अंधविश्वास : परम्परा के नाम पर जहां दलित महिलाओं को पोल पर बांधकर बैलगाड़ियों से खींचा, उसका उद्घाटन किया भाजपाई सीएम के सचिव ने
सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा कर्नाटक निवारण और अमानवीय बुराई प्रथाओं और काला जादू अधिनियम के तहत इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन रेणुकाचार्य और शांतनगैड़ा जैसे लोगों ने इस त्यौहार का उद्घाटन कर अंधविश्वास की इस परंपरा को बढ़ावा दिया है..
जनज्वार। देश में अंधविश्वास का प्रभाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में मंगलवार 28 जनवरी को कर्नाटक के दावणगेरे जिले के केंचिकोप्पा गांव में अंधविश्वास से संबंधित मामला सामने आया है। दो दलित महिलाओं रेखा और मरियम्मा को गांव में गुलम्मा औप मायामा देवी यात्रा महोत्सव के लिए आयोजित सिद्धि महोत्सव के तहत पोल से बांध दिया गया।
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मायाम्मा और गुल्लम्मा देवी यात्रा महोत्सव का आयोजन हर 10 वर्षां के अंतराल में किया जाता है, जिसमें बैलगाड़ी से खींची गई दो गाड़ियों और दो सजाए गए डंडों के साथ दलित महिलाओं को बांधा जाता है।
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इस यात्रा का उद्घाटन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के राजनीतिक सचिव, भाजपा के एमएलए रेणुकाचार्य और पूर्व विधायक डीजी शांतनगौड़ा ने किया था। भले ही सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा कर्नाटक निवारण और अमानवीय बुराई प्रथाओं और काला जादू अधिनियम के तहत इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन रेणुकाचार्य और शांतनगैड़ा जैसे लोगों ने इस त्यौहार का उद्घाटन कर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया है। इसके बाद भी प्रत्येक 10 साल के अंतराल में इस यात्रा का आयोजन किया जा रहा है।
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इस मामले पर होन्नली से भाजपा के विधायक एमपी रेणुकाचार्य कहते हैं, 'महोत्सव के दौरान करीब 2:30 बजे से 4:30 बजे तक मैं वहां श्रद्धालु के रूप में मौजूद था, इसमें गलत क्या है? उनका कहना था कि गांव वाले मुझे इस यात्रा के लिए हमेशा निमंत्रण देते हैं और मैने भी गांववालों के निमंत्रण को कभी भी नकारा नहीं। इन लोगों ने जब भी मुझे बुलाया तो मैं विधायक की हैसियत से नहीं, बल्कि एक आम नागरिक के रूप में यहां आया।'