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जनज्वार विशेष

सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं हिंदुओं की भी NPR-NCR से है नागरिकता खतरे में

Prema Negi
3 Jan 2020 9:02 PM IST
सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं हिंदुओं की भी NPR-NCR से है नागरिकता खतरे में
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NPR की कवायद के बाद देश में ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में निकलेगी, जोकि अपनी गरीबी, अशिक्षा व आापदा के कारण अपने आपको देश का नागरिक साबित नहीं कर पाएंगे और इससे देश में जनता के बीच अविश्वास व अराजकता का माहौल पैदा होगा...

स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मुनीष कुमार का विश्लेषण

1 अप्रैल, 2020 से देश की जनता के लिए राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर परेशानियों का एक और दौर शुरु होने जा रहा है। सरकार सिटीजन (रजिस्ट्रेशन आफ सिटीजन एंड इश्यू आफ आइडेंटिटी कार्ड) रूल 2003 के तहत NPR को अपडेट कराने की कबायद शुरु करने जा रही है। NPR की यह कवायद आगामी 1 अप्रैल, 2020 से सितम्बर 2020 तक की जाएगी। इसके लिए सरकार ने लगभग 4 हजार करोड़ का बजट भी जारी कर दिया है।

सके तहत सरकार के गणनाकार अधिकारी/कर्मचारी न केवल घर-घर आकर NPR के लिए एक निर्धारित फार्म पर जानकारी एकत्र करेंगे बल्कि जिस फार्म पर नीले बाॅल पेन से जानकारी दर्ज करेंगे, उस पर परिवार के मुखिया के हस्ताक्षर अथवा निशानी अंगूठा भी लेंगे। इसमें सभी नागरिको को जानकारी देना अनिवार्य बनाया गया है।

जनता को अंधेरे में रखकर (NPR) को लाया जा रहा है

इस NPR के लिए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने आफिशियल इस्तेमाल के लिए 40 पृष्ठों में इंस्ट्रक्शन मैनुअल जारी की है। इस मैनुअल में पहला पेज मुख पृष्ठ है तथा उसके अगले दो पृष्ठों में सारणी दी गयी है। समूचे दस्तावेज में कुल 43 पृष्ठ होने चाहिए, परन्तु सरकार द्वारा कुल 40 पृष्ठ ही जारी किए गये हैं।

सारणी में प्रारम्भ के 3 पृष्ठों को छोड़कर कुल 40 पृष्ठों में 6 बिंदुओं पर आधारित सूची उनके पृष्ठ संख्या का उल्लेख करते हुए दी गयी है। इसमें दी गयी सारणी में बिंदु संख्या 6 के तहत बताए गये पृष्ठों में से अंत में पृष्ठ संख्या 38, 39 व 40 के रुप में संलग्नित किए गये एनेक्स (VIII), (IX) व (X) को बड़ी चालाकी के साथ संलग्नित नहीं किया गया हैं। ये वही 3 पृष्ठ नहीं जारी किये गये हैं जो (NPR) के तहत घर-घर जाकर सरकार द्वारा भरवाए जाने हैं। इन 3 पृष्ठों में अंतिम तौर पर जनता से क्या सवाल पूछे जाने हैं ये अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। देखें- संलग्नक 1

संलग्नक 1

र्ष 2010 के (NPR) में कुल 15 प्रश्न पर आधारित जानकारी मांगी गयी थी। इंडियन एक्सप्रैस की रिपोर्ट के अनुसार 2020 के (NPR) में प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 21 कर दी गयी है। सरकार फिलहाल वास्तविकता को छुपा रही है।

NPR से व्यक्ति निजता खतरे में है

गृह मंत्रालय द्वारा जारी ये मैनुअल किसी विभाजनकारी, साम्प्रदायिक खोपड़ी की उपज से ज्यादा कुछ नहीं है। इसकी बिंदु संख्या 1.8, 1.9 व 1.17 के अनुसार आधार नंबर, मोबाइल नं, वोटर आई डी नंबर, पासपोर्ट व ड्राइविंग लायसेंस नंबर देना स्वैच्छिक बताया गया है। मतलब कोई भी व्यक्ति को आधार नंबर, मोबाइल नंबर, वोटर आई डी नंबर, पासपोर्ट व ड्राइविंग लायसेंस नंबर से सम्बन्धित जानकारी देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।

रंतु वहीं दूसरी तरफ इसकी धारा संख्या 2.2.3 (IV) में एसडीएम स्तर के अधिकारी को कहा गया है कि वह इस बात का भरपूर प्रचार करे कि गणना करने आ रहे गणनाकारों को दिखाने के लिए लोग आधार नं., मोबाइल नं, वोटर आई डी नं., पासपोर्ट व ड्राइविंग लायसेंस नं अपने पास तैयार रखें।

सी तरह के निर्देश तहसील स्तर के अधिकारी के लिए भी धारा संख्या 2.2.4 (V) में दिये गये हैं। ऐसे में जब पूरी राज्य मशीनरी उक्त दस्तावेजों को दिखाने के लिए जोर डालेगी तो देश में गिने चुने लोग ही होंगे जो कि इन दस्तावेजों की जानकारी देने से इंकार कर पायेंगे।

ज देश में सभी प्रकार के बैंक खाते व सरकारी योजनाएं मोबाइल व आधार आदि से जुड़ चुकी हैं। NPR के द्वारा अब लोगों की जानकारी एक जगह एकत्र कर ली जाएगी, जो कि बेहद खतरनाक है। इससे न केवल आदमी की निजता का हनन होगा, बल्कि व्यक्ति के मोबाइल व आधार आदि दस्तावेजों के दुरुपयोग की भी पूरी सम्भावना हो जाएगी।

