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शिक्षा

हरियाणा के मुख्यमंत्री का शिक्षकों को फरमान, दान दो नहीं तो रोक लिया जायेगा मार्च का वेतन

Prema Negi
8 April 2020 5:20 AM GMT
हरियाणा के मुख्यमंत्री का शिक्षकों को फरमान, दान दो नहीं तो रोक लिया जायेगा मार्च का वेतन
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कोरोना रिलिफ फंड में दान देने के लिये सरकारी अध्यापकों को दिये गये निर्देश बकायदा से सरकारी पत्र लिखा गया है। इसमें हिदायत दी कि दान के लिये रजिस्ट्रेशन कराओ, यदि ऐसा नहीं किया तो मार्च का वेतन रोक लिया जायेगा...

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में मनोहर लाल सरकार ने कोरोना रिलिफ फंड के लिये पैसा जुटाने का नया तरीका निकाला है। प्रदेश के सभी अध्यापकों, प्रिंसिपल और अन्य स्टाफ से फंड में दान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके लिये सरकार ने शिक्षा विभाग को लिखा। शिक्षा विभाग ने सभी जिले के शिक्षा अधिकारियों को इस बारे में पत्र लिखा है।

ब जिला शिक्षा विभाग की ओर से पत्र लिख कर धमकी दी जा रही है। सरकार के इस कदम से शिक्षकों में गहरा रोष है। उनका कहना है कि फंड में पैसा वह देंगे। लेकिन इस तरह से धमकाना उचित नहीं है। उनका यह भी कहना है कि यह तो एक तरह से उगाही है।

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विपक्ष ने भी सरकार की कड़ी आलोचना की है। हरियाणा कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा ने इस पर विरोध जताते हुये कहा कि प्रदेश में यह सरासर तानाशाही है। ऐसा नहीं है कि आप जबरदस्ती किसी को वेतन रोकने की धमकी देकर फंड देने के लिये मजबूर करे। उन्होंने कहा कि दान तो स्वेच्छा से दिया जाता है। इसे जबरदस्त नहीं वसूला जा सकता।

शिक्षकों ने भी इस पर कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि सरकार तो हमें ऐसा साबित कर रही है कि हम मुश्किल घड़ी में भी मदद के लिये तैयार नहीं होते। सरकार के इस कदम से हमारी छवि पर गलत असर पड़ा है। जबकि हकीकत तो यह है कि शिक्षक हमेशा ही समाज की भलाई में आगे रहते हैं।

ब जब वह इस फंड में अपना योगदान देंगे तो इसका भी यहीं संदेश जायेगा कि सरकार ने डरा कर लिया है। उन्होंने कहा कि जब भी समाज में इस तरह की दिक्कत आती है, शिक्षक बिना किसी के बोले एक दम से मदद को आगे आते हैं। निश्चित ही सरकार के इस पत्र से उनका मनोबल कम हुआ है।

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रिटायर्ड शिक्षक संघ के प्रवक्त रामकरण ने बताया कि मनोहर सरकार पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी सरकार है। इनकी कार्यप्रणाली ऐसी है कि हर वक्त कर्मचारियों को निशाने पर ही रखा जाता है। वह चाहे सामान्य दिन हो या फिर कोरोना जैसा मुश्किल काम। सरकार के लोग यही समझते हैं कि कर्मचारी मुफ्त का खाते हैं। वह कोई काम नहीं करते है।

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रामकरण ने आगे कहा कि जो फरमान शिक्षकों के लिये जारी किया, क्या मनोहर लाल खट्टर अपने मंत्रियों के लिये जारी कर सकते हैं। वह ऐसा नहीं कर सकते। क्योंकि तब उन्हें पता है कि उनके मंत्री उनके खिलाफ हो जायेंगे। क्योंकि शिक्षक कुछ बोल नहीं पाते। इसलिए यह सरकार उन्हें इस तरह से लज्जित कर रही है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पत्र सिर्फ शिक्षकों को ही नहीं लिखा गया होगा, अन्य विभागों में भी जरूर इसी तरह के पत्र लिखे गये होंगे।

मामले में जब शिक्षा मंत्री कंवरपाल से बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उनके कार्यालय से बताया गया कि वह कोरोना की वजह से दफ्तर नहीं आ नहीं रहे हैं। उनके आवास पर जब संपर्क किया गया तो बताया कि वह बाहर है। जैसे ही आयेंगे तो बातचीत कर देंगे।

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