बलात्कारियों से बेटी बचाने की अपील के साथ सैकड़ों लोग उतरे सड़क पर, निकाला सैंडल मार्च

Update: 2018-04-22 18:54 GMT

कहा बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करे भाजपा, बिना किसी राजनीति के बलात्कारियों को तुरंत लटकाए फांसी पर

झारखंड में एक महीने के दौरान 6 बच्चियों से बलात्कार की घटनाएं आई हैं सामने, जो उठाती हैं पुलिस प्रशासन की तरफ अंगुली, ज्यादातर मामलों में पुलिस भी अपराधी

रांची से विशद कुमार की रिपोर्ट

कठुआ, उन्नाव और सूरत में बलात्कार की हुईं वीभस्त घटनाओं पर सरकारी चुप्पी एवं तलवाचाटू मीडिया की इन घटनाओं पर संवेदनहीन रिर्पोटिंग के खिलाफ 21 अप्रैल शाम 4 बजे से सैनिक बाजार, रांची, झारखंड में 'सैंडल मार्च' का आयोजन किया गया। इस मार्च में तकरीबन 500 लोगों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम में झारखंड के आईसा, एपवा, डीवाईएफआई, एआईपीएफ, एसएफआई, एआईएसएफ, आदिवासी युवा मोर्चा, झारखंड निर्माण मजदूर , यूनाईटेड मिली फोरम, जेआईडीएफ सहित कई महिला व युवा संगठनों ने भागीदारी निभाई।

कार्यक्रम के आयोजकों द्वारा एक प्रेस बयान जारी कर कहा गया कि देश में पहले छात्राओं पर हमला हुआ, फिर मुस्लिमों पर, उसके बाद किसानों पर हमला हुआ, अब औरतों और बच्चियों पर हमला हो रहा है। हम कहा जा रहे हैं। अगर सरकार अपने संवेदनहीन रवैये से बाज नहीं आती है तो 'बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ' योजना, 'महिला सशक्तीकरण' योजना, 'फास्ट ट्रक कोर्ट', 'निभया फंड', जैसी सरकारी योजना धरी की धरी रह जाएंगी।

बेटियों को बलात्कारियों से बचाओ 'सैंडल मार्च'कार्यक्रम में रांची की सैकड़ों महिला—पुरुषों ने भाग लिया और सरकार की संवेदनहीन रवैए के प्रति आक्रोश व्यक्त किया।

कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि देशभर में हो रहे बलात्कार एवं बढती हिंसा में दुधमुंही बच्चियों तक को नहीं बख्शा रहा है। इस तरह की घटनाओं में अधिकतर पुलिस वाले संलिप्त पाए जा रहे हैं, लगातार हो रहे रेप की घटना से समाज में बुरा असर पड़ रहा है।

पुलिस की इस नीच हरकत से समाज के असामाजिक तबके के लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। देश के कोने कोने में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं तेजी से बढती जा रही हैं और देश चुप है। हमें लगता है इस चुप्पी को देश तमाम प्रगतिशील एवं जनवादी ताकतों को आपस में मिलकर तोड़ा जाना चाहिए, जिसकी एक कड़ी के रूप में यह सैंडल मार्च है।

लगातर हो रही बलात्कार और हत्या की घटनाओं को लेकर औरतें मर्माहत हैं। पूरे देश के साथ झारखण्ड की औरतों ने सड़क पर उतर कर अपना ग़ुस्सा का इजहार किया है। देश के 21 राज्यों में 12 से भी कम उम्र की बच्चियां अधिकतर बलात्कार का शिकार हो रही हैं।

झारखण्ड में एक महीने में 9 बच्चियों के साथ रेप हुआ है। झारखण्ड में 24 जिलों में बेटियों पर यौन हमले बढ़े हैं। हम स्त्रियों के प्रति अन्याय और अमानवीयता के ख़िलाफ़ यह ज़रूरी लड़ाई जारी रखेंगे। हम इसे कमज़ोर नहीं होने देंगे और इसमें अपने हिस्से का योगदान लोगों से और सरकार से मांग करेंगे!

सैंडल मार्च के जरिए तमाम संगठनों के कार्यकताओं और आम जनता ने सरकार से मांग की कि  बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए पोस्को कानून के तहत आरोपियों के लिए फांसी की सजा मुकर्रर की जाए। बलात्कार के ख़िलाफ़ कड़े कानून बनाने और उन्हें कड़ाई से लागू किया जाए।

भाजपा सरकार की तरफ इशारा करते हुए कार्यकर्ताओं ने मांग की कि वह बलात्कारियों को संरक्षण देना बंद करे। रेप की घटनाओं में कमी लाने के लिए महिला थाने चुस्त—दुरुस्त करे।महिला हिंसा कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए और ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्टों को नियमित किया जाए।

साथ ही मांग की गई कि निर्भया फंड को लागू कर पीड़ित परिवारों की आर्थिक मदद की जाए। झारखण्ड में महिला नीति बनाने के साथ जस्टिस वर्मा की सिफारिशों को देशभर में अबिलंब लागू करने की मांग भी की गई। सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटी, बैंकों में महिला सुलभ शौचालय सुचारू रूप से चलाने की मांग की गई, जिससे महिलाओं को शौच के लिए बाहर न जाना पड़े।

बढ़ते बाल अपराधों पर रोक लगने के लि बालिका नीति बने और हर थाने में पुलिस के लिए काउंसलिंग सेंटर बनाने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई।

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