एक साम्प्रदायिक दस्तावेज है (NPR)

मोदी सरकार द्वारा विगत दिसम्बर 2019 में बनाए गये नागरिकता संशोधन कानून (CAA) में पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश से आए शरणाथियों में से खासतौर पर मुस्लिमों को नागरिकता देने से वंचित किया गया है। इसी तर्ज पर सरकार ने NPR बनाने की कवायद में भी व्यक्ति की जन्मतिथी की गणना के माामले में भी मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया है।

स दस्तावेज के चाथे खंड में गणनाकारों के द्वारा जानकारी एकत्र करने के लिए पूछे जाने वाले प्रश्नों का विवरण दिया गया है। जिसके तहत 14 बिंदुओं पर आधारित प्रश्नों का उल्लेख किया गया है। इसके प्रश्न सं. 5 में जिन व्यक्तियों को अपनी जन्मतिथि की जानकारी नहीं है उनकी जन्मतिथि अंग्रेजी कैलेन्डर के अनुरूप तय करने के लिए पृष्ठ संख्या 32 पर संलग्नक (Anex 5) दिया गया है, जिसके तहत व्यक्ति से पूछताछ कर महत्पूर्ण त्यौहारों व पर्वों के माध्यम से उसकी वास्तविक जन्मतिथि निर्धारित करने के लिए निर्देश दिये गये हैं।

इस संलग्नक (Anex 5) में साल के बारह महीनों में आने वाले हिन्दुओं, सिख, जैन, बौद्ध व ईसाइयों के ज्यादातर त्यौहारों व देश के राष्ट्रीय पर्वों का उल्लेख है, परंतु मुस्लिमों के ईद, रमजान से लेकर एक भी त्यौहार का उल्लेख नहीं है, जो कि सरकार के साम्प्रदायिक एजेन्डे को नंगा करके रख देता है। देखें संलग्नक-2

संलग्नक-2

सरकार का यह कदम न केवल सविधान के अनुच्छेद 14 व 15 का उल्लंघन है जिसके तहत देश में सभी को कानून के समक्ष समानता का अधिकार मिला है, बल्कि देश के धर्मरिपेक्षता के सिद्वान्तों पर भी खुली चोट है।

जनता को बेहद परेशान करने वाला है NPR

पृष्ठ 23-24 पर दिये गये प्रश्न 13 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने माता-पिता की जन्मतिथि व उनका जन्मस्थान का उल्लेख करना होगा। देखें संलग्नक-3

संलग्नक-3

ये एक ऐसा प्रश्न है जो देश के सभी नागरिकों को बेहद परेशान करेगा। देश में ज्यादातर लोगों को अपने माता-पिता की जन्मतिथि की सही जानकारी नहीं है। इसमें गलती की पूर्ण सम्भावना है और ये गलती किसी से भी हो सकती है।

दरअसल NPR चोर दरवाजे से लायी जा रही राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) ही है। आसाम में NRC के तहत सभी दस्तावेज जनता से मांगे गये थे। NRC में सरकार जनता से केवल जानकारी मांग रही है।

2003 के सिटीजन रूल की धारा 10 व्यक्ति का नाम नागरिकता सूची से बाहर करने से सम्बंधित है। इसके बिंदु सं. 1(IV) में स्पष्ट कहा गया है कि परिवार द्वारा उपलब्ध कराए गये विवरण को गलत पाए जाने पर व्यक्ति की नागरिकता प्रभावित होगी।

इसकी धारा धारा 4 में कहा गया है कि इस प्रक्रिया के दौरान प्राप्त जानकारी का सत्यापन व मूल्यांकन किया जाएगा तथा इस प्रक्रिया में जिसकी नागरिकता संदेहास्पद पायी जाएगी।

उसके नाम के सामने टिप्पणी दर्ज कर उसे एक प्रपत्र च्तववितउं पर सत्यापन के लिए नोटिस भेजा जाएगा। पंजीकरण अधिकारी उसकी नागरिकता पर अंतिम निर्णय लेने से पहले व्यक्ति को सुनवाई का एक मौका दिया जाएगा।

सभी धर्म के लोगों के खिलाफ है NPR

जो लोग इस NPR को सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ समझते हैं वे या तो नादान है या फिर परले दर्जे के मूर्ख हैं। आसाम में हुई NRC की कवायद में 3 करोड़ लोगों में से 19 लाख लोग (लगभग 6 प्रतिशत) अपने को देश का नागरिक साबित नहीं कर पाए थे। इनमें 15 लाख से भी अधिक हिन्दू थे और इनमें बड़ी संख्या उन भारतीयों की भी थी जो कि देश के दूसरे प्रांतों से आकर आसाम में बस गये थे। वे बाढ़, आग, आपदा व गरीबी के कारण अपने दस्तावेज दाखिल नहीं कर पाए थे। इस कारण उनका नाम नागरिकता सूची से बाहर कर दिया गया।

NPR की कवायद के बाद देश में ऐसे लोगों की संख्या करोड़ों में निकलेगी, जोकि अपनी गरीबी, अशिक्षा व आापदा के कारण अपने आपको देश का नागरिक साबित नहीं कर पाएंगे और इससे देश में जनता के बीच अविश्वास व अराजकता का माहौल पैदा होगा।

मोदी सरकार द्वारा की जा रही NPR की कवायद न केवल विभाजनकारी व साम्प्रदायिक है, बल्कि संविधानिक मूल्यों व मानवीय गरिमा के खिलाफ भी है। जनता को जाति-धर्म से ऊपर उठकर NPR को खारिज करने की मांग सरकार से करनी चाहिए। हम सभी इस देश के नागरिक हैं और हमसे इसका प्रमाण मांगना पूर्णतः अनुचित व असंवैधानिक है।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के संयोजक हैं।)

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