सऊदी अरब में फंसे युवाओं को 24 घंटे में सिर्फ एक बार मिल रहा भोजन, मोदी सरकार से लगाई गुहार
उत्तर प्रदेश सहित बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों में रहने वाले करीब 10 युवक ह्यूमन ट्रैफकिंग का शिकार होकर सऊदी अरब में फंसे हुए हैं। लॉकडाउन के समय उन सभी को वहां कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं, 24 घंटों में सिर्फ 1 बार मिल पा रहा है भोजन...
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। कोविड-19 की महामारी के बाद देश मे लॉकडाउन घोषित होने के चलते विदेश की सभी उड़ानें भी रद्द कर दी गई थीं। उड़ानें रद्द होने के बाद देश के विभिन्न राज्यों के हजारों लोग विदेश में फंस गए हैं, जिसमें सिर्फ कानपुर के लगभग 12 हजार से अधिक लोग हैं। इन सभी लोगों में अधिकतर वो लोग हैं जो मध्य एशियाई देशों में मजदूरी के लिए जाते हैं। पश्चिमी देशों में पढ़ाई करने वाले छात्र भी उड़ानें रद्द होने से फंसे हुए हैं।
अब मोदी सरकार ने विदेश में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस लाने की पहल शुरू की है, जिसके बाद सभी फंसे लोगों के साथ उनके परिजन भी राहत की सांस ले पा रहे हैं। हालांकि इसके साथ ही मोदी सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मुफ्त में किसी को भी वापस नहीं लाया जायेगा, सबसे किराया वसूला जायेगा। ऐसे में उन मजदूरों के लिए वापस आना एक बड़ी चुनौती होगी जो कई दिनों से खुद भूखों मरने की हालत में हैं और किसी भी हालत में वापस आना चाहते हैं। मजदूरों के लिए वापसी का किराया जुटाना वाकई एक चुनौती भरा काम होगा।
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सऊदी अरब, बहरीन, कतर, कुवैत में नौकरी मजदूरी करने वाला भी बड़ा वर्ग है, जो भारतीय है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका, न्यूजीलैंड, जर्मनी और फ्रांस में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं भी हैं, जो कोरोना की भयावहता के बाद किये गये लॉकडाउन के कारण विदेशों में फंसे हुए हैं। यह सभी लोग अपने देश वापस आना चाहते हैं। नौकरीपेशा मजदूर वर्ग काम धाम न होने के बाद जहां फंसे हैं, वहां उन्हें अब खासी परेशानियां होने लगी हैं।
विदेशों में फंसे मजदूर किसी भी हाल में भारत वापस आना चाहते हैं। इसके लिए वो मीडिया माध्यमों को अपनी तकलीफ साझा करने लगे हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार 1 मई को मैसेंजर के जरिये जनज्वार के पास एक मैसेज आया था। मैसेज किसी विदेशी व्यक्ति का था, जो मदद और व्हाट्सएप नम्बर मांग रहा था, ताकि अपनी तकलीफ साझा कर सके।
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जिस व्यक्ति ने जनज्वार से संपर्क किया वह लगातार मैसेजों से मदद की गुहार लगा रहा था। उसने बताया कि उत्तर प्रदेश सहित बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों में रहने वाले करीब 10 युवक ह्यूमन ट्रैफकिंग का शिकार होकर सऊदी अरब में फंसे हुए हैं। लॉकडाउन के समय उन सभी को वहां कई तरह की परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
सऊदी अरब में फंसे इन 10 लोगों ने जनज्वार से संपर्क कर वीडियो और लिखित तौर पर बताया कि 'हम 10 लोग सऊदी अरब के अल खोबर शहर में अमवाज अल खोबर नाम की कंपनी में फंसे हैं। हम सभी को यहां 3 महीने होने वाले हैं। कोरोना और लॉकडाउन के चलते हम लोग सरकार से मदद या कंप्लेन भी नहीं कर पा रहे हैं। हमको 24 घंटे में मात्र एक टाइम का ही खाना दिया जा रहा है। हमारे पास अब पैसे और खाने के नाम पर कुछ भी नहीं बचा है। ऐसा ही रहा तो हम ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पायेंगे, प्लीज हमारी मदद करो। मोदी सरकार से गुजारिश है कि हमें वापस देश ले जाने का इंतजाम करे।
