महोबा जिला जेल में बंद कैदियों ने खाया जहर, जेल प्रशासन पर मारपीट और टॉर्चर का लगाया आरोप

Update: 2020-03-01 05:25 GMT

जेल में किसी भी अधिकारी की विजिटिंग के दौरान पीड़ित कैदियों बंदियों को किसी अलग सेल में बंद कर दिया जाता है। इतना ही नही अव्यवस्थाओं के खिलाफ जरा भी मुंह खोलने पर जानवरों की तरह मारपीट व बहुत बुरा व्यवहार किया जाता है…

कानपुर से मनीष दुबे की रिपोर्ट

जनज्वार। उत्तर प्रदेश के महोबा जिला जेल में दो कैदियों ने जहर खा लिया, जिसके बाद जेल प्रशाशन के हाथ-पांव फूल गए। दोनों कैदियों का आरोप है कि उन्हें प्रशासन द्वारा परेशान किया जा रहा था। उनके साथ आये दिन मारपीट की जा रही थी। हाल ही में दोनों कैदियों से पैसे की मांग भी की गई थी। बताया जा रहा है कि दोनों कैदी मानसिक अवसाद के दौर से गुजर रहे थे। इसी से आजिज आकर उन्होंने 28 फरवरी को जहर खाकर जान देने की कोशिश की गयी।

हीं जहरीला पदार्थ खाने के चलते दोनों कैदियों की हालत अधिक बिगड़ गई, जिसके बाद दोनों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पहले भी जिला कारागार से आ चुके हैं। ऐसे मामले पूर्व में भी कैदियों द्वारा जहरीले पदार्थ का सेवन किया जा चुका है। डॉक्टरों द्वारा उपचार किया जा रहा है। दोनों की हालत गंभीर बताई जा रही है।

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बीती 25 फरवरी को जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी व पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार ने उपकारागार का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान अफसरों ने जेल की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। बैरकों में निरुद्ध बंदियों से व्यवस्थाओं की जानकारी ली और जेल प्रशासन को निर्देश दिए गए थे। इस निरीक्षण से जेल अधिकारियों में हड़कंप मचा रहा था।

Full View कारागार में निरीक्षण के दौरान डीएम व एसपी ने जेल परिसर में बंदियों के रहने खाने आदि व्यवस्थाओं को चेक किया। बैरकों में जाकर बंदियों से समस्याओं की जानकारी भी ली गई थी। जिसमे कुुछ खामियां मिलने पर जेल प्रशासन को निर्देश दिए गए थे। निरीक्षण दौरान अधिकारियों ने अभिलेख चेक किए और कहा कि जेल परिसर के अंदर कोई भी अनुचित व प्रतिबंधित वस्तुओं को न आने दिया जाए। निरीक्षण दौरान यदि कोई ऐसी सामग्री मिलती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। निरीक्षण के दौरान अपर पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र कुमार, एसडीएम सदर राकेश कुमार, सीओ सिटी जटाशंकर राव आदि उपस्थित रहे थे।

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ताया जा रहा है कि जेल में किसी भी अधिकारी की विजिटिंग के दौरान पीड़ित कैदियों बंदियों को किसी अलग सेल में बंद कर दिया जाता है। इतना ही नही अव्यवस्थाओं के खिलाफ जरा भी मुंह खोलने पर जानवरों की तरह मारपीट व व्यवहार किया जाता है। जेल प्रशासन के इसी व्यवहार से तंग आकर दो कैदियों ने जेल में जहर खाकर आत्मदाह का प्रयास किया है।

जहर आया कहां से

जेल के अंदर इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद जहर आया कहां से ये बड़ा सवाल है। जेल प्रशासन की मानें तो इस प्रकार की घटनाओं में कैदी—बन्दी त्रस्त होकर जो पॉइजन इस्तेमाल करते हैं, उसकी जानकारी के अनुसार वो जेल में ही मौजूद रहता है। इसमें कैदी जेल हॉस्पिटल में वितरित की जाने वाली दवाइयों को अधिके मात्रा में खा लेते हैं। या फिर मच्छर मारने वाली दवा या केरोसिन इत्यादि पी लेते हैं। जिसे जेल में जहर का नाम दिया जाता है।

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