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झारखंड

लॉकडाउन में अब तक 1.44 करोड़ थालियां परोस चुकी हैं झारखंड की ये ग्रामीण महिलाएं

Prema Negi
22 May 2020 2:30 AM GMT
लॉकडाउन में अब तक 1.44 करोड़ थालियां परोस चुकी हैं झारखंड की ये ग्रामीण महिलाएं
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झारखंड के कई जिलों में सखी मंडल से जुड़ी महिलाएं राहत सामग्री की पैकिंग के लिए बैग निर्माण, क्वारंटीन सेंटर्स में खानपान की जिम्मेदारी, ग्रामीण इलाकों में कोरोना के लक्षण वाले लोगों की पहचान एवं नुक्कड़ नाटक एवं जागरुकता संदेश का भी काम कर रही हैं...

कुमार विकास की रिपोर्ट

कोविड-19 के खिलाफ जंग में देश भर के स्वयं सहायता समूह की महिलाएं लगातार काम कर रही हैं। कोरोना के खिलाफ जंग में पहली कतार में ये महिलाएं खड़ी हैं। समाज के अंतिम व्यक्ति एवं नि:शक्त वर्ग तक तुरंत राहत पहुंचाने में स्वयं सहायता समूह की महिलाएं सबसे आगे हैं।

भारत गांवों का देश है और दीनदयाल अंत्‍योदय योजना – राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY NRLM) के तहत पूरे देश में 62 लाख स्वयं सहायता समूह के तहत 6.8 करोड़ ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं। आपदा की इस घड़ी में सरकार सुदूर गांवों के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बना सके, इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से अच्छा विकल्प आज नहीं है।

झारखंड जैसे छोटे से राज्य ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में सखी मंडल को कोरोना वॉरियर्स के रुप में पहचान देकर देश को रास्ता दिखाने का कार्य किया है।

राज्य सरकार की पहल पर सखी मंडल की प्रेरित एवं प्रतिबद्ध महिलाएं इस मुश्किल हालात में ग्रामीण इलाके में सामुदायिक स्तर पर उपजी आर्थिक एवं सामाजिक जरूरतों को पूरा कर रही हैं। ये महिलाएं आजीविका गतिविधियों में संलग्न रहते हुए, जागरुकता फैलाकर, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के जरिए, आंदोलनों का नेतृत्व करते हुए और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान दायित्व संभालते हुए सामाजिक बदलाव ला रही हैं। वर्तमान में जारी संकट के समय भी सखी मंडल की महिलाएं कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए हरसंभव तरीके से योगदान देते हुए सामुदायिक योद्धा बनकर उभरी हैं।

खी मंडल की महिलाओं द्वारा पूरे देश में 12,374 सामुदायिक किचन का संचालन किया जा रहा है। वहीं अकेले झारखंड में 6000 से ज्यादा मुख्यमंत्री दीदी किचन, दीदियों के द्वारा संचालित किया जा रहा है। अन्य राज्य झारखंड सरकार की इस पहल और सखी मंडल की ताकत को इस पहल के माध्यम से समझने लगे हैं। सखी मंडल की करीब 30 हजार महिलाओं ने समाज सेवा के रुप में बिना किसी सेवाशुल्क के मुख्यमंत्री दीदी किचन का संचालन किया।

राज्य के हर पंचायत में जरुरतमंदों, असहाय, लाचार, दिव्यांग एवं मजदूरों को दो वक्त का खाना उपलब्ध कराया जा रहा है।

photo : better India

स कठिन घड़ी में राज्य के दूरस्थ इलाकों तक दीदी किचन की पहुंच सुनिश्चित हुई और मूल लक्ष्य ‘कोई भी भूखा न रहे’ को अमली जामा पहनाया जा सका। मुख्यमंत्री दीदी किचन के जरिए अब तक 1.44 करोड़ थालियां परोसी जा चुकी है, जो स्वयं इन महिलाओं के हौसले को बखान करता है।

झारखंड के 2.46 लाख सखी मंडल से करीब 32 लाख ग्रामीण महिलाएं जुड़ी है, इस शानदार नेटवर्क का उपयोग जिला प्रशासन एवं सरकार के द्वारा दूरस्थ इलाकों तक सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता समेत अन्य जागरुकता संदेश के प्रसार के लिए भी किया जा रहा है ताकि स्थानीय समुदाय तक सही सूचनाएं पहुंच सके।

वैश्विक महामारी के इस समय में ग्रामीण महिलाओं के इन संगठनों द्वारा आज हर जिले में मास्क, सैनिटाइजर एवं अन्य जरुरत की चीजों का उत्पादन किया जा रहा है, ताकि इन वस्तुओं की कोई कमी न रहे और मामूली कीमत पर लोगों के लिए उपलब्ध रहे।

ब तक झारखंड में सखी मंडलों ने 11.5 लाख मास्क, 4.5 लाख सैशे सैनिटाइजर एवं करीब 6000 प्रोटेक्टीव कीट फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए तैयार किया है। सखी मंडल की महिलाओं के सब्जी उत्पादों को आजीविका फार्म फ्रेश मोबाइल एप्प के जरिए सीधे होम डिलीवरी भी की जा रही है, अब तक करीब 1000 लोगों को होम डिलिवरी की जा चुकी है।

कोविड-19 के इस विषम दौर में गांव में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए भी 1463 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पान्डेंट) कार्य कर रही है। लॉकडाउन के समय में करीब 7 लाख लोगों ने इनसे बैंकिंग सेवाएं ली है वहीं करीब 107 करोड़ का लेन-देन हुआ है। गुमला जिले के पालकोट की बीसी सखी नीशा देवी ने अब तक सिर्फ लॉकडाउड पीरियड में करीब 1500 लाभुको को बैंकिंग सेवा देते हुए एक करोड़ से ज्यादा का लेन-देन किया है।

निशा बताती हैं, “आपदा की इस घड़ी में जरुरतमंदों की मदद कर पा रही हूँ ये मेरी सबसे बड़ी खुशी है। पैसा तो मैं कमा ही लेती हूँ, लेकिन इस काम में मुझे लोगों की दुआएं मिलती है।”

झारखंड के कई जिला में सखी मंडल की महिलाएं राहत सामग्री की पैकिंग के लिए बैग के निर्माण, क्वारंटीन सेंटर्स में खान-पान की जिम्मेदारी, ग्रामीण इलाकों में कोरोना के लक्षण वाले लोगों की पहचान एवं नुक्कड़ नाटक एवं जागरुकता संदेश का भी काम कर रही हैं।

र मोर्चे पर सेवाएं दे रही सखी मंडल की बहनें आपदा की इस घड़ी में राज्य में पीवीटीजी डाकिया योजना के तहत चावल पैकिंग समेत टेक होम राशन के तहत आंगनबाडी तक राशन पहुंचाने का कार्य भी अपनी जिम्मेदारी समझ कर पूरा कर रही है। सखी मंडल की महिलाओं ने दीदी हेल्पलाइन के जरिए दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की परेशानियों को भी सरकार तक पहुंचा कर एक अनूठी पहल की शुरूआत की है।

दम्य इच्छाशक्ति वाली सखी मंडल की ये शक्तिवाहिनी महिलाएं दिखती तो साधारण हैं, लेकिन धारा के विपरीत तैरने की अपनी अदम्य इच्छाशक्ति के कारण सचमुच असाधारण हैं। कोविड-19 की चुनौती से निपटने की इस जंग में सखी मंडल की महिलाओं का योगदान अतुलनीय है।

(कुमार विकास की यह रिपोर्ट द बेटर इंडिया से साभार)

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