हमने साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस मामले की परत दर परत पड़ताल की तो बात सही निकली। हमने अरब में फंसे युवाओं से उनके परिजनों का नंबर मांगा। उनसे हमें जो नंबर मिला वो उत्तर प्रदेश के कुशीनगर निवासी प्रदीप चौहान का था।
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प्रदीप से जब जनज्वार ने संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि उनका भाई धनेष चौहान लॉकडाउन के बाद वहां फंस गया है। प्रदीप ने कहा कि प्लीज किसी भी तरह हमारी मदद कीजिये जिसे मेरा भाई और उसके साथियों को वापस लाया जा सके। वो लॉकडाउन के बाद वहां बहुत बुरी तरह फंस गये हैं, उन्हें कई तरह की परेशानियां हो रही हैं।
प्रदीप ने ही जनज्वार से हुई बातचीत में कहा कि धनेष और उसके लगभग 10 साथी किसी तरह अपने घरों पर बात कर पा रहे हैं, इनमें से कई लोग तो अपने परिजनों से बात तक नहीं कर पा रहे। सभी के परिजन बहुत परेशान हैं। परिजन कहते हैं, पेट की खातिर अरब में हमारे बच्चे मजदूरी करने गये थे, मगर कोरोना के बाद हुए लॉकडाउन ने उन्हें मुसीबत में डाल दिया है। हमारी सरकार से गुहार है कि किसी भी तरह उन्हें यहां वापस ले आये।
सऊदी अरब में कोरोना लॉकडाउन में फंसे मोहम्मद इब्राहिम की पत्नी तबस्सुम से जनज्वार की बात हुई। कोलकाता में रह रहीं तबस्सुम ने जनज्वार को बताया, अपने पति इब्राहिम के सऊदी में फंस जाने से वह बहुत परेशान हैं। उनका एक बेटा 4 वर्ष का है और दूसरा बच्चा इस दुनिया में आने वाला है। तबस्सुम गर्भवती हैं। पति के सऊदी अरब में फंसे होने से तबस्सुम को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वह कहती हैं कि कैसे भी करके उनके पति वापिस उनके पास आ जायें।
सऊदी अरब में फंसे 10 लोगों में धनन यादव पुत्र रामप्रवेश यादव अहरा बिहार, धनेष कुमार चौहान पुत्र रामप्रीत चौहान निवासी कुशीनगर उत्तर प्रदेश, शमशाद अली पुत्र मोहम्मद आजिम सीवान बिहार, आजाद अनवर, आकिब रजा इदरीशी बिहार, इब्राहिम अंसारी पुत्र उस्मान मियां गोपालगंज बिहार, राजेन्द्र यादव पुत्र दशरथ यादव झारखंड, नाजिम नदाफ पुत्र सतार नदाफ मधुबनी बिहार, मियादाद आलम पुत्र फतेह आलम सीवान बिहार और मोहम्मद औरंगजेब पुत्र वली अहमद बेतिया बिहार हैं।
ये सभी युवक किसी अंग्रेजी अखबार में नौकरी का विज्ञापन और दीनार-डॉलर वाली सैलरी के लालच में ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुधर जाये, इंडिया से सऊदी अरब मजदूरी करने पहुंच गये। सभी सऊदी पहुंचने से पहले बम्बई की किसी कंपनी में कार्यरत थे। इन लोगों ने एशियाना इंटरनेशनल नाम की कंपनी में इंटरव्यू दिया, लेकिन काम और नौकरी में दीनार डॉलर मिलने का सपना दिखाकर इन सभी को वहां बंधुआ मजदूर बनाकर भेज दिया गया।
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भारत से सऊदी पहुंचे इन युवाओं ने जनज्वार के पास दो वीडियो भेजकर यह भी बताया कि पाकिस्तान का कोई व्यक्ति इन्हें डरा धमका रहा है। वह कई बार पुलिस लेकर आता है और बदसलूकी करता है। ये युवा कहते हैं कि इस पाकिस्तानी व्यक्ति के लिंक हमारे देश में भी हैं। सभी मिले हुए हैं। हम लोग बहुत दिक्कतों में जी रहे हैं। इन युवाओं ने अपने पासपोर्ट, वीजा की फोटो और कई वीडियो जनज्वार के साथ साझा किये हैं ताकि उनको वापस भारत आने में मदद मिल पाये।
गौरतलब है कि कल 5 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों में फंसे सभी भारतीय नागरिकों को वापस अपने देश लाये जाने से सम्बंधित घोषणा की है। इसमें शर्त यह शामिल है कि विदेश से उन्हीं लोगों को देश में वापस लाया जाएगा जो कोरोना पॉजिटिव न हों, मगर यह तो जांच के बाद ही पता चल पायेगा कि इन युवाओं की तरह तमाम देशों में फंसे भारतीयों को कोरोना है कि नहीं।