हरियाणा में अधिकारियों व नेताओं की अवैध संपत्ति पर सरकार की पैनी नजर, कभी भी हो सकता है धमाका
हरियाणा में नौकरों और रिश्तेदारों के नाम पर कालाधन जमा करने वाले नेता और नौकरशाहों की हो सकती है गिरफ्तारी, गुड़गांव, फरीदाबाद, रेवाड़ी और रोहतक में कई बेनामी कीमती जमीन का रिकार्ड जुटाया गया
जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के नेताओं व नौकरशाहों की आय से अधिक संपत्ति का ब्यौरा केंद्र सरकार ने जुटाया है। इसमें कम से कम 19 अधिकारियों को चिंहित किया गया है। इसमें आईपीएस और आईएएस शामिल बताए जा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर की नियुक्ति गुड़गांव, फरीदाबाद और इसी तरह के जिलों में रही है। बताया जा रहा है कि जो बेनामी संपत्ति का ब्यौरा जुटाया गया, इसमें गुड़गांव, फरीदाबाद, रोहतक व रेवाड़ी जिले शामिल है। बताया जा रहा है कि कई अधिकारियों ने तो अपने नौकर व रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदी है। कुछ ने विदेश में भी अवैध संपत्ति जुटायी है। केंद्र सरकार ने एक सर्वे करा कर इसका विवरण जुटाया है। सर्वे टीम में रेवेन्यू विभाग, हुडा, स्थानीय निकाय और एचएसआईआईडीसी के अधिकारियों के साथ साथ एक स्वतंत्र टीम को भी शामिल किया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय की अगुवाई में सर्वे का काम किया गया है।
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इस कवायद के मायने क्या है?
दरअसल सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ तेजी से काम करना चाह रही है। यही वजह है कि लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए यह सर्वे किया गया है, जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लग सके। जानकारों का यह भी कहना है कि अगली बार के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही को ही भारतीय जनता पार्टी बड़ा मुद्दा बनाना चाह रही है। इसी को ध्यान में रख कर सरकार ने 1988 के बेनामी ऐक्ट को संशोधित कर बेनामी ट्रांजैक्शंस ऐक्ट, 2016 पारित कराया है। बेनामी संपत्तियों की खोज में लोगों के सहयोग को बढ़ाने के लिए सरकार ने इनामी योजना घोषित की है।
एक करोड़ रुपए के इनाम का किया गया था प्रावधान
बेनामी संपत्तियों पर शिकंजा कसने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक करोड़ रुपये का इनाम देने की योजना शुरुआत की थी। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति बेनामी संपत्ति उन्मूलन यूनिट में ज्वाइंट/एडिशनल कमिश्नर के समक्ष किसी ऐसी संपत्ति के बारे में जानकारी देता है तो उसे एक करोड़ रूपए तक का इनाम दिया जाएगा।
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बेनामी संपत्ति को जब्त कर सकती है सरकार
बेनामी प्रॉपर्टी पाए जाने पर सरकार उसे जब्त कर सकती है। जो व्यक्ति दोषी पाया जाएगा उसे नए प्रावधान के तहत अधिकतम सात साल तक की अवधि के लिए सश्रम कारावास की सजा मिल सकती है। प्रॉपर्टी की बाजार कीमत पर 25 फीसदी जुर्माने का प्रावधान है।
अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं करना चाहते अधिकारी: पीपी कपूर
इधर आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने 16 दिसंबर 2009 को आरटीआई भेजकर प्रदेश के सभी आईएएस, आईपीएस, एचपीएस, एचसीएस अफसरों की संपत्ति का ब्योरा मांगा था। लेकि 33 ऐसे अधिकारी थे, जिन्होंने इस ब्यौरे को देने से इंकार कर दिया था। उन्होंने बताया कि तब
आईएएस अशोक खेमका ने तो कैबिनेट सचिव व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को पत्र में कहा कि ईमानदार लोक सेवकों को अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने में कोई भय नहीं होना चाहिए। ऐसे कदमों से सार्वजनिक संस्थानों में पारदर्शिता व विश्वास को बढ़ावा मिलता है।