-17 08:22 GMT

बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद पर बड़ा जुर्माना लगाया गया है. कंपनी पर ग्राहकों को जीएसटी कटौती का फायदा नहीं पहुंचाने के लिए दोषी पाया गया है...

जनज्वार। बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को जीएसटी दरों मे कटौती के बावजूद इसका फायदा ग्राहकों को नहीं पहुंचाने का दोषी पाया गया है. नेशनल एंटी प्रॉफिटिंग अथॉरिटी ने (NAA) पतं​जलि को दोषी ठहराते हुए 75.08 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. बता दें, 2017 में कई उत्पादों पर जीएसटी दरें 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई थी. बावजूद इसके पतंजलि ने कीमतें नहीं घटाई बल्कि वाशिंग पाउडर का बेसिक प्राइस भी बढ़ा दिया.

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NAA ने एक बयान में कहा है कि पतंजलि ने अपने लोकप्रिय डिटर्जेंट पावडर का बिक्री मूल्य नहीं घटाया. बल्कि सामानों के बेस प्राइस में इजाफा किया. पतंजलि आयुर्वेद ने इस तरह 74.08 करोड़ रुपये का मुनाफा बनाया. एंटी प्रॉफिटिंग कमिटी ने कंपनी को इतनी रकम 18 फीसदी ब्याज के साथ केंद्र और राज्यों के कंज्यूमर वेलफेयर फंड्स में तीन महीने के भीतर जमा कराने के लिए कहा है.

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पतंजलि आयुर्वेद ऐसी इकलौती कंपनी नहीं है, जिस पर इस तरह की मुनाफाखोरी रोधी प्रावधानों के तहत कार्रवाई हुई है. हाल ही में डव साबुन बनाने वाली कंपनी एचयूएल और मैगी नूडल्स बनाने वाली कंपनी नेस्ले के खिलाफ भी इस तरह की कार्रवाई हो चुकी है.

NAA ने एक बयान में बताया कि पतंजलि ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद उसे नुकसान उठाना पड़ा था, क्योंकि रेट बढ़ने के बाद भी उसने कीमतें नहीं बढ़ाई थी. इस तर्क को एनएए ने खारिज कर दिया. एनएए का कहना है कि पतंजलि की तरफ से कीमतें नहीं बढ़ाना कारोबारी फैसला था और इसे टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाने की वजह नहीं बताया जा सकता है.

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NAA ने पतंजलि के उस तर्क को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यह जांच धारा 19(1)(g)का उल्लंघन है. अथॉरिटी ने कहा कि यह तर्क सही नहीं है, क्योंकि अथॉरिटी या डीजीएपी ने प्राइस कंट्रोलर या रेग्युलेटर की तरह काम नहीं किया. इस बीच, डायरेक्टर जनरल एंटी प्रॉफिटिंग (DGAP) ने चार महीने के भीतर एक कम्प्लायंस रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं.

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