डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका, तालिबान ने अफगानी सेना पर फिर हमला कर तोड़ा शांति समझौता

Update: 2020-03-03 11:31 GMT

Afghanistan News : काबुल में केवल हंसने और दोस्त से बात करने पर तालिबानियों ने महिला को बीच बाजार में पीटा

12000 अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान में काबिज हैं। शांति समझौते के बाद ट्रंप ने कहा था कि मई महीने तक 5000 अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान से वापस अमेरिका चली जाएंगी और निकट भविष्य में वे तालिबानी नेताओं से फिर मुलाकात करेंगे...

जनज्वार। शनिवार 29 फरवरी को अमेरिका, अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान के बीच हुआ शांति समझौता परवान चढ़ने के पहले ही दम तोड़ने लगा है। अचानक सोमवार 2 फरवरी को तालिबान ने आंशिक युद्ध-विराम खत्म करने की घोषणा कर अफगानिस्तान के दक्षिणी सूबे कंधार के दो जिलों में अफगानी सेना के खिलाफ एक बार फिर युद्ध छेड़ दिया। स्थानीय पुलिस मुखिया सुल्तान मोहम्मद हाकिमी ने AFP से कहा, 'उन्होंने पंजवानी और मेवंद में हमारी पांच चौकियों पर आक्रमण कर दिया। अभी लड़ाई जारी है।'

स घोषणा के पूर्व उत्तरी अफगानिस्तान में एक बम धमाका भी सुनायी दिया था। यह धमाका खोस्त नामक स्थान के एक फुटबाल मैदान में हुआ जिसमें तीन भाइयों की मौत हो गयी। AFP News के अनुसार इस धमाके की जिम्म्मेदारी तुरंत किसी ने नहीं ली है। लेकिन धमाका उसी समय के आस-पास हुआ जब तालिबान ने अफगानी सेना और पुलिस बल पर फिर से आक्रमण करने के आदेश जारी कर दिए और इस तरह से हफ्ते भर से चल रही 'हिंसा में कमी के दौर' को खत्म कर दिया।

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तालिबान प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने AFP News से कहा, 'हिंसा में कमी अब खत्म होती है और हमारी कार्यवाई सामान्य रूप से चलती रहेगी। अमेरिकी-तालिबानी समझौते के तहत हमारे मुजाहिदीन विदेशी ताकतों पर हमला नहीं बोलेंगे लेकिन काबुल प्रशासन की सेनाओं के खिलाफ हमारी कार्यवाई चलती रहेगी।'

Full View है कि शांति समझौते से पूर्व एक हफ्ते तक हिंसा में आई कमी ने खून-खराबा कम कर दिया था। समझौते में दरारें आना सोमवार को ही दिखाई देने लगीं थीं जब तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि अफगान सरकार से बातचीत तब तक आगे नहीं बढ़ सकती जब तक अफगान सरकार द्वारा 5000 तालिबानी बंदियों को नहीं रिहा किया जाता। गौरतलब है कि 29 फरवरी को कतर में हुए समझौते के तहत तालिबान को अफगानी सरकार से बातचीत जारी रखनी थी और अफगानी सरकार को जेल में बंद 5000 तालिबानियों को रिहा करना था।

लेकिन अफगान सरकार ने एक दिन पहले रविवार को ही तालिबानी बंदियों को रिहा करने से साफ मना कर दिया। अफगानी राष्ट्रपति अशरफ घानी ने संवाददाताओं से कहा की उनकी सरकार ऐसी किसी भी रिहाई के लिए तैयार नहीं हुयी थी। उन्होंने कहा, '5000 बंदियों को रिहा करने की कोई प्रतिबद्धता नहीं है। यह अफगानी जनता के अधिकार और स्वेच्छा का मामला है। यह मसला अफगान-तालिबान के बीच बातचीत में शामिल तो किया जा सकता है लेकिन बातचीत जारी रखने की यह पूर्व-शर्त नहीं हो सकता।'

'हम अफगानी सरकार से बातचीत के लिए पूरी तरह से तैयार हैं लेकिन हम अपने 5000 बंदियों की रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। अगर हमारे 5000 बंदी- 100-200 कम ज्यादा मायने नहीं रखता-छोड़े नहीं जाते तो अफगान सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं होगी।'

- जबीहुल्ला मुजाहिद, तालिबान प्रवक्ता

Full View समय लगभग 10,000 तालिबानी लड़ाकू अफगानिस्तान की कैद में है। उधर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं के कमांडर जनरल स्कॉट मिलर ने कहा, 'हम अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति काफी गंभीर हैं और उम्मीद करते हैं कि तालिबान भी अपनी ज़िम्मेदारियों के प्रति गंभीर रहेगा। अमेरिका अपनी उम्मीदों के बारे में पूरी तरह साफ है, हिंसा कम स्तर पर ही होनी चाहिए।'

मेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने रविवार को अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अफगान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत का सिलसिला आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगा। 19 फरवरी को कतर में हुए शांति समझौते के तहत 14 महीनों के भीतर अफगानिस्तान से अमेरिका और इसके नाटो सहयोगियों की सेनाओं को हटाया जाना है।

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गौरतलब है कि अभी भी 12000 अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान में काबिज हैं। शांति समझौते के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि मई महीने तक 5000 अमेरिकी सेनाएं अफगानिस्तान से वापस अमेरिका चली जाएंगी और निकट भविष्य में वे तालिबानी नेताओं से फिर मुलाकात करेंगे। समझौते पर खुशी जताते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था, 'समय आ चुका है जब हमारे लोग घर लौटें।'

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