सुप्रीम कोर्ट ने दिया पानीपत के मज़दूरों को सहायता की PIL पर हाईकोर्ट को तत्काल सुनवाई का आदेश

Update: 2020-04-14 07:22 GMT

एक वक्त में जिला प्रशासन द्वारा मात्र 63000 पैकेट बांटे जाते हैं, जबकि पानीपत में मज़दूरों की संख्या है लाखों में, यानी 2 लाख से ज्यादा मज़दूर भुखमरी व कुपोषण के हैं शिकार...

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। मज़दूर संगठन इफ़्टू ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें बताया गया कि मजदूरों को लॉकडाउन के दौरान कोई मदद नहीं मिल रही है। उन तक न तो राशन पहुंचा रहा न खाने के लिए भोजन। ऐसे में वह बहुत बुरे हालत से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार और अधिकारी बार बार आग्रह के बाद भी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं।

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भुखमरी के शिकार हो रहे पानीपत के मज़दूरों को राहत दिलवाने के लिए मज़दूर संगठन इफ़्टू की जनहित याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को तत्काल सुनवाई करने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट से मिले ऑर्डर को लेकर आज 14 अप्रैल को ही पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर होगी।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस नागेश्वर राव व जस्टिस शांतनागौडर की तीन सदस्यीय खण्ड पीठ ने यह आदेश दिया है।

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ज़दूर संगठन इंडियन फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियंस (इफ़्टू) हरियाणा प्रदेश संयोजक पीपी कपूर ने पिछले 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि पानीपत में हज़ारों प्रवासी मज़दूर व स्थानीय मज़दूर भुखमरी का शिकार हो रहे हैं।

वे जिला प्रशासन को 4500 मज़दूरों के नाम पता मोबाइल नम्बर सहित सूची दे चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन व सरकार इन मज़दूरों को न तो सुरक्षा दे रही है और न ही आर्थिक मदद दे रही है।

जिला प्रशासन द्वारा स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से लंगर बांटा जा रहा है, जो कभी मिलता है तो कभी नहीं मिलता। भोजन के नाम पर खिचड़ी या दो रोटी अचार या चार पूड़ी सब्जी दी जाती है। इससे से मज़दूरों के बच्चों तक का पेट नहीं भरता।

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स लंगर को लेने के लिए भी उन्हें भिखारियों की तरह भटकना पड़ता है।बड़ी संख्या में मज़दूरों को ये लंगर भी नसीब नहीं होता। मज़दूरों के बच्चों व महिलाओं के लिए दूध की भी कोई व्यवस्था नहीं है।

पूर ने कहा कि जिला प्रशासन दावा करता है कि वह रोज़ाना भोजन के सवा लाख पैकेट बांट रहा है, यानी एक वक्त में मात्र 63000 पैकेट बांटे जाते हैं, जबकि पानीपत में मज़दूरों की संख्या लाखों में है तो स्पष्ट है कि 2 लाख से ज्यादा मज़दूर भुखमरी व कुपोषण में जी रहा है।

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बिहार, यूपी, बंगाल, मध्य प्रदेश आदि राज्यों के मूल निवासी इन मज़दूरों के पास स्थानीय राशन कार्ड, वोटर कार्ड, बैंक खाते न होने से इन्हें सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा, न ही सरकार ने हेल्पलाइन नम्बरों को मुनादी इश्तहार द्वारा मज़दूर बस्तियों में प्रचारित किया है। अधिकांश फैक्टरी मालिक हज़ारों मज़दूरों की मार्च महीने की बकाया मज़दूरी व वेतन दबा कर बैठे हैं, भुगतान नहीं कर रहे। मज़दूर संगठन इफ़टू की मांग है कि इन सभी मज़दूरों को तत्काल सुरक्षा, राशन व आर्थिक सहायता दी जाए।

पूर ने बताया कि जनहित याचिका में उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य मित्र व एडवोकेट गुंजन सिंह ने निशुल्क पैरवी की। सुप्रीम कोर्ट से मिले ऑर्डर को लेकर आज 14 अप्रैल को ही पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी जाएगी।

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