कुंए में मिली 8 प्रवासियों की लाश, इनमें एक 3 साल का बच्चा भी, तेलंगाना पुलिस को आत्महत्या की आशंका

Update: 2020-05-22 09:57 GMT

पैसे के अभाव में देशभर में जिस तरह से प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों की खबरें आ रही हैं उनमें यह सबसे हृदयविदारक है, कुएं में डूबकर मरने वालों में एक तीन साल का बच्चा भी है...

जनज्वार, हैदराबाद। कोराना वायरस के कारण पूरे देश में हुए लॉकडाउन के बाद से शहरी मजदूरों और गरीबों के जिस तरह से एक के बाद एक मामले आ रहे हैं, उससे साफ है कि आने वाले महीनों में भूख और बेकारी की समस्या देश में और बढ़ने वाली है। तेलंगाना के वारंगल में कुएं में कूदकर नौ लोगों की जान देने का मामला भी लॉकडाउन के बाद से पसरी बेकारी से जुड़ा हुआ ही लगता है।

देश के दक्षिणी राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री सी चंद्रशेखर राव ने आज ही बड़े गर्व से बयान दिया था कि हमारे राज्य से कोई भी प्रवासी मजदूर अपनी घर वापसी नहीं कर रहा है, लेकिन इस दावे का सच सामने है और कुएं में डूबकर मरने वाले 9 लोगों में 8 प्रवासी हैं।

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तेलंगाना के वारंगल शहर के कुंए से जो लाशें पुलिस ने बरामद की हैं, उनमें 6 बंगाल के लोग है, दो बिहार के मजदूर हैं और एक मृतक तेलंगाना राज्य से ही है। इनमें से कुएं से चार लाशें वृहस्पतिवार 21 मई को निकाली गयी थीं, जबकि 5 आज शुक्रवार को मिली हैं।

वृहस्पतिवार की जिनकी लाश कुंए से निकली उनकी पहचान मोहम्मद मसूद (56), पत्नी निशा (48), बेटी बुरशा (24), और 3 वर्षीय नाती के रूप में हुई है। मोहम्मद मसूद वारंगल शहर में ही जूट सिलाई की दुकान में काम करते थे और उनका परिवार उन्हीं के साथ रहता था।

शुक्रवार को जो पांच लाशें कुंए से मिलीं उनमें मोहम्मद मसूद का बेटा, दो बिहार के मजदूर और एक स्थानीय नागरिक शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि मौत के इस सनसनीखेज मामले में छानबीन कर रही है कि यह हत्या है या आत्महत्या।

वारंगल के पुलिस आयुक्त वी रविंदर के अनुसार, 'हमने जांच के लिए विशेष दस्ते बनाए हैं। उपर तौर पर देखने से शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं दिख रहे। मौत के कारण की सही जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मिल पाएगी। हम सभी पहलुओं की जांच में लगे हैं।' इस मामले में गीसुकोंडा थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

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सूद पिछले 20 वर्षों से वारंगल शहर के ही करीमाबाद इलाके में रहते थे। लॉकडाउन की वजह से उनके पास पिछले 2 महीनों से कोई काम नहीं था। मसूद जिस जूट के दुकान में काम करते थे उसके ही मालिक ने अपने गोडाउन में ही मसूद और उनके परिवार को रहने की जगह दे रखी थी। मसूद समेत अन्य 8 की जिस कुंए में लाश मिली है, वह गोडाउन के ही करीब है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोई भी प्रवासी कामगार अपने पैत्रिक स्थान पर पैदल चलकर वापस जाने की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से न गुजरे। उन्होंने मुख्य सचिव सोमेश कुमार से कहा कि वे प्रवासी कामगारों के लिए ट्रेनों की व्यवस्था करें, ताकि उन्हें अपने घर तक पहुंचने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि अगर ट्रेनें उपलब्ध नहीं हैं तो ऐसे श्रमिकों के लिए बसों की व्यवस्था की जाए।

Full View नाम से लोकप्रिय मुख्यमंत्री ने प्रवासी श्रमिकों से पैदल चलकर नहीं जाने की अपील की, क्योंकि राज्य सरकार उन्हें उनके मूल स्थानों पर भेजने की जिम्मेदारी ले रही है। मुख्यमंत्री ने गुरुवार की देर रात उन खबरों के बीच अपील की जिनमें कहा गया कि कई प्रवासी कामदार अभी भी अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए पैदल रवाना हो रहे हैं।

तेलंगाना सरकार ने अब तक एक लाख से अधिक प्रवासी कामगारों को 74 ट्रेनों द्वारा उनके गृह राज्यों में पहुंचाया है। अधिकारियों ने बताया कि 20 मई तक श्रमिक विशेष ट्रेनों द्वारा 1,01,146 यात्रियों को भेजा गया है। अधिकारियों ने बिहार अधिकतम 26 ट्रेनें, उत्तर प्रदेश 14 ट्रेनें और झारखंड 11 ट्रेनें भेजी हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, छत्तीसगढ़, पूर्वोत्तर, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और पंजाब में भी प्रवासी कामगारों को ट्रेनों से भेजा गया।

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वास्तव में, देश में पहली श्रमिक विशेष ट्रेन एक मई को तेलंगाना से संचालित की गई थी। राज्य सरकार ने सभी प्रवासी कामगारों के किराये के एवज में रेलवे को 8.5 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। इस बीच, राज्य सरकार ने तेलंगाना हाईकोर्ट को सूचित किया कि 3 लाख से अधिक प्रवासियों ने पुलिस और अन्य अधिकारियों को अपने मूल राज्यों में वापस जाने की अनुमति देने के लिए आवेदन किया।

फंसे प्रवासियों के मुद्दे के संबंध में एक जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में दायर हलफनामे में, सरकार ने कहा कि तीन लाख से अधिक प्रवासियों ने ऑनलाइन आवेदन किया है। अदालत को यह भी बताया गया कि अन्य राज्यों में फंसे 64,000 से अधिक लोग लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद तेलंगाना लौट आए हैं।

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