राज्य से बाहर फंसे हुए कामगारों को बिहार सरकार ने भेजी 1000 रूपये की सहायता
लॉकडाउन के बाद पूरे देश में वो मजदूर फंस गये, जो रहते तो गांव में है लेकिन रोज़ी रोटी के लिए देशभर के शहरों में बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। हमारी सरकार ने कोरोना महामारी से बचने के लिए सिर्फ़ चार घंटे के नोटिस पर पूरे देश को लॉकडाउन में धकेल दिया...
पटना से सलमान अरशद की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार के 1.03 लाख कामगारों को सीधे उनके खाते में आर्थिक सहायता पहुंचाई है। इस मद में कुल 10.35 करोड़ की धनराशि खर्च की गयी। प्रत्येक मजदूर को 1000 रूपये दिए गए। ये सहायता आपदा प्रबंधन विभाग के द्वारा मुख्यमंत्री की विशेष सहायता के रूप में दी गयी है।
उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के बाद पूरे देश में वो मजदूर फंस गये, जो रहते तो गांव में है लेकिन रोज़ी रोटी के लिए देशभर के शहरों में बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं। हमारी सरकार ने कोरोना महामारी से बचने के लिए सिर्फ़ चार घंटे के नोटिस पर पूरे देश को लॉकडाउन में धकेल दिया।
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इसका नतीजा ये हुआ कि देशभर के कामगारों में अफरातफरी मच गयी। ये मजदूर जहां काम करते हैं अक्सर वहीं पर कहीं खाना बनाकर या आसपास के ढाबों में खाकर काम की ही जगह पर सो जाते हैं तो कुछ किराये के कमरों में रहते हैं, इसके अलावा कुछ मजदूर फुटपाथ पर ही रात गुज़ार लेते हैं।
अचानक से लॉकडाउन की घोषणा के बाद ये सारे मजदूर फंस गये। काम का तो अब सवाल ही नहीं पैदा होता, बैठे बिठाये खाने की व्यवस्था थी नहीं, ऐसे में एक ही रास्ता था कि वो अपने गावों को लौट जाएं। कुछ मजदूर जो किसी तरह शहर में रहने का मन बना रहे थे, उन्हें मकान मालिकों ने घरों से निकाल दिया और जो सड़कों पर रह सकते थे, उन्हें पुलिस ने पीटना शुरू कर दिया।
इस हालत में देशभर में कामगारों ने सैकड़ों किलोमीटर का सफ़र पैदल तय किया। कई कामगारों की इस सफ़र के दौरान मौत भी हो गयी। इसके बावजूद भी अभी बड़ी संख्या में विभिन्न शहरों में प्रवासी मजदूर रह रहे है और इनमे एक बड़ी संख्या बिहारी कामगारों की है।
बिहार सरकार ने राज्य से बाहर फंसे हुए कामगारों को '1000 रूपये प्रत्येक व्यक्ति' सहायता देने का निश्चय किया। इसके लिए aapda.bih.nic.in से एक ऐप डाउनलोड कर उसमें कामगारों को अपनी डिटेल देनी थी और इस डिटेल के आधार पर ही उन्हें सहायता राशि मिलनी थी।
बिहार सरकार के द्वारा 3 अप्रैल को बिहार के फंसे हुए कामगारों से उनके डिटेल मांगे गये थे, सिर्फ़ तीन दिन में कुल 3.10 लाख के लगभग फंसे हुए प्रवासी बिहारी कामगारों ने सहायता के लिए अप्लाई किया, इनमे से 55264 कामगारों ने अकेले दिल्ली से आवेदन किया था।
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इसी प्रकार हरियाणा से 41050, महाराष्ट्र से 30576 और गुजरात से 25638 कामगारों ने आवेदन दिया था। हालांकि 1000 रूपये की सहायता इस मुश्किल वक्त में बहुत ज़्यादा तो नहीं है फिर भी कुछ रोज़ के खाने की व्यवस्था तो हो ही सकती है। देश में ये अपनी तरह की पहली योजना है जिसमें राज्य सरकार ने राज्य से बाहर फंसे हुए कामगारों की सहायता की है। सहायता छोटी ही सही लेकिन एक अच्छी शुरुआत के रूप में इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए।