अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के खिलाफ याचिका बड़े बेंच को भेजने की जरूरत नहीं- सुप्रीम कोर्ट
अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को बड़ी बेंच में भेजने से सुप्रीम कोर्टन ने इनकार कर दिया अब 5 जजों की बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी...
जनज्वार। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। आर्टिकल 370 को लेकर दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच में भेजने से इंकार कर दिया है। मौजूदा 5 जजों की ही बेंच इसकी सुनवाई करेगी। यह फैसला सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिया। बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मामले को 7 जजों की बेंच के पास भेजने की याचिका दायर की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुनवाई करके फैसला सुरक्षित कर लिया था। 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को बड़ी बेंच में भेजने से सुप्रीम कोर्टन ने इनकार कर दिया अब 5 जजों की बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी
इस मामले पर कई वकील, कार्यकर्ता, नेशनल कॉन्फ्रेंस, सज्जाद लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कांफ्रेंस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी की याचिकाएं दायर हुई हैं। खंडपीठ ने रविवार को दलीलें सुनीं और इस पर अपना फैसला सुरक्षित रखा कि क्या हाईकोर्ट का 1959 का प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू कश्मीर का फैसला और 1970 में संपत प्रकाश बनाम जम्मू कश्मीर मामले में अनुच्छेद 370 से जुड़ा फैसला एक-दूसरे के ‘विरोधाभासी’ हैं।
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पूर्व रक्षा अधिकारियों और नौकरशाहों के समूह ने भी एक याचिका दायर की है। इनमें 2010-11 में जम्मू कश्मीर में बातचीत के लिए गठित गृह मंत्रालय के समूह के सदस्य प्रोफेसर राधा कुमार, जम्मू कश्मीर काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी हिंदल हैदर तैयबजी, पूर्व एयर वाइस मार्शल कपिल काक, पूर्व आईएएस अधिकारी अमिताभ पांडे और केरल काडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गोपाल पिल्लई शामिल है।
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वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से जम्मू-कश्मी में सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने का आंकड़ा 73 फीसदी घट गया है। पिछले महीने गृह राज्यमंत्री जी.किशन रेड्डी ने ये आंकड़ा राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दिया था. उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाए जाने के बाद से सूबे में हालात बेहतर हुए हैं. उन्होंने बताया कि अगस्त, 2019 से लेकर अब तक जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत 444 लोगों को हिरासत में लेने के आदेश दिए गए हैं।