NGT का हरियाणा के मुख्य सचिव को आदेश, CBI को सौंपें अंसल प्रॉपर्टीज का मामला
अंसल प्रोपर्टीज ने लगभग 600 एकड़ में सुशांत लोक फेज 1 गुड़गांव में एक कालोनी विकसिल की थी। नियम के अनुसार बिल्डर को 45 प्रतिशत एरिया पार्क, रोड के लिए छोड़ना था, एनजीटी ने कहा कि बिल्डर की यह मनमानी टाउन एंड कंट्री विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकती...
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। एनजीटी ने अंसल प्रॉपर्टीज के खिलाफ मामले के सुनवाई करते हुए चीफ सेक्रेटरी हरियाणा को आदेश दिया है मामले की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी जाए। एनजीटी ने टाउन एवं कंट्री प्लानिंग के उन अधिकारियों के विरूद्ध भी कार्यवाही करने के आदेश दिया जिन्होंने अंसल को अनियमतिता करने में मदद की। एनजीटी (NGT) ने अपने आदेश में लिखा है की इतना बड़ा घोटाला टाउन एवं कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। मामले की अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।
अंसल प्रोपर्टीज ने लगभग 600 एकड़ में सुशांत लोक फेज 1 गुड़गांव में एक कालोनी विकसिल की थी। नियम के अनुसार बिल्डर को 45 प्रतिशत एरिया पार्क, रोड के लिए छोड़ना था। लेकिन बिल्डर ने पार्क एवं ग्रीन एरिया के लिए रखी गयी जमीन भी बेच दी। इतना ही नहीं बिल्डर ने पर्यावरण क्लियरेंस भी नहीं लिया। एनजीटी ने कहा कि बिल्डर की यह मनमानी टाउन एंड कंट्री विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकती।
संबंधित खबर : कोरोना वायरस नहीं, बैंक घोटालों की वजह से तेजी से डूब रहा सेंसेक्स
निवासियों ने दायर की पिटिशन
इसी बीच सुशांत लोक फेज 1 गुड़गांव के निवासियों ने एक पिटिशन एनजीटी में दायर की। इसी का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने यह आदेश जारी किए हैं। आदेश के बाद टाउन एंड कंट्री विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
क्या कहते हैं शिकायत करता के वकील
शिकायतकर्ता के वकील यतिश कुमार गोयल ने बताया कि अभी तक सुशांत लोक फेज़ 1, गुड़गांव में बिल्डर ने जो अनियमितता की इससे पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ, इसका आंकलन करने के लिए अभी तक नपाई काम नहीं हुआ। नपाई के आदेश भी एनजीटी ने दिये हैं। फिर भी एनजीटी ने अंसल प्रॉपर्टीज़ पर लगभग 17 करोड़ का जुर्माना लगाया है। अब क्षेत्र की नपाई होगी, इससे पता चलेगा कि पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ है। यतिश कुमार गोयल ने बताया कि नपाई के बाद निश्चित ही जुर्माने की राशि बढे़गी।
जिन पर थी पर्यावरण की रक्षा वह भी मुकदर्शक बने रहे
बिल्डर मनमानी करता रहा, लेकिन जिन अधिकारियों पर पर्यावरण की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने की जिम्मेदारी थी, वह भी चुप रहे। एनजीटी ने चीफ सेक्रेटरी से पूछा है कि बिल्डर ने इतनी अनियमितता की, इसके बाद भी उसे कैसे काम पूरा करने का प्रमाण पत्र मिल गया। इस मामले में भी चीफ सेक्रेटरी से एनजीटी ने रिपोर्ट तलब की है।