Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों की चौराहे पर होर्डिंग लगाने पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार से मांगा जवाब

Ragib Asim
8 March 2020 8:05 AM GMT
CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों की चौराहे पर होर्डिंग लगाने पर हाईकोर्ट हुआ सख्त, सरकार से मांगा जवाब
x

चीफ जस्टिस योगी सरकार पर सख्त हुए और कहा कि इस तरह चौराहे पर आखिर होर्डिंग में लोगों की तस्वीरों क्यों लगा दी गयीं। अगर वह लोग हिंसा फैलाने में शामिल रहे तो उनसे वसूली के दूसरे तरीके हो सकते हैं, मगर यह तरीका बिल्कुल जायज नहीं है....

जनज्वार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को आयोजित एक विशेष बैठक में लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीर और विवरणों वाले बैनर लगाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों की खिंचाई की।

लाहाबाद हाईकोर्ट ने रविवार को आयोजित एक विशेष बैठक में लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीर और विवरणों वाले बैनर लगाने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों फटकार लगाई।

मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की पीठ ने कहा कि कथित CAA प्रोटेस्टर्स के पोस्टर लगाने की राज्य की कार्रवाई "अत्यधिक अन्यायपूर्ण" है और यह संबंधित व्यक्तियों की पूर्ण स्वतंत्रता पर एक "अतिक्रमण" बताया है।

19 दिसंबर, 2019 को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने पर लगभग 60 लोगों को वसूली नोटिस जारी किए गए हैं, जिनके विवरण के साथ लखनऊ प्रशासन ने शहर में प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग्स लगाए। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि हजरतगंज क्षेत्र में मुख्य चौराहे और विधानसभा भवन के सामने सहित महत्वपूर्ण चौराहों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पोस्टर लगाए गए हैं।

नज्वार के दिल्ली ब्यूरो ने भी मीडिया में आ रही सूचना के आधार पर खबर लगा दी थी कि इस मामले में कोर्ट ने होर्डिंग हटाने का निर्देश योगी सरकार को ​दे दिया है, जबकि इस मामले में 3 बजे फैसला होना है। हालांकि कोर्ट ने सरकार से यह जरूर पूछा ​है कि चौराहे पर इस तरह दंगे के आरोपी कहकर लोगों के फोटो क्यों चस्पां कर दिये हैं और यह किसके आदेश पर किया गया है।

रिहाई मंच के राजीव यादव ने इस मामले में जनज्वार से बात करते हुए कहा कि इस मामले में 3 बजे सुनवाई होगी और कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा।

लाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीरों और विवरणों वाले बैनर लगाने पर उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई के लिए 8 मार्च, रविवार सुबह 10 बजे एक विशेष बैठक आयोजित की।

गौरतलब है कि आरोपी व्यक्तियों के नाम, पते और चित्र वाले बैनर शुक्रवार को लखनऊ के कई हिस्सों में दिखाई दिए। उन्हें विरोध प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान का भुगतान करने के लिए कहा गया है। एक्टिविस्ट सदफ जाफ़र, मानवाधिकार वकील मोहम्मद शोएब, कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी आदि के चित्र भी एक बैनर में दिखाई दिए और यह संबंधित व्यक्तियों की पूर्ण स्वतंत्रता पर एक "अतिक्रमण" है।

नज्वार से हुई बातचीत में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में आरोपी बनाये गये मोहम्मद शोऐब के वकील संतोष कुमार ने बताया कि 'सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस योगी सरकार पर सख्त हुए और कहा कि इस तरह चौराहे पर आखिर होर्डिंग में लोगों की तस्वीरों क्यों लगा दी गयीं। अगर वह लोग हिंसा फैलाने में शामिल रहे तो उनसे वसूली के दूसरे तरीके हो सकते हैं, मगर यह तरीका बिल्कुल जायज नहीं है। अब इस मामले में 3 बजे सुनवाई होगी और होर्डिंग मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनायेगी।'

19 दिसंबर, 2019 को सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने पर लगभग 60 लोगों को वसूली नोटिस जारी किए गए हैं, जिनके विवरण के साथ लखनऊ प्रशासन ने शहर में प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग्स लगाए। एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि हजरतगंज क्षेत्र में मुख्य चौराहे और विधानसभा भवन के सामने सहित महत्वपूर्ण चौराहों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पोस्टर लगाए गए हैं। अदालत ने कहा कि राज्य आज दोपहर 3 बजे से पहले ऐसे सभी होर्डिंग्स हटाए और इस बारे में अदालत को 3 बजे अवगत कराए। अपराह्न 3 बजे राज्य की ओर से एजी के अदालत में उपस्थित होने की संभावना है।

लाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए‌) के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा के आरोपी व्यक्तियों की तस्वीरों और विवरणों वाले बैनर लगाने पर उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ स्वत: संज्ञान लिया। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई के लिए 8 मार्च, रविवार सुबह 10 बजे एक विशेष बैठक आयोजित की थी।

रोपी व्यक्तियों के नाम, पते और चित्र वाले बैनर शुक्रवार को लखनऊ के कई हिस्सों में दिखाई दिए। उन्हें विरोध प्रदर्शनों के दौरान कथित रूप से सार्वजनिक संपत्तियों के नुकसान का भुगतान करने के लिए कहा गया है। एक्टिविस्ट सदफ जफ़र, मानवाधिकार वकील मोहम्मद शोएब, कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी आदि के चित्र भी एक बैनर में दिखाई दिए।

Next Story

विविध